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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा-क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कोई समय सीमा तय है?

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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति अस्थायी है और इसका राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा कि गृहमंत्री संसद में यह बात कही है कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाना एक अस्थायी उपाय है.

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सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से पूछा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से दिये जाने के लिए क्या कोई समय सीमा तय की गई है? साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या इस प्रक्रिया के लिए कोई रोडमैप तैयार किया गया है. गौरतलब है कि आर्टिकल 370 को निरस्त किये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सवाल किया है.

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जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होगा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को लंच ब्रेक के बाद जवाब देने को कहा है. सोमवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति अस्थायी है और इसका राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा कि गृहमंत्री संसद में यह बात कही है कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाना एक अस्थायी उपाय है. जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुन: दिया जायेगा. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

भारत का संविधान सर्वोपरि

आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट प्रथम दृष्टया केंद्र की इस दलील से सहमत नजर आया कि जम्मू-कश्मीर का संविधान भारतीय संविधान के अधीन है. हालांकि कोर्ट ने इस बात को लेकर सहमति नहीं जतायी कि पूर्व के जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा, जिसे 1957 में भंग कर दिया गया था, वास्तव में एक विधान सभा थी.

कुछ दल आर्टिकल 370 का बचाव कर रहे

आर्टिकल 370 को निरस्त किये जाने के मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से तुषार मेहता ने 11वें दिन अदालत को बताया कि आज भी दो राजनीतिक दल इस अदालत के समक्ष अनुच्छेद 370 और 35ए का बचाव कर रहे हैं. तुषार मेहता ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत के संविधान के अधीन है और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा वास्तव में कानून बनाने वाली विधान सभा थी.

आर्टिकल 370 को बहाल करने की मांग कर रहे हैं राजनीतिक दल

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया था. उस वक्त से यहां के राजनीतिक दल लगातार यह मांग करते रहे हैं कि आर्टिकल 370 को फिर से बहाल किया जाए और जम्मू-कश्मीर की पुरानी स्थिति फिर से कायम की जाए. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कई बार अपनी इस मांग को दोहराया और विपक्षी दलों की बैठक में भी यह कहा कि आर्टिकल 370 को जम्मू-कश्मीर में फिर से बहाल किया जाए क्योंकि इसी की वजह से जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था.

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