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चंद्रमा की ओर बढ़ा चंद्रयान-3, इसरो ने दी ये ताजा जानकारी

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चंद्रयान-3 अपने साथ छह उपकरण ले गया है जो चंद्रमा की मिट्टी से संबंधित समझ बढ़ाने में मदद करेगा. साथ ही चंद्र कक्षा से नीले ग्रह की तस्वीरें लेने में इसरो की सहायता करेगा. जानें किस हाल में है चंद्रयान-3

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चंद्रयान-3 के बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं. इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को चंद्रयान-3 को लेकर ताजा जानकारी दी और बताया कि यान कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के आसपास अपनी कक्षाओं का चक्कर पूरा कर लिया है और अब वह चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है.

इसरो की ओर से कहा गया कि इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में चंद्रयान-3 को चंद्रमा के करीब ले जाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. इसरो ने चंद्रयान का ट्रांसलूनर कक्षा में प्रवेश कराया. अगला कदम हमारा चंद्रमा है. जब वह चंद्रमा पर पहुंचेगा तो पांच अगस्त 2023 को लूनर-ऑर्बिट इंसर्शन (चंद्र-कक्षा अंतर्वेश) की योजना है. इसरो के एक अधिकारी बताया कि मंगलवार को ट्रांसलूनर-इंजेक्शन (टीएलआई) के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल गया और अब वह उस पथ पर अग्रसर है जो उसे चंद्रमा के करीब ले जाएगा.

इसरो ने कहा है कि वह आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा. इससे पहले, चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किये जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है.

प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 31 मिनट का लगा समय

धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रयान-3 सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात चंद्रमा की ओर बढ़ गया. इसरो ने इसके लिए ट्रांस-लूनर इंजेक्शन का इस्तेमाल किया. ट्रांस-लूनर इंजेक्शन के लिए वैज्ञानिकों ने बेंगलुरु स्थित इसरो हेडक्वार्टर से चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया. जैसे ही चंद्रयान पृथ्वी से 236 किमी की दूरी पर पहुंचा, वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट में लगे थ्रस्टर्स में फायरिंग कर दी. इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 31 मिनट का समय लगा.

1. 2 लाख किमी का सफर 51 घंटे में करता है तय

चंद्रयान-3 को 1. 2 लाख किमी का सफर तय करने में करीब 51 घंटे का समय लगता है. जबकि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी 3.8 लाख किमी है. बहरहाल किसी भी दिन वास्तविक दूरी पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर अलग होगी.

इस बार लैंडर में पांच की जगह चार इंजन

इस बार लैंडर में चार इंजन (थ्रस्टर) ही लगे हैं. ये चारों इंजन चारों कोनों पर लगे हैं. पिछली बार जो इंजन बीचोबीच लगा था, उसे हटा दिया गया है. फाइनल लैंडिंग दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें.

अब तक का चंद्रयान-3 के सफर पर एक नजर

-14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36500 km के ऑर्बिट में छोड़ने का काम इसरो की ओर से किया गया था.

-15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41762 km x 173 km कर दिया गया.

-17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41603 km x 226 km कर दिया गया.

-18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km कर दिया गया.

-20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71351 x 233 Km कर दिया गया.

-25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 127609 km x 236 km कर दिया गया.

-31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ गया है चंद्रयान-3.

इसरो के चंद्रयान मिशन के घटनाक्रम पर एक नजर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रमा तक पहुंचने के मिशन का घटनाक्रम इस प्रकार है-

-15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम का ऐलान किया.

-22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.

-आठ नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.

Also Read: Chandrayaan-3 Updates : लॉन्चिंग के बाद अब किस हाल में है चंद्रयान-3, जानें इसरो ने क्या बताया

-14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी.

-28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई.

-22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था.

-20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.

-दो सितंबर 2019 को चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

-14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी है जिसकी जानकारी लगातार इसरो दे रहा है.

-23/24 अगस्त 2023 को इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना तैयार की है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.

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