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विश्व आदिवासी दिवस : लोकसभा और विधानसभाओं में कितने आदिवासी सांसद-विधायक, यहां देखें पूरा लेखा-जोखा

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भारत की कुल आबादी में 8.6 फीसदी हिस्सेदारी आदिवासियों यानी अनुसूचित जनजातियों की है. लोकसभा और विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कुछ सीटें आरक्षित की गयीं हैं. विश्व आदिवासी दिवस पर जानते हैं कि देश में जनजातियों के लिए कितनी सीटें आरक्षित हैं.

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लोकसभा में 543 सीटें हैं, जबकि 31 राज्यों की विधानसभाओं में 4,123 विधायक हैं. लोकसभा एवं विधानसभा के सदस्यों का चयन सीधे वोटर करते हैं. लोकसभा की 412 सीटों पर सामान्य वर्ग के लोग चुनाव लड़ सकते हैं. 84 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं, जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित की गयीं हैं. पहले 79 सीटें एससी के लिए और 41 सीटें एसटी के लिए आरक्षित थीं. वर्ष 2008 में इसे बढ़ाकर 47 कर दिया गया. बावजूद इसके कई राज्य ऐसे हैं, जहां अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, नगालैंड, सिक्किम, पंजाब, पुडुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हैं. बता दें कि लोकसभा के लिए राष्ट्रपति अधिकतम दो एंग्लो इंडियन को सदस्य के रूप में नामित कर सकते हैं.

आदिवासियों के लिए आरक्षित लोकसभा व विधानसभा की सीटों का विवरण

भारत में कुल 36 राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश हैं. इनमें से अधिकतर राज्यों में लोकसभा की कुछ सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं. कुछ राज्यों की लोकसभा सीटों को एसटी के लिए आरक्षित नहीं किया गया है. जिन राज्यों में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित हैं, उनका पूरा विवरण इस प्रकार है. आंध्र प्रदेश में 42 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से 3 आदिवासियों (एसटी) के लिए आरक्षित हैं. इसी तरह असम की 14 में से दो, छत्तीसगढ़ की 11 में से 4, गुजरात की 26 में से 4, झारखंड की 14 में से 5, कर्नाटक की 28 में 2, मध्यप्रदेश की 29 में 6, महाराष्ट्र की 48 में 4, मणिपुर की दो में एक, मेघालय की दो में 2, मिजोरम की एकमात्र सीट जनजातियों के लिए आरक्षित है. झारखंड के पड़ोसी राज्य ओडिशा की 21 में 5, राजस्थान की 25 में 3, त्रिपुरा की 2 में एक, पश्चिम बंगाल की 42 में 2, दादरा एवं नगर हवेली और लक्षद्वीप की एकमात्र सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित की गयीं हैं.

लोकसभा : 17 राज्यों में आरक्षण
लोकसभा चुनावों के लिए भारत के 17 राज्यों में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित की गयीं हैं. ये राज्य असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, दादरा एवं नगर हवेली और लक्षद्वीप हैं.

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भारत के इन 3 राज्यों एवं 2 केंद्रशासित प्रदेशों में नहीं हैं आदिवासी
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़ और पुडुचेरी ऐसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हैं, जहां आदिवासियों की संख्या शून्य है. (स्रोत : ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट)

किस राज्य की विधानसभा में आदिवासियों के लिए कितनी सीटें हैं आरक्षित

भारत के 31 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 4123 विधायक हैं. इनमें 558 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. सबसे ज्यादा 59-59 एसटी विधायक अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में हैं. इन दोनों राज्यों में 60-60 विधानसभा सीटें हैं. मेघालय में विधानसभा की 60 सीटों में 55 आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. मध्यप्रदेश की 230 में से 47 सीटें आरक्षित हैं, जबकि मिजोरम की 40 में 39, छत्तीसगढ़ की 90 में 29, ओडिशा की 146 में 33, झारखंड की 81 में 28, गुजरात की 182 में 27, महाराष्ट्र की 288 में 25, राजस्थान की 200 में 25, त्रिपुरा की 60 में 20, मणिपुर की 60 में 19, असम की 126 में 16, पश्चिम बंगाल की 294 में 16, कर्नाटक की 224 में 15, सिक्किम की 32 में 12, तेलंगाना की 119 में 12, आंध्र प्रदेश की 175 में 7, हिमाचल प्रदेश की 68 में 3, बिहार की 243 में 2, तमिलनाडु की 234 में 2, केरल की 140 में 2 और उत्तराखंड की 70 में 2 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं.

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