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विपक्षी पार्टियों का डेलिगेशन मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा. इसके अलावा राहत शिविरों का भी दौरा करेगा. कांग्रेस की ओर से बताया गया कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों का दौरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुमति मिल गयी है.

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मणिपुर इस समय हिंसा की आग में जल रहा है. कुकी और मैतेई समुदाय के लोग एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गये हैं. 3 मई से शुरू हुई हिंसा में अबतक 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी है. सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो गये हैं. दोनों समुदायों के बीच जातीय हिंसा में न तो बच्चों पर रहम किया जा रहा है और न ही महिलाओं को बख्शा जा रहा है. राज्य में लगातार खराब होती जा रही स्थिति को लेकर सड़क से संसद तक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इस मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को विपक्षी दल लगातार निशाने पर ले रहे हैं. इस बीच विपक्षी दलों की दो टीम मणिपुर के दौरे पर है.

30 जुलाई तक मणिपुर दौरे पर रहेगा विपक्षी पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवपलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों के 20 सांसद मणिपुर दौरे पर हैं. वे जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद हिंसा प्रभावित राज्य में समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार तथा संसद को अपनी अनुशंसा देंगे. इन विपक्षी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 29-30 जुलाई तक मणिपुर दौरे पर रहेगा.

विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं शामिल

इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और फूलोदेवी नेताम, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल हेगड़े, तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी, द्रमुक की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके पार्टी के टी थिरुमावलवन शामिल हैं. इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, जदयू के अनिल हेगड़े भाकपा के संदोश कुमार, माकपा के ए ए रहीम, समाजवादी पार्टी के जोवद अली खान, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता, द्रमुक के डी रवि कुमार और आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर भी इस प्रतिनिमंडल का हिस्सा हैं.

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डिलेगेशन को दो हिस्सों में बांटा गया

बताया जा रहा है 20 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को दो हिस्सों में बांटा गया है. टीम ए और टीम बी के रूप में. दोनों टीमें राज्य के अलग-अलग हिस्से का दौरा करेगी और मौजूदा हालात के बारे में जानकारी लेगी.

प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों का दौरा करेगा डेलिगेशन

विपक्षी पार्टियों का डेलिगेशन मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा. इसके अलावा राहत शिविरों का भी दौरा करेगा. कांग्रेस की ओर से बताया गया कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों का दौरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुमित मिल गयी है. डेलिगेशन मणिपुर के राज्यपाल से भी मुलाकात करेगा.

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कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से मामले की जांच कराने की मांग की

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की. गोगोई ने कहा, भाजपा यह तस्वीर पेश चाहती है कि मणिपुर में सबकुछ ठीक है, जबकि हिंसा अब भी जारी है. इसलिए हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराई जाए कि यह सब कैसे हुआ. उन्होंने प्रदेश सरकार पर विफलता का आरोप लगाया और सवाल किया कि इतने लोगों को हथियार कैसे मिले? गोगोई ने कहा, मैं मणिपुर जाऊंगा और सच्चाई का पता लगाऊंगा। उस सच्चाई को संसद के सामने रखूंगा.

हम मणिपुर के साथ खड़े: सुष्मिता देव

डेलिगेशन की हिस्सा तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं. उन्होंने कहा, हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि राज्य में शांति लौटे… सरकार विफल रही है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है.

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डेलिगेशन के अन्य सदस्यों ने क्या कहा

द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल पता लगाएगा कि मणिपुर में क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ है. आरएसपी के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस दौरे का लक्ष्य राज्य में होने वाली घटनाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करना है. उन्होंने कहा, हिंसा अभी भी जारी है, इसलिए हम प्रत्यक्ष रूप से जानकारी हासिल करना चाहेंगे तथा लोकसभा में चर्चा से पहले सरकार और संसद को कुछ समाधान एवं सिफारिशें सुझाना चाहेंगे.

मणिपुर हिंसा मामले को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है.

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कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ पेश किया अविश्वास प्रस्ताव

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी. उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे.

दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने वाला वीडियो वायरल होने के बाद बिगड़े हालात

मणिपुर में स्थिति सामान्य होती दिख रही थी, लेकिन 19 जुलाई को सोशल मीडिया में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने का वीडियो सामने आने के बाद फिर से स्थिति खराब हो गया. मणिपुर ही नहीं, इस वीडियो को देखने के बाद पूरा देश गुस्से से लाल हो गया. सड़क से संसद तक विरोध होने लगा. विपक्ष केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और मणिपुर की एन बीरेन सिंह सरकार को निशाने पर लिया. आनन-फानन में महिलाओं के साथ बर्बरता करने वाले 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जबकि इस मामले में शामिल अन्य लोगों की भी खोज की जा रही है. वीडियो भले ही 19 जुलाई को देश के सामने आया, लेकिन यह खिनौना काम 4 मई को हुआ था. जिसमें 1000 लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल उठाया जा रहा है.

3 मई को शुरू हुई हिंसा में अबतक 160 लोगों की हो चुकी है मौत

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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