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पाकुड़-बरहरवा में बढ़ी कनेक्टिविटी, जाम से मिलेगी निजात

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विधानसभा अध्यक्ष के पास कई शक्तियां होती हैं, लेकिन अलग से कोई फंड नहीं होता. फिर भी मैंने काफी प्रयास किया. कई ऐसी योजनाएं धरातल पर उतरीं, जो अभी दिखाई पड़ रही हैं.

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झारखंड अलग राज्य बनने के समय पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में बिजली और पानी के साथ-साथ पाकुड़ -बरहरवा कनेक्टिविटी की सड़कें नहीं थीं. गुमानी नदी पर कई स्थानों पर पुल नहीं थे. किसानों के लिए खेतों में सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. विपक्ष में था, तब भी अपने क्षेत्र के लिए विधानसभा में आवाज उठाता था. जब वर्ष 2006-09 विधानसभा अध्यक्ष के रूप में मुझे कार्य करने का मौका मिला, तब भी मैं अपने क्षेत्र के लिए चिंतित रहता था क्योंकि संसाधन की कमी थी.

विधानसभा अध्यक्ष के पास कई शक्तियां होती हैं, लेकिन अलग से कोई फंड नहीं होता. फिर भी मैंने काफी प्रयास किया. कई ऐसी योजनाएं धरातल पर उतरीं, जो अभी दिखाई पड़ रही हैं. आज बच्चियों की पढ़ाई से लेकर विवाह तक, बच्चों के बड़े होने से लेकर मनरेगा में काम, विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी की भरमार है. आने वाले दिनों में हम पाकुड़ विधानसभा को उस स्थान पर देखना चाहते हैं, जहां मूलभूत समस्या लोगों को न हो सके. बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई, रोजगार, पुल, पुलिया, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी क्षेत्र में काम हो और इसका लाभ शत-प्रतिशत लोगों को मिल सके.

किसानों को मिला कोल्ड स्टोरेज व जूट प्रोसेसिंग प्लांट:

पाकुड़ के किसानों के अनाज एवं अन्य हरी सब्जियां के रख-रखाव के लिये विक्रमपुर के पास एक बड़ा-सा कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराया गया है, ताकि क्षेत्र के किसान अपनी कच्ची सामग्री यहां पर रख सके. पाकुड़ और बरहरवा में जूट की खेती होती है, लेकिन यहां पर किसानों को इसका कोई उचित लाभ नहीं मिल पाता था. अब जूट (पटसन) के लिए प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण कराने जा रहे हैं.

बरहरवा व पाकुड़ में बाइपास का प्रस्ताव तैयार:

बरहरवा शहर में अक्सर जाम लगता है, इसके लिये लबदा के पास एक आरओबी का निर्माण होने वाला है. बरहरवा शहर में भारी वाहन न पहुंचे, इसके लिये बरहरवा, दिग्घी, केसरो भाया कुम्हरिया, बुढ़ी पहाड़, अम्बेरी व चपांडे होते हुए एक बाइपास का निर्माण भी होगा. पाकुड़ शहर में जाम से मुक्ति के लिए पाकुड़ शहर कोल से प्यादापुर बाइपास सड़क का भी प्रस्ताव तैयार हो गया है.

इन दोनों सड़कों के निर्माण से पाकुड़ एवं बरहरवा शहर में भारी वाहनों का प्रवेश नहीं होगा, इससे जाम की समस्या से निजात मिलेगी. वहीं, बरहरवा में महाराजपुर रेल फाटक से 300 मीटर पीछे एनएच 80 तक एक और आरओबी (रोड ओवर ब्रिज) का निर्माण कराया जायेगा. इसका सर्वे हो चुका है, इसका भी बहुत जल्द कैबिनेट में स्वीकृति देकर टेंडर निकाला जायेगा. इसके अलावा ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल से करीब दो दर्जन स्थानों पर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हो चुका है. जो सड़कें अभी अधूरी है, आने वाले 6 महीने के अंदर उसका भी टेंडर हो जायेगा. इस प्रकार हमारे पाकुड़ एवं बरहरवा दोनों प्रखंडों में सड़कों का जाल बिछ जायेगा.

हाइस्कूल को प्लस टू में अपग्रेड कराकर दी जा रही है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा:

ग्रामीण स्तर पर उच्च विद्यालय को प्लस टू विद्यालय में अपग्रेड कराकर ग्रामीण बच्चों को उसके गांव में इंटर तक पढ़ाई करने की व्यवस्था की जा रही है. अब तक आधा दर्जन हाइस्कूल को प्लस टू में अपग्रेड कर दिया गया है. शिक्षक की भर्ती अभी लगातार हो रही है. अभी राज्य में भारी पैमाने पर शिक्षक की बहाली होगी.

ग्रामीण स्तर पर शिक्षक की अब कोई कमी नहीं होगी. जब शिक्षक की कमी नहीं होगी तो विद्यालय में बच्चों का पठन-पाठन सही तरीके से होगा, उनका कोर्स भी समय पर कंप्लीट होगा और ग्रामीण स्तर के बच्चे अब बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे.

मेधावी बच्चों को मुफ्त में मैट्रिक के बाद अच्छी शिक्षा देने के लिये राज्य स्तरीय आकांक्षा योजना में सीटों को बढ़ा दिया गया है. पहले 40-40 सीटें थीं, लेकिन अब मेडिकल में 75 एवं इंजीनियरिंग में 100 सीटें हैं. इसमें बच्चों के रहने से लेकर खाने एवं पढ़ाई तक का सारा खर्च राज्य सरकार उठाती है.

गुमानी नदी पर छह बड़े पुल बने, आवागमन हुआ आसान

पाकुड़ विधानसभा में साहिबगंज जिला का बरहरवा संपूर्ण क्षेत्र एवं पाकुड़ सदर प्रखंड मिलाकर पाकुड़ विधानसभा बना है. इन दोनों के बीच गुमानी नदी पड़ती है. एक वक्त था, जब गुमानी नदी पर एक भी पुल नहीं था. लोग नाव के सहारे गुमानी नदी पार करते थे. मुझे आज भी वह दृश्य याद है. जब मैं ग्रामीण क्षेत्र का दौरा करने जाता था तो ग्रामीण पुल बनाने की मांग करते थे. आज गुमानी नदी पर छह बड़े-बड़े पुल बने हैं. इस पुलों के सहारे अब लोग आसानी से एक-दूसरे गांव आ-जा सकते हैं.

पावर ग्रिड और सब स्टेशन के निर्माण से क्षेत्र होगा रोशन

पाकुड़ क्षेत्र में बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है. और बेहतर बनाने के लिये बरहेट में एक पावर ग्रिड का निर्माण हो रहा है. पाकुड़ में तीन और पावर सबस्टेशन का निर्माण भी तेजी से चल रहा है. जब ग्रामीण स्तर पर पावर सब स्टेशन की संख्या बढ़ेंगी, तब लो वोल्टेज की समस्या नहीं होगी. आजादी के बाद से ही कई ऐसे गांव थे, जहां पर बिजली के तार भी नहीं पहुंचे थे. अब 24 घंटे के अंदर जरूरत के हिसाब से बिजली के पोल व तार पहुंचाया जा रहा है. खराब होने की सूचना मिलते ही अब एक-दो दिनों में ही ट्रांसफॉर्मर बदल दिया जाता है.

ग्रामीण स्तर पर भी बनी पानी टंकी

लोगों को शुद्ध पेयजल प्राप्त हो, इसके लिये लगातार काम कर रहे हैं. बरहरवा शहर में जलापूर्ति योजना के लिये बड़ी पानी की टंकी बनायी गयी है. गुमानी में गुमानी नदी से लोगों को घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिये काकजोल में बड़ी पानी की टंकी का निर्माण कराया गया है. यहां से पाइप लाइन के माध्यम से लोगों को पानी मिल रही है. कोटालपोखर देहात में एक बड़ी पानी टंकी बनी है, यहां से शहर के सभी लोगों को पानी मिल रहा है. ग्रामीण स्तर पर छोटे-छोटे यूनिट पेयजल के लिये लगाये जा रहे हैं.

विधायक निधि, डीएमएफटी फंड तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से चापाकल व पानी टंकी का निर्माण कराया जा रहा है ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके. आने वाले चार सालों के लिए प्लान तैयार किया गया है, इससे कहीं भी पेयजल की समस्या नहीं होगी. किसानों के खेतों के लिये बोरिंग एवं मनरेगा योजना से सिंचाई कूप का निर्माण कराया जा रहा है. बरहरवा एवं पाकुड़ क्षेत्र में करीब एक हजार से अधिक सिंचाई कूप का निर्माण कराया गया है, जिससे किसानों को खेती में सुविधा होगी. गुमानी नदी के किनारे भी सिंचाई की दिक्कत न हो, इसके लिये भी कई स्थानों पर पंपसेट लगाये गये हैं. गुमानी नदी में बोल्डर क्रेटिंग का कार्य भी किया गया है ताकि इसका कटाव न हो सके. पहले दिन प्रतिदिन कटाव बढ़ता जाता था, अब ऐसा नहीं है.

सदर अस्पताल से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र तक बदल रही सूरत

पाकुड़ सदर अस्पताल में पहले डॉक्टर एवं दवा की कमी रहती थी, आज किसी चीज की कोई कमी नहीं है. साफ-सफाई का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. एक्स-रे, सीटी स्कैन सभी तरीके के आधुनिक जांच के साधन सदर अस्पताल में मौजूद हैं. वहीं, ग्रामीण स्तर पर उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी तो है लेकिन एएनएम एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की देख-रेख में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हुई है. डॉक्टर की कमी का एकमात्र कारण है, झारखंड में मेडिकल कॉलेज की कमी होना.

झारखंड में कई स्थानों पर मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं, यहां से डॉक्टर निकलेंगे. आने वाले दिनों में भी इस समस्या का समाधान हो जायेगा क्योंकि झारखंड के डॉक्टर अपनी सेवा झारखंड में देंगे तो यहां के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. दवा की भी कोई कमी नहीं हो रही है. ग्रामीण स्तर पर एंबुलेंस की सेवा दी जा रही है. दुमका, देवघर, रांची सभी जगह के लिए यहां से फ्री में एंबुलेंस भी उपलब्ध हैं.

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