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सीबीआइ की चार्जशीट में बड़ा खुलासा, तापस व कुंतल ने लिये करोड़ों रुपये

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अदालत ने रुपये देकर नौकरी हासिल करनेवाले शिक्षकों को लेकर सीबीआइ के समक्ष काफी पहले ही सवाल उठाया था कि शिक्षक भर्ती घोटाले में पैसे के बदले नौकरी खरीदने वाले शिक्षकों को सीबीआइ क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही है.

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शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने अलीपुर कोर्ट स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में 24 पन्नों की चार्जशीट पेश कर विस्फोटक दावा किया है. चार्जशीट के अनुसार, घोटाले में गिरफ्तार तापस मंडल और कुंतल घोष को एजेंटों और फर्जी तरीके से नौकरी के लिए घूस देने वाले अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये मिलने के आरोप हैं. तापस मंडल को चार करोड़ से ज्यादा की राशि मिली. जबकि, कुंतल घोष को तीन करोड रुपये से ज्यादा की रकम मिली. सूत्रों के अनुसार, चार्जशीट में बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले एजेंटों और घूस देकर नौकरी प्राप्त करने वाले आरोपी अभ्यर्थियों से करीब 4,12,85,000 रुपये मिलने की बात कही गयी है.

करीब 136 अभ्यर्थियों से 3,89,85,000 रुपये बतौर लिये गये घूस

इनमें एजेंटों की संख्या आठ बतायी गयी है, जिनके जरिये करीब 136 अभ्यर्थियों से 3,89,85,000 रुपये बतौर घूस लिये गये. पांच ऐसे आरोपी फर्जी शिक्षक भी हैं, जिन्होंने नौकरी के लिए सीधे मंडल को करीब 23 लाख रुपये दिये. पांच में चार फर्जी शिक्षकों में जहिदुद्दीन शेख , सैगर हुसैन, सिमर हुसैन और सौगत मंडल हैं, जिनकी गत सोमवार को अदालत के निर्देश पर गिरफ्तारी हुई थी, चारों फिलहाल 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे. आरोप है कि जहिदुद्दीन से मंडल को करीब 5.5 लाख रुपये मिले, जबकि सैगर से छह लाख रुपये, सिमर से पांच लाख रुपये और सौगत से 5.5 लाख रुपये मिले थे. एक अन्य फर्जी अभ्यर्थी आशिक अहमद से एक लाख रुपये मिले थे, जो अभी भी सीबीआइ की गिरफ्त से दूर है. इधर, तृणमूल युवा कांग्रेस के निष्कासित नेता व घोटाले में गिरफ्तार आरोपी कुंतल घोष को तीन एजेंटों के जरिये 71 अभ्यर्थियों से करीब 3.13 करोड़ मिलने का आरोप भी है.

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सीबीआइ अदालत ने चार फर्जी शिक्षकों को किया तलब

शिक्षक भर्ती घोटाले में अलीपुर कोर्ट की विशेष सीबीआइ अदालत ने चार फर्जी शिक्षकों को तलब किया था. सोमवार को वे अदालत में हाजिर हुए. इसके बाद कोर्ट ने चारों को गिरफ्तार कर 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेजने का निर्देश दिया. अदालत के इस आदेश के बाद हड़कंप मच गया. यह पहली बार है जब शिक्षक भर्ती घोटाले में रुपये देकर नौकरी खरीदने वाले फर्जी शिक्षकों को मामले में गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार शिक्षकों के नाम सिमर हुसैन, सौगत मंडल, जाहिदुद्दीन शेख और सैगर हुसैन बताये गये हैं. सभी मुर्शिदाबाद जिले के विभिन्न स्कूलों में नौकरी कर रहे थे. इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने रुपये देकर नौकरी हासिल करनेवाले शिक्षकों को लेकर सीबीआइ के समक्ष काफी पहले ही सवाल उठाया था कि शिक्षक भर्ती घोटाले में पैसे के बदले नौकरी खरीदने वाले शिक्षकों को सीबीआइ क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही है.

आप लोगों के कारण ही होनहार अभ्यर्थियों को नहीं मिली नौकरी

सीबीआइ ने उस समय अदालत में कहा कि इन शिक्षकों को गवाह बनाने का फैसला लिया गया है. इस जवाब के बाद अदालत ने जांच अधिकारियों को काफी फटकार लगायी थी. इसके बावजूद सीबीआइ ने आरोपी शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद सोमवार को जज अर्पण चटर्जी ने धारा 319 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुर्शिदाबाद के ऐसे चार शिक्षकों को कोर्ट में तलब किया.

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सभी आरोपियों को 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत, 

सुनवाई के दौरान अदालत ने इन आरोपियों से कहा कि पार्थ-कुंतल (पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और निष्कासित तृणमूल नेता और एजेंट) आपसे रुपये मांगने नहीं गये थे. आपने उन्हें रुपये देकर नौकरी हासिल की. आप कैसे गवाह बन सकते हैं. आपकी वजह से ही आज होनहार अभ्यर्थी अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं. आप सभी को आपके इस हरकत के लिए गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाये? न्यायाधीश के इन सवालों का चारों शिक्षकों के पास कोई जवाब नहीं था. जिसके बाद न्यायाधीश ने चारों शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश दिया.

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