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झारखंड: 1.72 लाख की आबादी पर महज तीन डॉक्टर, सुविधाएं भी नदारद, इलाज के लिए भगवान भरोसे ग्रामीण

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ज्यादातर उपस्वास्थ्य केंद्रों में ताला लगा रहता है. कभी-कभार खुलता है. मजबूरन ग्रामीणों को 25 किलोमीटर दूर पटमदा सीएससी की दौड़ लगानी पड़ती है. सुविधा के अभाव में अधिकतर मरीजों को एमजीएम रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल में एक्स रे मशीन है, पर टेक्नीशियन के अभाव में मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

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पटमदा (पूर्वी सिंहभूम), दिलीप पोद्दार: मात्र तीन चिकित्सकों (डॉक्टर) के भरोसे पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड की 1.72 लाख की आबादी है. पटमदा सीएचसी में डॉक्टर, सीनियर नर्स और टेक्नीशियन एवं सुविधाओं का अभाव है. पटमदा सीएचसी पर 1.72 लाख की आबादी आश्रित है. पटमदा सीएचसी के नाम से पदस्थापित छह चिकित्सकों में मात्र तीन प्रभारी डॉ क्रिस्टोफर बेसरा, डॉ राजीव सिंह एवं डॉ नीलम टोप्पो पदस्थापित हैं, जबकि तीन अन्य डॉक्टर समीर कुमार को जुगसलाई, डॉ केरकेट्टा को बहरागोड़ा एवं डॉ मजेंद्र बिरुवा को सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया गया है. यही नहीं जहां चार सीनियर नर्स की जरूरत है, वहां मात्र एक सीनियर नर्स से काम चल रहा है. अस्पताल में एक्स रे मशीन है, पर टेक्नीशियन के अभाव में मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इससे सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. ज्यादातर उपस्वास्थ्य केंद्रों में ताला लगा रहता है. कभी-कभार खुलता है. मजबूरन ग्रामीणों को 25 किलोमीटर दूर पटमदा सीएससी की दौड़ लगानी पड़ती है. सुविधा के अभाव में अधिकतर मरीजों को एमजीएम रेफर कर दिया जाता है.

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टेक्नीशियन के अभाव में एक्सरे मशीन बेकार

अस्पताल में एक्स रे मशीन है, पर टेक्नीशियन के अभाव में मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. पटमदा सीएससी में होम्योपैथिक दवा की भी सुविधा उपलब्ध है. यहां होम्योपैथिक चिकित्सा के नाम पर डॉ शाहनवाज खान, डॉ सोमेन दत्ता, डॉ प्रशांत, डॉ डिगार शामिल है, जबकि आयुर्वेदिक के नाम पर डॉ आरसी पांडे पदस्थापित हैं.

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होम्योपैथिक डॉक्टर कर रहे एलोपैथी इलाज

ज्यादातर होम्योपैथिक डॉक्टर इन दिनों पटमदा सीएससी एवं क्षेत्र में घूम-घूमकर एलोपैथी का काम करते हैं. इसके अलावा पटमदा के बांगड़दा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ शैलेश कुमार एवं बोड़ाम के लावजोड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ सौरभ मलिक पदस्थापित हैं. पटमदा एवं बोडाम प्रखंड के गोबरघुसी, जोड़सा, लच्छीपुर, बिडरा, ओड़िया, दिघी, लायलम, बेलडीह, कोयरा आदि पंचायत मलेरिया जोन के रूप में चर्चित है.

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10 में मात्र चार एमपीडब्ल्यू पदस्थापित

पटमदा में 10 एमपीडब्ल्यू पदस्थापित हैं, इसमें छह लोगों को दूसरी जगह पर डेपुटेशन कर दिया गया है. इसके अलावा 31 एएनएम भी पदस्थापित हैं. एमपीडब्ल्यू एवं एएनएम की देखरेख में पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड क्षेत्र के 32 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं. यहां ग्रामीणों को चिकित्सा से संबंधित हर सुविधा मुहैया कराना है.

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अधिकतर उपस्वास्थ्य केंद्र में लगा रहता है ताला

जमशेदपुर से आवागमन करने वाले एमपीडब्ल्यू एवं एएनएम के कारण ज्यादातर उपस्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा रहता है. सप्ताह में कभी कभार खुलता है. उपस्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों को 25 किलोमीटर दूर पटमदा सीएससी की दौड़ लगाना पड़ता है. सुविधा के अभाव में अधिकतर मरीजों को एमजीएम रेफर कर दिया जाता है.

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डॉक्टर समेत कई सुविधाओं का है घोर अभाव

पटमदा के सीएससी प्रभारी डॉ क्रिस्टोफर बेसरा ने बताया कि डॉक्टर के अभाव में 24 घंटा ड्यूटी पर तैनात रहना पड़ता है. डॉक्टर के अलावा अस्पताल में सीनियर नर्स, टेक्नीशियन, चहारदीवारी, शेड, 24 घंटे बिजली और बारिश के दिनों में ट्रेन की सुविधा जरूरी है. उन्होंने कहा कि क्वार्टरों में पेयजल की समस्या है. उन्होंने यह भी बताया कि सीएससी का डॉक्टर एवं एमपीडब्ल्यू को दूसरे अस्पतालों में डेपुटेशन कर दिया गया है. इस कारण परेशानी बढ़ गयी है.

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ये हैं खास बातें

1.72 लाख की आबादी पर महज तीन डॉक्टर हैं.

डॉक्टर के अभाव में 24 घंटे की ड्यूटी.

डॉक्टर के अलावा सीनियर नर्स, टेक्नीशियन, चहारदीवारी, शेड, 24 घंटे बिजली की सुविधा नहीं.

क्वार्टरों में पेयजल की समस्या.

ज्यादातर उपस्वास्थ्य केंद्र में लगा रहता है ताला

सप्ताह में कभी-कभार खुलता है उपस्वास्थ्य केंद्र.

इलाज के लिए 25 किलोमीटर दूर पटमदा सीएससी की दौड़ लगाते हैं ग्रामीण.

सुविधा के अभाव में अधिकतर मरीजों को एमजीएम रेफर कर दिया जाता है.

अस्पताल में एक्स रे मशीन है, पर टेक्नीशियन का अभाव है.

गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी हो रही है.

पटमदा सीएससी में होम्योपैथिक दवा भी उपलब्ध है.

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