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Explainer : भारत में ऑटो कंपनियों के बीच ‘बैटरी वार’ शुरू, Tesla सरकार से मांग रही स्पेशल ट्रीटमेंट

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दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला इंक के प्रमुख एलन मस्क ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. उस समय प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी के आमंत्रण पर दो दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर गए हुए थे.

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नई दिल्ली : भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में लगाई जाने वाली एडवांस्ड केमिकल सेल (ACC) के निर्माण के लिए वाहन निर्माता कंपनियों (Auto Companies) के बीच ‘बैटरी वार’ शुरू हो गई है. पिछले शुक्रवार को सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के निर्माण के लिए उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन योजना (PLI Schme) के तहत दूसरी बार बोलियां आमंत्रित की हैं. सरकार की ओर से बोलियां आमंत्रित किए जाने के बाद जापानी इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्माता कंपनी पैनासोनिक ने एडवांस्ड केमिकल सेल का भारत में निर्माण करने के लिए सरकार के संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान सरकारी अधिकारियों ने पैनासोनिक के प्रतिनिधियों को पीएलआई स्कीम के तहत आवेदन जमा करने की सलाह दी है, लेकिन अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला भारत में एडवांस्ड केमिकल सेल के निर्माण के लिए सरकार से स्पेशल ट्रीटमेंट (नीति और नियमों में बदलाव) चाहती है. सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में एडवांस्ड केमिकल सेल के निर्माण के लिए टेस्ला को किसी प्रकार की स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलेगी.

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टेस्ला के लिए अलग से नीति लाने की योजना नहीं : सरकार

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला को प्रोत्साहन देने के लिए कोई अलग नीति लाने की योजना नहीं है. एक सरकारी अधिकारी के हवाले से आ रही खबर के अनुसार, टेस्ला वाहन या एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) के तहत समर्थन उपायों के लिए आवेदन कर सकती है.

2024 में भारत आएंगे एलन मस्क

दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला इंक के प्रमुख एलन मस्क ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. उस समय प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी के आमंत्रण पर दो दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर गए हुए थे. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी उद्योगपतियों के अलावा भारतवंशियों से भी मुलाकात की थी. इसी यात्रा के दौरान एलन मस्क ने उनसे मुलाकात की थी. प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद मस्क ने कहा था उनकी 2024 में भारत यात्रा की योजना है.

सरकार पहले ही पेश कर चुकी है पीएलआई स्कीम

सरकार पहले ही 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज के लिए पीएलआई स्कीम पेश कर चुकी है. इसके अलावा, वाहन, वाहन कलपुर्जों और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 26,058 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम लाई गई है. अभी पूर्ण निर्मित इकाई (सीबीयू) के रूप में आयातित कारों पर इंजन आकार और लागत, बीमा और ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य के आधार पर 60 से 100 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है.

नीतियां सभी के लिए एकसमान

अधिकारी ने कहा कि ‘हमने टेस्ला से कहा है कि जो नीतियां सभी के लिए पहले से हैं, वह भी उनके तहत आवेदन कर सकती है. उनका स्वागत है. आमतौर पर नीतियां सभी के लिए समान हैं. एक कंपनी के लिए सरकार अलग नीति नहीं बना सकती. ऐसे में अभी उनके साथ विशेष बर्ताव करने की कोई योजना नहीं है. टेस्ला के प्रतिनिधियों ने पिछले महीने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों से मिलने के लिए देश का दौरा किया था. अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी ने 2021 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क में कटौती की मांग की थी.

पैनासोनिक को आवेदन देने का दिया सुझाव

अधिकारी ने बताया कि टेस्ला को बैटरी की आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता पैनासोनिक के प्रतिनिधि हमसे मिले हैं. उन्होंने कहा है कि वे बैटरी बनाना चाहते हैं. हमने उन्हें पीएलआई एसीसी बैटरी के तहत आवेदन करने का सुझाव दिया है.

सरकार ने बोलियां की आमंत्रित

बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में इस्तेमाल होने वाली बैटरी (एंडवांस्ड केमेस्ट्री सेल) का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने बीते शुक्रवार यानी 21 जुलाई, 2023 को उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) के तहत बोलियां आमंत्रित की है. कुल 18,100 करोड़ रुपये के इस कार्यक्रम के तहत सरकार का लक्ष्य शेष 20 गीगावॉट घंटा क्षमता (जीडब्ल्यूएच) की अत्याधुनिक रासायनिक बैटरी (एंडवास्ड केमिस्ट्री सेल-एसीसी) विनिर्माण को बढ़ावा देना है. भारत सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के साथ ही वर्ष 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है.

उद्योग प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श

भारी उद्योग मंत्रालय आज 24 जुलाई से बाकी की 20 गीगावॉट क्षमता के लिए बोली प्रक्रिया फिर से शुरू होने से पहले 24 जुलाई, 2023 को उद्योग प्रतिनिधियों के साथ उनकी राय और सुझाव जानने के लिए संबंधित पक्षों विचार-विमर्श करेगा. एक बयान के अनुसार, मंत्रालय बोली दस्तावेजों को अंतिम रूप देने और जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस नीलामी प्रक्रिया के साथ संभावित आवेदक ‘एंडवास्ड केमिस्ट्री सेल’ के निर्माण के लिए भारत में प्लांट लगाने संबंधी अपनी बोलियां जमा कर सकते हैं. इससे उन्हें एसीसी पीएलआई स्कीम के तहत प्रोत्साहन के लिए पात्रता प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

क्या है एंडवास्ड केमिस्ट्री सेल

बताते चलें कि रासायनिक बैटरी (एंडवास्ड केमिस्ट्री सेल-एसीसी) नई पीढ़ी की उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकी है. यह विद्युत ऊर्जा को इलेक्ट्रोकेमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रह कर सकती है और जरूरत पड़ने पर इसे वापस विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है. इसका प्रमुख रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों, ग्रिड स्थिरता बनाए रखने, छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में उपयोग किया जा सकता है.

2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य

भारत ने 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ ऊर्जा भंडारण की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. सरकार ने 18,100 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए एसीसी की 50 गीगावॉट घंटे (जीडब्ल्यूएच) की विनिर्माण क्षमता प्राप्त करने के लिए पीएलआई योजना ‘एसीसी बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम’ को मंजूरी दी थी. इस पहल के तहत सरकार का जोर घरेलू मूल्यवर्धन हासिल करने के साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि देश में बैटरी विनिर्माण की लागत विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो.

कहां होता है एसीसी का इस्तेमाल

इलेक्ट्रिक बैटरियां इलेक्ट्रिक वाहनों (वाहन-टू-ग्रिड) और घरेलू ऊर्जा भंडारण में उपयोग की जाने वाली स्मार्ट मीटरिंग के साथ और जो मांग प्रतिक्रिया के लिए स्मार्ट ग्रिड से जुड़ी होती हैं, स्मार्ट पावर सप्लाई ग्रिड में सक्रिय भागीदार हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन बैटरियों का नए तरीके से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा, ये बैटिरयों ऊर्जा भंडारण लागत को भी कम करती हैं और लंबे जीवन के कारण प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन के प्रभावों को भी कम करती हैं. ग्रिड स्केल ऊर्जा भंडारण में ग्रिड या बिजली संयंत्र से ऊर्जा एकत्र करने और संग्रहीत करने के लिए बैटरियों के बड़े पैमाने पर उपयोग की परिकल्पना की गई है और फिर जरूरत पड़ने पर बिजली या अन्य ग्रिड सेवाएं प्रदान करने के लिए बाद में उस ऊर्जा का निर्वहन किया जाता है.

मल्टीनेशन ऑटोमोटिव और स्वच्छ ऊर्जा कंपनी है टेस्ला

टेस्ला इंक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय ऑटोमोटिव और स्वच्छ ऊर्जा कंपनी है, जिसका मुख्यालय ऑस्टिन टेक्सास में है. टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों (कारों और ट्रकों), घर से लेकर ग्रिड-स्केल तक स्थिर बैटरी ऊर्जा भंडारण उपकरणों, सौर पैनलों और सौर प्लेट टाइलों और अन्य संबंधित उत्पादों और सेवाओं का डिजाइन और निर्माण करती है. टेस्ला दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है. 2022 में कंपनी 18 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में अग्रणी रही है. टेस्ला एनर्जी 2022 में 6.5 गीगावाट-घंटे (जीडब्ल्यूएच) स्थापित करने के साथ बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के सबसे बड़े वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में से एक रही है.

2004 में टेस्ला के सबसे बड़े शेयरधारक बने एलन मस्क

टेस्ला को जुलाई 2003 में मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग द्वारा टेस्ला मोटर्स के रूप में स्थापित किया गया था. कंपनी का नाम आविष्कारक और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर निकोला टेस्ला के नाम पर रखा गया है. फरवरी 2004 में 6.5 मिलियन डॉलर के निवेश के जरिए एलन मस्क कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक बन गए. इसके बाद वह 2008 में टेस्ला के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) बने. टेस्ला का घोषित मिशन इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त टिकाऊ परिवहन और ऊर्जा की दिशा में तेजी लाने में मदद करना है.

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2008 में बनी टेस्ला की पहली रोडस्टर स्पोर्ट्स कार

टेस्ला ने 2008 में अपने पहले कार मॉडल रोडस्टर स्पोर्ट्स कार का उत्पादन शुरू किया. इसके बाद 2012 में मॉडल एस सेडान, 2015 में मॉडल एक्स एसयूवी, 2017 में मॉडल 3 सेडान, 2020 में मॉडल वाई क्रॉसओवर और 2022 में टेस्ला सेमी ट्रक का उत्पादन शुरू हुआ. कंपनी 2023 में साइबरट्रक लाइट-ड्यूटी पिकअप ट्रक के उत्पादन की योजना बना रही है. मॉडल 3 दुनिया भर में अब तक की सबसे ज्यादा बिकने वाली प्लग-इन इलेक्ट्रिक कार है और जून 2021 में वैश्विक स्तर पर 1 मिलियन यूनिट बेचने वाली पहली इलेक्ट्रिक कार बन गई. टेस्ला की 2022 डिलीवरी लगभग 1.31 मिलियन वाहनों की थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40 फीसदी अधिक है. अक्टूबर 2021 में टेस्ला का मार्केट कैपिटल अस्थायी रूप से 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जो अमेरिकी इतिहास में ऐसा करने वाली छठी कंपनी थी.

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