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आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर रोक, जानिए क्यों

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय करते हुए कहा कि हम इसे सितंबर में किसी भी गैर-विविध दिन पर उठाएंगे. न्यायमूर्ति कांत पांच न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा हैं, जो अनुच्छेद 370 वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

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पटना. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली मारे गए आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की विधवा की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय करते हुए कहा कि हम इसे सितंबर में किसी भी गैर-विविध दिन पर उठाएंगे. न्यायमूर्ति कांत पांच न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा हैं, जो सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर, 2 अगस्त से लगातार अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

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कोर्ट ने पूछा क्यों बदली गयी सजा की नीति

सुनवाई के दौरान, बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने पीठ को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने एक ही दिन में 97 दोषी व्यक्तियों की सजा में छूट पर विचार किया और उसने केवल गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को सजा में छूट नहीं दी. इस पर, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा कि क्या इन सभी 97 लोगों पर एक लोक सेवक की हत्या का आरोप लगाया गया था? उनका मामला यह है कि उन्हें रिहा करने के लिए नीति बदल दी गई. जवाब में कुमार ने कहा कि वह उन दोषियों को वर्गीकृत करते हुए एक विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल करेंगे, जिन्हें उनके अपराध के आधार पर छूट दी गई है.

दो सप्ताह का मिला समय

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दो सप्ताह की अवधि के भीतर एक अतिरिक्त जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी. इसने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा, यदि कोई हो, दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की अवधि भी दी. मारे गए नौकरशाह की विधवा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें मामले से संबंधित आधिकारिक फाइलों की प्रति नहीं दी है. पूर्व सांसद की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एपी सिंह ने आनंद मोहन पक्ष रखा.

अगली सुनवाई 26 सितंबर को

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को यह हलफनामा दायर करने के लिए कहा था कि उन्हें बिहार सरकार ने किस आधार पर जेल से रिहा किया है. हालांकि इस मामले में बिहार सरकार ने जुलाई महीने में ही हलफनामा के साथ अपना जवाब दायर कर दिया है. उसके बाद आज जस्टिस जेएस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि 26 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच सारी बातें सुनेगी. फिलहाल बिहार सरकार को इस मामले में एडिशनल काउंटर एफिडेविट फाइल करने को कहा गया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी.

रिहाई के विरोध में कृष्णैया की पत्नी ने दायिर की है याचिका

गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई हुई थी. बिहार सरकार ने कानून में संशोधन करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया था. आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में खूब सियासत हुई. देश के कई आईएएस एसोसिएशन ने रिहाई का विरोध किया था. जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर चुका है. वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी मामले में संज्ञान लिया था. आयोग ने बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूछा था कि आखिर किस आधार पर कानून में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा किया गया.

जेल मैनुअल में बदलाव कर दी गयी रिहाई

उधर, बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव करने के सवाल पर अपने तर्क दिए हैं. आनंद मोहन के वकील एपी सिंह ने बताया कि इस तरह के नियम अन्य राज्यों में भी हैं, वहां उम्र कैद सजा पाए दोषी को छोड़ने का प्रावधान है. आम आदमी या लोक सेवक की हत्या की सजा एक जैसी ही है. आम आदमी की हत्या के दोषी की सजा पूरी होने के बाद रिहाई हो सकती है, तो लोक सेवक की हत्या के दोषी की सजा पूरी होने के बाद रिहाई क्यों नहीं हो सकती है.

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