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दिल्ली में आई विनाशकारी बाढ़ से भले ही पीड़ित लोगों की जिंदगी बच गई है लेकिन अब उन्हें यहीं जिंदगी चलाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. बाढ़ पीड़ितों के सामने अपने आशियाने को फिर से बनाने और सामान्य जीवन की शुरुआत करने की सबसे बड़ी चुनौती है.
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ऐसे ही बाढ़ पीड़ितों में अरुणा देवी (35) भी हैं जो यमुना खादर इलाके में रहती थीं. उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह उफनती नदी का पानी तेज प्रवाह के साथ उस ढांचे में दाखिल हुआ जिसे वह अपना घर कहती थीं और मकान के साथ-साथ बच्चों की किताबें भी बहाकर ले गया.
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बाढ़ का पानी आने पर परिवार को एक राहत शिविर में ले जाया गया अब पानी कम होने पर वह वापस लौटने की तैयारी कर रही है. उनके सामने तात्कालिक चुनौती यह है कि परिवार का एक सदस्य बीमार हो गया है लेकिन उनकी दीर्घकालिक चुनौतियां कहीं अधिक गंभीर है.
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खेतों में काम करने वाली अरुणा बताती हैं, ‘‘ मुझे अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता है. उनकी किताबें और घर की आवश्यक वस्तुएं बाढ़ के पानी में समा गई हैं. कब मुझे वापस अपने घर जाने की अनुमति मिलेगी इसको लेकर पुलिस कुछ नहीं बता रही. मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं.’’
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बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव की वजह से दिल्ली में 26,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. प्रमुख स्थलों, सड़कों, स्मारकों और आवासीय क्षेत्रों में पानी भर गया था और इससे संपत्ति, कारोबार और कमाई का अनुमानित नुकसान करोड़ों में होने की आशंका है.
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तीन बच्चों के पालन-पोषण की अकेले जिम्मेदारी संभाल रहे वरुण नंदन (40 वर्ष) का सारा सामान बाढ़ के पानी में बह गया है और अब उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता खाए जा रही है.
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सरकार ने शहर में कई राहत शिविर स्थापित किए हैं जहां प्रभावित इलाकों से बचाए गए लोगों को रखा जा रहा है. ऐसे ही एक राहत शिविर में रह रही सुनीता का कहना है कि उन्हें जो भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है वह उनके बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है और पेयजल की भी नियमित सुविधा नहीं है.
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सुनीता ने कहा, ‘बाढ़ में मैंने अपनी रोजी-रोटी खो दी. अब मेरी चिंता यह है कि मैं अपना जीवन कैसे फिर से पटरी पर लाऊंगी.’ दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से जलभराव और बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं. शुरुआत में, आठ और नौ जुलाई को भारी बारिश के कारण भारी जलजमाव हुआ, शहर में केवल दो दिनों में महीने में होने वाली सामान्य वर्षा का 125 प्रतिशत बारिश हुई.
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इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा सहित ऊपरी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया. बृहस्पतिवार को नदी का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया जो सितंबर 1978 के 207.49 मीटर के पिछले सर्वकालिक रिकॉर्ड से भी कहीं अधिक था.