21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

भुगतान प्रणाली का गेमचेंजर बनेगा यूपीआइ

Advertisement

यह एक त्वरित डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जिसके माध्यम से विभिन्न बैंकों के बीच धन का स्थानांतरण किया जाता है. यह भारतीय रुपये पर आधारित है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान पेरिस में भारत के भुगतान प्लेटफॉर्म यूपीआइ को शुरू किया गया. देखने में भले यह एक छोटी शुरुआत लगती हो, यह भारत के भुगतान प्रणाली की दुनिया में बढ़ती पहचान का द्योतक है. यूपीआई की शुरुआत 2016 में भारत सरकार द्वारा समर्थित एजेंसी, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइ) द्वारा की गयी थी.

- Advertisement -

यह एक त्वरित डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जिसके माध्यम से विभिन्न बैंकों के बीच धन का स्थानांतरण किया जाता है. यह भारतीय रुपये पर आधारित है. अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में यूपीआइ के इस्तेमाल के लिए यूपीआइ इंटरनेशनल का एक नया फीचर यूपीआइ में शामिल किया गया है. जिससे क्यूआर कोड की मदद से भारतीय बैंक खातों से विदेशों में भुगतान किया जा सकता है.

भारत में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में 2014 में रुपे कार्ड का चलन शुरू हुआ था. बाद में ऑनलाइन भुगतानों में सुविधा के लिए यूपीआई शुरू किया गया. आज भारत में अनेक प्लेटफॉर्म हैं जो यूपीआइ से जुड़कर अपने ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान की सुविधा प्रदान करते हैं. ऑनलाइन, यानी डिजिटल भुगतान का चलन पूरी दुनिया में बढ़ा है, लेकिन यह सबसे अधिक भारत में बढ़ा है.

वर्ष 2022 में कुल 149.5 लाख करोड़ रुपये के ऑनलाइन लेनदेन हुए. इनमें 126 लाख करोड़ के लेनदेन केवल यूपीआइ के माध्यम से हुए. देश में लगभग 88 अरब ऑनलाइन लेनदेन रिकॉर्ड किये गये. प्राइसवाटरहाउस कूपर की रिपोर्ट की मानें, तो ऑनलाइन भुगतान की संख्या 2026-27 तक एक अरब प्रतिदिन तक पहुंच सकती है. दुनिया में जितने ऑनलाइन लेनदेन होते है, उसके 40 प्रतिशत से ज्यादा भारत में होते हैं.

भारत में ऑनलाइन लेनदेन पूर्णतया नि:शुल्क रहा है. हाल ही में सरकार ने 2000 और उससे ऊपर की राशि पर उपभोक्ता द्वारा मर्चेंट को खरीदारी के लिए भुगतान पर 1.1 प्रतिशत तक का शुल्क लगाने की अनुमति दी है. परंतु यदि उपभोक्ता द्वारा मर्चेंट के बैंक अकाउंट में भुगतान किया जाता है, तो यह शुल्क लागू नहीं होगा.

यूपीआइ के लिए अंतरराष्ट्रीय एनपीसीआइ एक प्रमुख प्राथमिकता है. वर्ष 2022 में, एनपीसीआइ ने घोषणा की कि वह यूपीआइ भुगतान को सक्षम करने के लिए कई देशों में बैंकों और भुगतान कंपनियों के साथ काम करेगी. तब से यूपीआइ को कई देशों में लॉन्च किया जा चुका है और कई अन्य देशों में इसके लिए तैयारी चल रही है. यूपीआइ के अंतरराष्ट्रीयकरण से उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों को कई लाभ मिलेंगे.

उपयोगकर्ताओं के लिए इसका मतलब होगा कि वे अपने स्थान के अतिरिक्त, अन्य स्थानों पर भी अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित तरीके से भुगतान करने और प्राप्त करने में सक्षम होंगे. व्यापारी व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने और भारतीय ग्राहकों से भुगतान स्वीकार करने में सक्षम होंगे. यूपीआइ का अंतरराष्ट्रीयकरण इस बात का प्रमाण है कि यूपीआइ भारत में सफलता का परचम लहराने के बाद वैश्विक भुगतान परिदृश्य को बाधित करने की क्षमता रखती है.

यह सुविधाजनक होने के साथ-साथ सुरक्षित भुगतान प्रणाली भी है, जो उपयोगकर्ताओं के खातों की सुरक्षा के लिए दो-कारक प्रमाणीकरण का उपयोग करती है. इसलिए लेनदेन के इतने बड़े प्रमाण के बाद भी धोखाधड़ी न्यूनतम है. वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में लागत बहुत अधिक है. यूपीआइ के अंतरराष्ट्रीयकरण से सीमा पार भुगतान की लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी. बीते वर्ष रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर यूरोपीय प्रणाली ‘स्विफ्ट’ में अचानक आयी रुकावट के बाद यूपीआइ को वैश्विक बनाने की मुहिम तेज हो गयी है.

चूंकि यूपीआइ भारतीय रुपये पर आधारित है, इसलिए इसके अंतरराष्ट्रीयकरण से अंतरराष्ट्रीय भुगतान आसानी से भारतीय रुपये में हो सकेगा. इससे पूर्व भारत से अंतरराष्ट्रीय भुगतान करने के लिए वीजा और मास्टरकार्ड सरीखी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा जारी क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल जरूरी था. यहां तक कि 2014 से पहले भारत में भी उपभोक्ताओं द्वारा मर्चेंट को ऑनलाइन भुगतान करने के लिए इन्हीं कार्डों का इस्तेमाल किया जाता था.

एक मोटे अनुमान के अनुसार, कुल लेनदेन के 2.5 प्रतिशत तक की राशि, भुगतान प्राप्त करने वाले मर्चेंट को, वीजा और मास्टर कार्ड को देनी पड़ती थी. इस लाभ को ये कार्ड कंपनियां अपने मूल देश ले जाती थीं. वर्ष 2014 में यह राशि एक अरब डॉलर से अधिक थी. एक समय ऑनलाइन भुगतानों में जिस वीजा और मास्टर कार्डों का एकाधिकार था, अब कार्ड व्यवसाय में भी इन दोनों कार्डों का हिस्सा रुपे कार्ड से कहीं कम रह गया है.

आज के कार्ड भुगतानों में रुपे कार्ड का योगदान 60 प्रतिशत तक पहुंच गया है और वीजा व मास्टर कार्ड का योगदान 40 प्रतिशत ही रह गया है. यदि कुल ऑनलाइन भुगतानों की बात की जाए, तो कार्डों का महत्व बहुत कम रह गया है, क्योंकि एक बैंक खाते से दूसरे खाते में, एक के वॉलेट से दूसरे के वॉलेट में राशि अंतरित करने के लिए यूपीआई समर्थित प्लेटफॉर्मों का कोई विकल्प नहीं है.

पिछले मार्च में, यूरोपीय संघ ने प्रमुख रूसी बैंकों को स्विफ्ट प्रणाली का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया था. यह प्रणाली विभिन्न देशों में धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है. इस कदम से भारत जैसे देशों में महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हुआ, जहां बैंक पारंपरिक रूप से रूस के साथ व्यापार करने के लिए स्विफ्ट पर निर्भर रहे हैं. तब से भारत, भारतीय रुपये में व्यापार के निपटान को बढ़ावा देने और इसे प्रभावी बनाने के लिए तंत्र विकसित करके समस्या का समाधान ढूंढने पर काम कर रहा है.

इस संबंध में 19 देशों के साथ व्यवस्था की गयी है और आरबीआइ ने पिछली जुलाई में विदेशी बैंकों को भारतीय रुपये में भुगतान का निपटान करने के लिए भारतीय बैंकों में ‘वोस्ट्रो’ खाते खोलने की अनुमति दी थी. एक समय था जब पश्चिमी देशों का वित्तीय दुनिया पर शासन था, उनका न केवल अंतरराष्ट्रीय वित्त पर, बल्कि भुगतान प्रणालियों पर भी नियंत्रण था.

वैश्विक भुगतान में स्विफ्ट का एकाधिकार था. इस पूरे परिदृश्य में, अंतरराष्ट्रीय निपटान के लिए रुपे और यूपीआइ को बढ़ावा देने और विदेशी बैंकों को भारतीय बैंकों में वोस्ट्रो खाता खोलने की अनुमति देकर रुपये में व्यापार के निपटान की सुविधा प्रदान करने का भारत का प्रयास, अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों में गेम चेंजर साबित हो सकता है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें