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हाइकोर्ट ने शिक्षा विभाग काे 50 हजार रुपये जुर्माना भरने का दिया निर्देश, 12 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

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हाइकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यदि प्रमुख सचिव के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को है.

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पश्चिम बंगाल में वर्ष 2012 में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली के आरोप में कलकत्ता हाइकोर्ट में केस चल रहा था. इस बार कलकत्ता हाइकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने उस मामले में राज्य शिक्षा विभाग को 50 हजार रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया है. मंगलवार को उन्होंने आदेश दिया कि अगले 10 दिनों के भीतर यह पैसा हाइकोर्ट की ‘कानूनी सहायता सेवा’ में जमा कराया जाए. जज ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग वह पैसा कहां से लाएगा.

प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप

पूर्व मेदिनीपुर जिले में प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगा है. कुछ उम्मीदवारों को कथित तौर पर भाई-भतीजावाद के माध्यम से नौकरियां मिलीं. मामला हाइकोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने 2016 में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को जांच का आदेश दिया था. लेकिन 7 साल बाद भी अभी तक आदेश पर अमल नहीं हो सका है. हाइकोर्ट में एक नया केस दायर किया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी अर्जी में कहा कि 2012 में पूर्व मेदिनीपुर में भाई-भतीजावाद के जरिए नौकरी पाने वालों की नौकरी रद्द की जाए. साथ ही यह अनुरोध भी किया गया कि कोर्ट पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच का आदेश दे.

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10 दिनों के भीतर पैसा जमा देने का निर्देश 

मंगलवार को मामले की सुनवाई में जस्टिस गंगोपाध्याय ने मंत्री ब्रत्य बसु के कार्यालय पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया. उनके निर्देश के मुताबिक, अगले 10 दिनों के भीतर यह पैसा हाई कोर्ट की ‘कानूनी सहायता सेवा’ में जमा कराया जाना चाहिए. साथ ही अगले छह सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रमुख सचिव को सौंपी जाए. हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यदि प्रमुख सचिव के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को है.

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शिक्षक भर्ती घोटाला : सीबीआइ ने सलाहकार समिति की भूमिका की शुरू की जांच

 शिक्षक भर्ती घोटाले में अब केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ की टीम ने ग्रुप-डी व ग्रुप-सी स्टाफ की भर्ती में सलाहकार समिति की भूमिका की जांच शुरू कर दी है. सीबीआइ ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर इस समिति की संरचना और प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा है. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक बोर्ड के सचिव, स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष और शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, इन तीनों विभागों को पत्र भेजा गया था.

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तीन विभागों को एक साथ पत्र भेज कर मांगी थी जानकारी, एक विभाग से आया जवाब

उस पत्र का जवाब निजाम पैलेस में केवल एक विभाग की तरफ से भेजा गया है, लेकिन इसमें भी पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दी गयी है. फिर भी जो जानकारी उन्हें भेजी गयी है, वे इसकी जांच शुरू कर दिये हैं. सीबीआइ सूत्र बताते हैं कि कुल तीन विभागों को पत्र दिये गये थे. उत्तर एक ही विभाग से आया. सीबीआइ अधिकारियों का मानना है कि दो अन्य विभागों से भी जवाब मिलने का वे इंतजार कर रहे हैं. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक ग्रुप-सी और ग्रुप-डी पदों पर भर्ती के लिए 2016 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था. परीक्षा के बाद 2017 में रिजल्ट जारी किया गया. लेकिन परीक्षा के बाद 2018 में सलाहकार समिति का गठन किया गया. इसकी नियुक्ति सलाहकार समिति को दे दी गयी. इसकी जानकारी सीबीआइ को मिली. संदेह के बाद ही इसकी जांच शुरू की गयी है.

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