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पानी-पानी जिंदगानी…दिल्ली में जमुना के जल स्तर ने तोड़ा रिकार्ड, पंजाब में 2.40 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद

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दिल्ली में आयी बाढ़ ने 45 सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया है. बुधवार को जमुना का जल स्तर 207.81 देखने को मिला. पंजाब में बीते कई दिनों से लगातार बारिश होने के कारण बाढ़ आने से लगभग 2.40 लाख हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद होने की आशंका है.

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उत्तर भारत में आयी बाढ़ से हर तरफ जन-जीवन अस्त व्यस्त है. दिल्ली और पंजाब की बाढ़ ने सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं. पंजाब में बीते कई दिनों से लगातार बारिश होने के कारण बाढ़ आने से लगभग 2.40 लाख हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद होने की आशंका है. वहीं दिल्ली की बाढ़ ने आखिरकार ये तो साबित कर दिया कि प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम बेहद गंभीर होता है. ऐसा इतिहास में दर्ज है यमुना नदी कभी लाल किले से सट कर गुजराती थी मगर अब वहां मकानें हैं, बड़ी-बड़ी सड़कें हैं. दिल्ली राजधानी बनाने और लाल किला बनाने का इतिहास भी काफी रोचक है. इतिहासकारों का कहना है कि जब आगरा से राजधानी को दिल्ली लाया गया तो दो विकल्प थे-एक लाहौर और दूसरा दिल्ली लेकिन यमुना की वजह से ही दिल्ली पहली पसंद बनी.

राजधानी दिल्ली में आयी बाढ़ ने 45 सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया

राजधानी दिल्ली में आयी बाढ़ ने 45 सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया है. साल 1978 में आयी बाढ़ में जमुना का जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंचा था, वहीं बुधवार को जमुना का जल स्तर 207.81 देखने को मिला. हालात इमरजेंसी बैठक बुलानी जैसी हो गई. राजधानी में यमुना का वॉर्निग लेवल यानी चेतावनी का स्तर 204.50 मीटर होता है और खतरे का स्तर 205.33 मीटर है. 2010 में यमुना का स्तर 207.11 मीटर और 2013 में 207.32 मीटर पहुंच गया था.

दिल्ली में साल 1900 के बाद कई बड़ी बाढ़ आईं

दिल्ली में साल 1900 के बाद कई बड़ी बाढ़ आईं. 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया. अब 2023 में यमुना के जलस्तर ने 1978 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रिसर्च के अनुसार, 1963 से 2010 तक का एनालिसिस बताता है कि दिल्ली में सितंबर में बाढ़ आने की प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में बाढ़ घटने के संकेत मिलते हैं.

पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर सहित कई नदियाँ उफान पर

वहीं अगर बात करें पंजाब की तो, लगातार बारिश के कारण पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर सहित कई नदियाँ उफान पर हैं. जब इन नदियों और नहरों के तटबंध में दरार आती है तो गाँवों में बाढ़ आ जाती है. उदाहरण के लिए, सतलज नदी में दरार के कारण जालंधर के गांवों में बाढ़ आ गई है.

कई गांवों में घुसा पानी 

सोमवार को सतलुज नदी के उफान के कारण जालंधर में पंजाब पुलिस अकादमी, फिल्लौर में पानी घुस गया और कई गांवों को खाली कराना पड़ा. जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और नवाशहर जिलों में सतलुज और ब्यास और उसके नालों के तटबंधों पर स्थित गांवों, राजमार्गों और लिंक सड़कों पर पानी जमा होने की कई घटनाएं दर्ज की गईं. इसी तरह, पटियाला जिले में घग्गर नदी के उफान पर आने से कई गांव जलमग्न हो गए.

बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया 

सोमवार, 10 जुलाई, 2023 को पटियाला में लगातार बारिश के बाद बड़ी नदी के उफान पर आने के बाद बचाव दल के सदस्य बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं.बचाव दल के सदस्यों ने सोमवार, 10 जुलाई, 2023 को पटियाला में लगातार बारिश के बाद बड़ी नदी नदी के उफान के बाद बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. पिछले तीन दिनों में रिकॉर्ड बारिश के कारण नालों और साइफन के अवरुद्ध होने से स्थानीय बाढ़ भी आई है

पंजाब सरकार एक-एक पाई की भरपाई करेगी- भगवंत मान 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में भीषण बाढ़ से हुए नुकसान की एक-एक पाई की भरपाई करेगी. राज्य में भारी वर्षा के कारण फसलों, घरों और अन्य तरह के नुकसान का आकलन करने के लिए एक विशेष ‘गिरदावरी’ (नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण) आयोजित की जाएगी. इस सप्ताह की शुरुआत में पंजाब में भारी बारिश हुई थी. एक विज्ञप्ति के अनुसार, मान ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी के लिए निहाल लावेरा गांव का दौरा किया. मान ने कहा कि उपायुक्तों को बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर फसलों, घरों, जानवरों और अन्य तरह के नुकसान का पता लगाने के लिए तुरंत ‘गिरदावरी’ करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं.

2.40 लाख हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद

पंजाब में बीते कई दिनों से लगातार बारिश होने के कारण बाढ़ आने से लगभग 2.40 लाख हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद होने की आशंका है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा, “बारिश की वजह से 2.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल प्रभावित हुई है और इसमें से 83,000 हेक्टेयर से अधिक की फसल को दोबारा बोया जाएगा.” उन्होंने बताया कि धान की फसल को मुख्य रूप से पटियाला, संगरूर, मोहाली, लुधियाना, जालंधर और फतेहगढ़ साहिब जिलों में नुकसान हुआ है. अधिकारी ने बताया कि किसानों को फसल की दोबारा रोपाई के लिये धान की नर्सरी दी जाएगी और उन्हें धान की पीआर 126 किस्म और बासमती बोने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि फसल के नुकसान का सटिक आकलन करने के लिए एक विशेष गिरदावरी कराई जाएगी. पंजाब में 30 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान उगाया जाता है. यह एक खरीफ फसल है.

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