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यूपी में नंदिनी कृषक बीमा योजना से आएगी श्वेत क्रांति, देसी नस्ल की गाय को मिलेगा बढ़ावा

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उत्तर प्रदेश में नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत श्वेत क्रांति लाई जाएगी. इसके लिए नंदिनी कृषक समृद्धि योजना प्रारंभ करने का प्रस्ताव किया जा रहा है. इस योजना के तहत पशुपालकों एवं कृषकों को 25 स्वदेशी उन्नतशील नस्ल की गाय उपलब्ध कराई जाएगी.

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Lucknow : सूबे में जल्द ही नंदिनी कृषक समृद्ध योजना शुरू की जाएगी. पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत प्रदेश में श्वेत क्रान्ति लाई जाएगी. इसके लिए ‘नन्दिनी कृषक समृद्ध योजना प्रारम्भ करने का प्रस्ताव किया जा रहा है. जिसके तहत पशुपालकों एवं कृषकों को 25 स्वदेशी उन्नतिशील नस्ल की गाय उपलब्ध कराई जाएंगी. जिससे दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और श्वेत क्रान्ति की परिकल्पना साकार होगी.

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नंदिनी कृषक समृद्धि योजना से देसी नस्ल को बढ़ावा मिलेगा और कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में कृषकों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर यह योजना साबित होगी.

पशुधन और दुग्ध विकास मंत्री ने गुरुवार को विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में कृत्रिम गर्भाधान और दुग्ध उत्पादन कार्यक्रम पर समीक्षा की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिन जनपदों में पशुओं में लंपी रोग के संक्रमण की कोई भी सूचना प्राप्त हो वहां तत्काल वैक्सीनेशन एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं और किसी भी दशा में संक्रमण फैलने न पाये और रोग के बचाव एवं रोकथाम के सभी उपाय किये जाएं.

उन्होंने निर्देश दिया कि लम्पी रोग की संभावना के दृष्टिगत प्रदेश स्तर पर लम्पी रोग के मानिटरिंग नोडल अधिकारी नामित किया जाए और उसके द्वारा नियमित रूप से अनुश्रवण किया जाए. उन्होंने निदेशालय में कन्ट्रोल रूम की स्थापना किये जाने के भी निर्देश दिए.

बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने विभागीय मंत्री को अवगत कराया कि लम्पी स्किन डिजीज के लिए विशेष रूप से नई वैक्सीन तैयार की गई है, जिसका ट्रायल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बलरामपुर, गोरखपुर और मथुरा में किया जा रहा है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि पशुचिकित्साधिकारी ब्लाक स्तर पर जाकर कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रमों के संचालन में सहयोग करें और विभिन्न योजनाओं के लक्ष्यों को शीघ्र ही पूरा करें.

कानपुर में निजी हाथों से होगा पराग डेयरी का संचालन

पराग के साकेत नगर में लगे नए स्वचलित दुग्ध प्लांट का संचालन अब निजी हाथों में होगा. राज्य सरकार प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (PCDF) के प्लांट को दोबारा जीवित करने के लिए विभाग ने एस्टीमेट बनाने का काम भी शुरू कर दिया है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो प्लांट को निजी हाथों में सौंपने से पहले किसानों और पुराना बकाया चुकाना प्राथमिकता होगी. शासन से मिले निर्देश के बाद शहर में पराग से जुड़े अधिकारी काम में जुट गए हैं.

कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा

दुग्ध विकास विभाग ने कानपुर समेत 6 जिलों के प्लांट को पट्टे पर देने की तैयारी की है. इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) और रिक्वेस्ट फॉर कोटेशन (RFQ) तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है. इसी क्रम में कानपुर स्थित पराग डेयरी के प्लांट को पट्टे पर चलाने के लिए शासन स्तर से एस्टीमेट मांगा गया है.

तैयार किया जा रहा है एस्टीमेट

पराग के महाप्रबंधक सर्वेश कुमार ने बताया कि एस्टीमेट बनाने का काम शुरू हो गया है, इसके साथ ही वित्तीय बैलेंसशीट भी बनाई जा रही है, ताकि पराग डेयरी की मौजूदा आर्थिक स्थिति का सही आंकलन लग सके. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ जो भी बकाया डेयरी पर है, उसको अदा करना सरकार की प्राथमिकता में है. वहीं 20 करोड़ से ज्यादा की रकम किसानों को चुकाई जानी है.

आखिर क्यों पराग की आई ऐसी नौबत

सरकार ने अवस्थापना विकास विभाग की निधि और नाबार्ड की ग्रामीण अवस्थापना विकास निधि से कर्ज लेकर कानपुर समेत कई जिलों में नया प्लांट लगाया है. पीसीडीएफ के नवनिर्मित उच्चीकृत डेयरी प्लांट में लगातार नुकसान होने, मानव संसाधन न होने और पुराने कर्ज मुसीबत बने हुए हैं.

कानपुर में 1962 में शुरू हुई थी पराग डेयरी

कानपुर में 1962 में शुरू हुई पराग डेयरी लगभग बंदी की कगार पर आकर खड़ी हो गई है. सूत्रों के अनुसार शहर में पराग पर 12 करोड़ से ज्यादा की देनदारी है. इसमें नगर निगम का गृह कर, जलकल और सीवर कर का ही छह करोड़ से ज्यादा बकाया है.

प्लांट को चलाने के कई प्रयास हुए फेल

नए प्लांट को शुरू करने के कई प्रयास हुए लेकिन, उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. पिछले साल 2022 में तत्कालीन जीएम ब्रज मोहन त्यागी ने नए प्लांट को बैंक से कर्ज लेकर शुरू करने की भी कागजी कार्रवाई की. लेकिन, कोई बैंक राजी नहीं हुआ. इस दौरान पीएनजी (पाइप नेचुरल गैस) से प्लांट को शुरू करने के लिए भी प्रयास हुए.

अधिकारियों द्वारा गैस के इंड्रस्ट्रियल कनेक्शन के लिए संपर्क के बाद सीयूजीएल के अधिकारियों ने प्लांट का का निरीक्षण भी किया था. अधिकारी चाहते थे कि प्लांट का नवंबर 2022 में ट्रायल भी हो लेकिन सफलता नहीं मिली.

2013 को बंद हुआ था पुराना प्लांट

प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लखनऊ द्वारा प्रदेश के 10 शहरों में अत्याधुनिक स्वचालित ग्रीनफील्ड डेयरी प्लांट स्थापित किए जाने की योजना बनाई. जिसके अंतर्गत कानपुर के साकेत नगर में भी चार लाख लीटर क्षमता का स्वचलित डेयरी प्लांट स्थापित किया गया. इससे पहले 50 हजार की क्षमता वाला पुरानी डेयरी एक अगस्त 2013 में बंद कर दी गई थी. जर्जर मशीनों की वजह से पुराना प्लांट बंद करना पड़ा था.

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