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Asian Games 2023 Trials: अंतिम पंघाल ने मारी बाजी, अब सुप्रीम कोर्ट का करेंगी रूख

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Wrestling: युवा पहलवान अंतिम पंघाल ने शनिवार को एशियाई खेलों के हुए ट्रायल में 53 किग्रा महिला वर्ग में जीत हासिल की. अंतिम ने जीत दर्ज करने के बाद कहा, ‘मैंने निष्पक्षता से ट्रायल जीता. मैं स्टैंडबाई खिलाड़ी क्यों बनूं.'

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Asian Games 2023 Trials: प्रतिभाशाली युवा पहलवान अंतिम पंघाल ने शनिवार को एशियाई खेलों के हुए ट्रायल में 53 किग्रा महिला वर्ग में जीत हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया लेकिन उनकी इस सफलता के कुछ ही समय के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस वर्ग में विनेश फोगाट को दी गई छूट को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी. मानसी अहलावत ने 57 किग्रा में उलटफेर करते हुए एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की. उन्होंने इस वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप के दो पदक विजेताओं को पछाड़ा. उन्नीस साल की पंघाल ने 53 किग्रा वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए बिना किसी परेशानी के अपने सभी मुकाबले जीते.

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ट्रायल जीतकर भी स्टैंडबाय खिलाड़ी होंगी पंघाल

अंतिम को पहले दौर में बाई मिली और इसके बाद 2022 अंडर-20 विश्व चैंपियन ने तमन्ना पर 7-2 से जीत के साथ शुरुआत की. उन्होंने नेहा के खिलाफ तकनीकी श्रेष्ठता से जीत हासिल कर सेमीफाइनल में प्रवेश किया. अंतिम ने फाइनल में और भी दमदार प्रदर्शन किया और अपनी प्रतिद्वंद्वी मंजू को दो मिनट से कम समय में ही हरा दिया. चीन के हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों में हालांकि विनेश फोगाट भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी क्योंकि चयन समिति ने पहले ही उन्हें और पुरुष फ्रीस्टाइल पहलवान बजरंग पूनिया (65 किग्रा) को सीधे प्रवेश दे दिया है.

मैंने निष्पक्षता से ट्रायल जीता, स्टैंडबाई खिलाड़ी क्यों बनूं : अंतिम

अंतिम ने यहां जीत दर्ज करने के बाद कहा, ‘मैंने निष्पक्षता से ट्रायल जीता. मैं स्टैंडबाई खिलाड़ी क्यों बनूं, मैंने तो ट्रायल जीत लिया. जिसने प्रतिस्पर्धा नहीं की उसे 53 किग्रा में स्टैंडबाई खिलाड़ी होना चाहिए. (अदालत में) मेरी याचिका खारिज कर दी गई है लेकिन मैं नहीं रुकूंगी, मैं लड़ती रहूंगी, हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘अगर उसे इस तरह सीधे प्रवेश मिलता रहेगा, तो किसी को कैसे पता चलेगा कि हम कितने अच्छे हैं. हम कोशिश करते रहेंगे. मेरे कोच तय करेंगे कि हम आगे क्या करने जा रहे हैं, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी. ऐसे में मेरे तीन मुकाबले जीतने का क्या मतलब है.’ अंतिम ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि वह काफी अच्छी है और उसके पास कई पदक हैं लेकिन उसे ट्रायल में हमारे खिलाफ लड़ना होगा.’ उन्होंने कहा कि अब वह विश्व चैम्पियनशिप ट्रायल के लिए तैयारी करेगी.

ट्रायल में महिलाओं का 57 किग्रा वर्ग बहुत प्रतिस्पर्धी हो गया क्योंकि इसमें विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता अंशू मलिक और विश्व कांस्य विजेता सरिता मोर शामिल थीं. दोनों चैंपियन खिलाड़ी पहले ही राउंड में भिड़ने को तैयार थी जिसे फाइनल से पहले का फाइनल माना जा रहा था. चोट से वापसी कर रही अंशु के खिलाफ सरिता मोर ने 5-0 की बढ़त बना ली. हालांकि 20 वर्षीय अंशू ने ‘टेक-डाउन’ और ‘गट रिंच मूव’ के साथ वापसी की. इससे अंतर कम होकर 4-5 रह गया लेकिन सरिता ने आखिरी क्षणों में अपनी ताकत का इस्तेमाल कर जीत हासिल की.

सरिता को हालांकि बाद में अंडर 23 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता मानसी अहलावत ने 9-6 से हराकर उलटफेर किया. ड्रा के दूसरी ओर से एक अन्य युवा सीतो ने पिंकी और नीतू के खिलाफ जीत हासिल करते हुए फाइनल में जगह बनाई. मानसी को फाइनल में सीतो को हराने में कोई परेशानी नहीं हुई. सोनम मलिक ने बायीं कोहनी की चोट के बाद शानदार वापसी करते हुए 62 किग्रा वर्ग में ट्रायल जीता. उसी ड्रा में मनीषा भी उतनी ही प्रभावशाली थी लेकिन गोहाना की पहलवान विजेता बनकर उभरी.

बिना ट्रायल के किसी को भी भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए : पूजा गहलोत

राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता पूजा गहलोत ने 50 किग्रा वर्ग में शिवानी और नीलम को आसानी से हराने के बाद अनुभवी निर्मला देवी को शिकस्त देकर इन खेलों का टिकट पक्का किया. पूजा ने कहा, ‘मेरी अभ्यास और कड़ी मेहनत सफल रही. अब मेरा लक्ष्य एशियाई खेल है, लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करना है.’ पूजा ने कहा कि किसी भी पहलवान को ट्रायल में शामिल हुए बिना प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘बिना ट्रायल के किसी को भी (प्रतियोगिताओं में) भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. हर खिलाड़ी बहुत मेहनत करता है. ट्रायल आयोजित किया जाना चाहिए और उसके बाद ही किसी को देश के प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिये.’ पूजा ने कहा, ‘बिना ट्रायल के किसी का चयन करना जूनियर पहलवानों के साथ अन्याय है.’ राधिका ने 68 किग्रा भार वर्ग में निशा दहिया को पटखनी देकर उलटफेर किया. उन्होंने इसके बाद फाइनल के करीबी मुकाबले में प्रियंका को 9-8 से शिकस्त दी.

दिव्या काकरान एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी

दिव्या काकरान आमतौर पर 68 किग्रा में प्रतिस्पर्धा करती हैं लेकिन उन्होंने अब 76 किग्रा में चुनौती पेश करने का फैसला किया. वह हालांकि एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं. इस भार वर्ग के फाइनल में वह अनुभवी किरण से हार गयी. ग्रीको रोमन वर्ग में, ज्ञानेंद्र (60 किग्रा), नीरज (67 किग्रा), विकास (77 किग्रा), सुनील कुमार (87 किग्रा), नरिंदर चीमा (97 किग्रा) और नवीन (130 किग्रा) ने एशियाई खेलों की टीम में जगह बनाने के लिए अपने-अपने ट्रायल जीते. पुरुषों का फ्रीस्टाइल ट्रायल रविवार को होगा.

राष्ट्रीय शिविर में अयोग्य महसूस कराया गया: पंघाल

एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में चयन न होने पर राष्ट्रीय महासंघ को अदालत में घसीटने वाले विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता मुक्केबाज अमित पंघाल ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिविर में रहने के दौरान उन्हें ‘हतोत्साहित’ और ‘अयोग्य’ महसूस कराया गया. पुरुष विश्व चैंपियनशिप में देश के लिए रजत पदक जीतने वाले इकलौते मुक्केबाज पंघाल ने चीन में 23 सितंबर से आठ अक्टूबर तक होने वाली महाद्वीपीय प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम से बाहर किए जाने के बाद दो अन्य मुक्केबाजों सागर अहलावत और रोहित मोर के साथ भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है.

एशियाई खेलों के मौजूदा लाइट फ्लाईवेट चैंपियन पंघाल ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘मैंने ट्रायल की मांग की थी. मैं इस नयी अंक प्रणाली को नहीं समझता.’ उन्होंने कहा, ‘विश्व चैंपियनशिप के दौरान भी इस प्रणाली के आधार पर मेरे वजन वर्ग (दीपक) में चुना गया. मैंने उसे 5-0 से हराया था, फिर भी उसका चयन हुआ.’ विश्व रैंकिंग के पूर्व नंबर एक पहलवान पंघाल ने ओलंपिक को छोड़ कर कई बड़े आयोजनों में पदक जीता है. उन्होंने पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल के दौरान विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता दीपक भोरिया को हराया था, जिन्हें एशियाई खेलों के लिए 51 किलोग्राम भार वर्ग में चुना गया है.

वे अपने लोगों को भेजना चाहते हैं : पंघाल

पंघाल ने कहा, ‘मैंने उसे पहले भी ट्रायल्स में हराया है. अंक प्रणाली में भी मैं उससे आगे हूं लेकिन फिर मैं रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हूं.’ इस 27 साल के मुक्केबाज ने कहा, ‘मुझे शिविर में हतोत्साहित किया गया है, क्योंकि वे अपने लोगों को भेजना चाहते हैं. अगर आपके आस-पास के लोग बार बार यह कहते है कि आप अच्छा नहीं कर रहे है तो आप ऐसा ही महसूस करने लगते है.’ सागर (92 किग्रा से अधिक) और रोहित (57 किग्रा) भी बीएफआई की चयन नीति के तहत अपने-अपने भार वर्ग में क्रमशः सचिन सिवाच और नरेंद्र बेरवाल के बाद दूसरे स्थान पर रहे.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले में बीएफआई के साथ-साथ खेल मंत्रालय से भी जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई सोमवार को होनी है और पंघाल को अनुकूल फैसले की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘सुनवाई सोमवार को है. मुझे लगता है कि यह मेरे पक्ष में होगा क्योंकि मैं सभी परीक्षणों में उससे आगे हूं. मैंने उसे पहले भी ट्रायल में हराया है.’

नयी चयन नीति के अनुसार मुक्केबाजों का होगा मूल्यांकन

राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता सागर ने यह भी दावा किया कि चयन की नयी प्रणाली पक्षपातपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘पिछली बार ट्रायल्स (राष्ट्रमंडल खेलों) हुए थे. जिस मुक्केबाज को चुना गया है मैंने उसे 5-0 से हराया था. अब वे मूल्यांकन की बात कर रहे हैं कि वे जिसे चाहें उसे चुन सकते हैं. उनके पास कोई प्रक्रिया नहीं है.’ वहीं बीएफआई ने कहा कि नयी चयन प्रक्रिया शिविर में सभी मुक्केबाजों को स्पष्ट कर दी गई है और इसका पालन किया जाएगा. इस वर्ष से लागू चयन नीति के अनुसार मुक्केबाजों को तीन सप्ताह तक मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जहां उन्हें विभिन्न मापदंडों पर परखा जाता है.

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