17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 08:26 pm
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Explainer: मध्य प्रदेश में आदिवासी वोट को नाराज करके नहीं बना सकती कोई भी पार्टी सरकार, जानें क्या है समीकरण

Advertisement

MP Chunav 2023: अब बात करें साल 2018 के चुनाव की तो, इस साल आदिवासी वोट बैंक ने करवट ली और सत्ता में परिवर्तन हुआ. इस साल कांग्रेस पंद्रह साल बाद सत्ता में लौटी. जानें मध्य प्रदेश में क्यों है आदिवासी वोट बैंक खास

Audio Book

ऑडियो सुनें

MP Chunav 2023 : मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली है. दोनों ही पार्टियों की नजर अपने कोर वोटर पर है. इसके साथ वे हर वर्ग के वोटर को साधने में जुटे हुए हैं…खासकर आदिवासी वोट पर पार्टियों का खास ध्यान है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार आदिवासियों को साधने में जुट गयी है लेकिन हालिया तीन घटनाओं ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. सीधी पेशाब कांड और मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में हुई घटना के बाद बीजेपी पर कांग्रेस हमलावर है. तो आइए एक नजर डालते हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी वोट पर…

साल 2003 का विधानसभा चुनाव और 2018 चुनाव के परिणाम को देखकर आप सहज रूप से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब-जब आदिवासी वोट बैंक ने करवट बदली है, तब-तब मौजूदा सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा है. 2003 के चुनाव की बात करें तो इस साल दि‍ग्विजय सिंह को सत्‍ता से बाहर होना पड़ा था, वहीं 2018 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. 2018 में कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ था और कमलनाथ प्रदेश के सीएम बने थे.

आपको बता दें कि मध्‍य प्रदेश में कुल 47 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित रखी गयी है. इसके अलावा इन्हें मिलाकर 84 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आदिवासी वोट का प्रभाव साफ नजर आता है. प्रदेश में 230 विधानसभा सीट हैं. इसका मतलब ये हुआ कि उपरोक्त 84 सीटे विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी की सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ाती है. यही वजह है कि कोई भी पार्टी आदिवासियों को नाराज कर इन सीटों को खतरे में नहीं डालना चाहती है.

Also Read: Explainer: शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर बीजेपी को भरोसा नहीं? अमित शाह के मध्य प्रदेश दौरे के क्या हैं मायने

आदिवासी आरक्षित सीटों की स्थिति पर एक नजर

1. साल 2003 की बात करें तो इस साल दिग्विजय सिंह की सरकार थी. 2003 में जब चुनाव हुए तो आदिवासी वोट बैंक पर बीजेपी ने सेंधमारी कर दी. बीजेपी को उस समय आदिव‍ासियों के लिए अरक्षित 41 सीटों में से 37 सीटो पर जीत मिली. नतीजा दिग्विजय सरकार सत्‍ता से बाहर हो गयी और सत्ता पर बीजेपी काबिज हुई.

2. साल 2008 के चुनाव पर नजर डालें तो इस वर्ष भी आदिवासियों ने भाजपा का साथ दिया. परिसीमन की वजह से आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्‍या 41 से बढ़कर 47 हो गयी. बीजेपी ने 47 में से 29 सीटों पर जीत का परचम लहराया. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस सत्‍ता से बाहर रही और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी सत्ता पर काबिज नजर आयी.

3. साल 2013 के चुनाव में भी बीजेपी आदिवासी वोटों को अपने पक्ष में रखनें में कामयाब रही. इस साल 47 में से 31 सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया. नजीजा सबके सामने आया और मध्‍य प्रदेश में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनी.

Also Read: पंचायत चुनाव हिंसा पर बोले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, बंगाल में जो हो रहा है वो ‘डरावना और भयावह ‘ है

साल 2018 का चुनाव: कांग्रेस का वनवास हुआ था खत्म

अब बात करें साल 2018 के चुनाव की तो, इस साल आदिवासी वोट बैंक ने करवट ली और सत्ता में परिवर्तन हुआ. जनता कांग्रेस का साथ देती नजर आयी. आविवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की, एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार जीते. वहीं बीजेपी के खाते में 16 सीटें ही आ सकी. इसके बाद बीजेपी 15 साल बाद सत्‍ता से बाहर हो गयी और कांग्रेस अपना लंबा वनवास खत्‍म कर सत्‍ता में लौटी और प्रदेश की कमान कांग्रेस ने कमलनाथ के हाथों में दी. हालांकि कमलनाथ की सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया ने कांग्रेस से बगावत कर दी और नाराज विधायकों के साथ उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

आदिवासी बाहुल्‍य सीटों की स्थिति पर नजर

साल 2013 : बीजेपी ने आदिवासी बाहुल्‍य 84 में से 59 सीटों पर जीत दर्ज की थी और सरकार में बनी रही थी.

साल 2018 : साल 2018 में आदिवासियों ने बीजेपी को नजरअंदाज कर दिया था. इस साल बीजेपी 84 में से 34 सीटें ही जीत सकी और सत्‍ता से बाहर हो गयी.

जनसंख्‍या के आंकड़े पर नजर

साल 2011 की जनगणना पर नजर डालें तो मध्‍य प्रदेश की कुल जनसंख्‍या 7 करोड़ से ज्यादा है. इसमें आदिवासियों की जनसंख्‍या करीब डेढ़ करोड़ है यानी करीब 21 से 22 प्रतिशत है. इतना बड़ा कोई भी समुदाय किसी भी पार्टी को सत्‍ता तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहते और अपने से जोड़कर रखना चाहते हैं.

वर्तमान में कांग्रेस क्यों है बीजेपी पर हमलावर जानें

वर्तमान में बीजेपी पर कांग्रेस लगातार हमलावर है वो भी आदिवासियों से संबंधित मामले को लेकर. दरअसल, सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब करने की घटना को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है कि सिंगरौली में बीजेपी विधायक रामलल्लू वैश्य के बेटे विवेकानंद वैश्य ने एक आदिवासी युवक को गोली मार दी. आइए जानते हैं इन दोनों घटना के बारे में

Also Read: सीधी पेशाब कांड: पीड़ित दशमत को दी गयी आर्थिक मदद, कल सीएम शिवराज ने धोए थे पैर

सीधी पेशाब कांड

सीधी कांड अभी भी लोगों के जेहन में जिंदा है. जी हां…बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ल पर एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का आरोप लगा है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. आरोपी बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ल को गिरफ्तार करने के बाद उस पर NSA की तहत धराएं लगाई गयी. मध्य प्रदेश के सीधी से एक वीडियो वायरल हुआ जिसके बाद राजनीति गरम हो गयी. इस वीडियो में युवक गरीब और बेसहारा शख्स के ऊपर पेशाब करते हुए सिगरेट भी फूंकता नजर आ रहा है. आरोपित का नाम प्रवेश शुक्ला है, जो खुद को विधायक प्रतिनिधि बताता है. मामले पर कांग्रेस हमलावर हुई तो प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित के पैर धोये जिसका फोटो और वीडियो भी सामने आया.

Also Read: मध्यप्रदेश: अब बीजेपी विधायक के पुत्र ने आदिवासी शख्स को मारी गोली, कांग्रेस चुनाव के पहले हुई हमलावर

सिंगरौली जिले की घटना

मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले से शुक्रवार को एक खबर आयी जिसके बाद कांग्रेस हमलावर है. दरअसल, यहां बीजेपी के विधायक के बेटे ने मामूली विवाद पर 34 साल के एक आदिवासी व्यक्ति को कथित तौर पर गोली मार दी जिससे वह घायल हो गया. बताया जा रहा है कि आरोपी एक अन्य मामले में फिलहाल जमानत पर है. पुलिस के एक अधिकारी ने इस बाबत जानकारी दी है.

झाबुआ जिले की घटना

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की एक खबर पिछले दिनों सुर्खियों में रही. जानकारी के अनुसार यहां एक सरकारी छात्रावास में नाबालिग आदिवासी लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में एक अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) को गिरफ्तार किया गया. मामले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आयी. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने कहा था कि फिर एक आदिवासी महिला के साथ घटना हुई है. यहां चीता, महिला और आदिवासियों के सम्मान की रक्षा नहीं हो सकती. इस प्रदेश में केवल ठेकेदारों और भ्रष्टाचारियों की रक्षा होती है.

Also Read: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव : बीजेपी ने कुशल रणनीतिकार नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक

मध्य प्रदेश में होने वाले हैं विधानसभा चुनाव

यहां चर्चा कर दें कि मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस अपने कोर वोटर यानी आदिवासी वोट बैंक पर खास फोकस कर रही है. पिछले चुनाव में कांग्रेस पंद्रह साल बाद सत्ता पर काबिज हुई थी. हालांकि इसके बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिंया ने कांग्रेस से बगावत कर दी जिससे कमलनाथ सरकार गिर गयी और शिवराज सिंह चौहान फिर प्रदेश के सीएम बने.

पीएम मोदी का मध्य प्रदेश का दौरा

पीएम मोदी जुलाई के पहले सप्ताह में मध्य प्रदेश पहुंचे थे. प्रदेश के शहडोल में पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित भी किया था. पीएम मोदी का यह लगातार दूसरा मध्य प्रदेश दौरा था. अपने दौरे में पीएम मोदी ने आदिवासी जनजातियों को कई सौगात दी. अपने दौरे में पीएम मोदी ने रानी दुर्गावती गौरव दिवस समारोह का समापन किया था. इसके अलावा पीएम मोदी ने बीजेपी के राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ भी किया था. पीएम मोदी ने शहडोल में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्डों के वितरण की भी शुरुआत की थी.

Also Read: बीजेपी में कितना बढ़ा ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद ? मध्य प्रदेश चुनाव से पहले जानें खास बातें

पीएम मोदी की इस यात्रा को राजनीति और चुनाव से जोड़कर भी देखा गया. चूंकि, शहडोल एक आदिवासी बहुल इलाका है और पीएम मोदी के दौरे को आदिवासी समुदाय को साधने से जोड़ा जा रहा है. बता दें, इससे पहले अप्रैल के महीने में भी पीएम मोदी मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. पीएम मोदी ने अप्रैल में मध्य प्रदेश के भोपाल और रीवा का दौरा किया था. कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी का यह चुनावी दौरा था और वो एमपी में आदिवासी समुदाय को साधने में लगे हैं.

अब देखना है कि इस चुनाव में यानी विधानसभा चुनाव 2023 में आदिवासी वोट किसके खाते में जाता है. बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के नेता आदिवासी क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में लोगों से वोट डालने की अपील कर रहे हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें