40.7 C
Ranchi
Monday, April 21, 2025 | 02:44 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने UGC के नए फैसले का किया स्वागत, बोले- Ph.D करने वालों को मिले राहत

Advertisement

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए Ph.D. की अनिवार्यता को खत्‍म कर दिया है. अब सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए असिस्‍टेंट प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में NET, SET या SLET की परीक्षा पास करनी पड़ेगी. लखनऊ के छात्रों ने इसका स्वागत किया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

UGC : यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए Ph.D. की अनिवार्यता को खत्‍म कर दिया है. UGC चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने ट्वीट के माध्‍यम से यूजीसी के गजट नोटिफिकेशन की जानकारी साझा की है. उन्‍होंने यह भी कहा कि नये नियम 01 जुलाई 2023 से लागू हो गए हैं.

अब असिस्‍टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए अब Ph.D. की योग्यता 01 जुलाई 2023 से केवल वैकल्पिक होगी. सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए असिस्‍टेंट प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में NET, SET या SLET की परीक्षा पास करनी पड़ेगी. इन परीक्षाओं को पास करने वाले उम्मीदवार ही अब सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नौकरी पा सकेंगे.

UGC का यह फैसला सराहनीय- असिस्टेंट प्रोफेसर प्राची

श्री गीत विधि महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्राची श्रीवास्तव का कहना है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद के लिए होने वाली नियुक्तियों हेतु Ph.D.की योग्यता को वैकल्पिक मात्र करना एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में इन पदों पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम मानदंड NET, SET और SLET किया जाना सराहनीय है. इस निर्णय से उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की रिक्तियां भरने में तो काफ़ी आसानी होगी ही.

इसके साथ ही नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा. यह निर्णय छात्र-छात्राओं को नवीन पाठ्यसामग्री का अनुभव भी प्रदान करेगा. यह प्रायः देखा गया है की Ph.D. की उपाधि पाए हुए अभ्यर्थी की तुलना में मात्र नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी कुल स्कोर के गणित में कमजोर पड़ जाता है, लिहाजा उसे चयन प्रक्रिया में एक बड़ा नुकसान हो जाता है. इस निर्णय से नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी Ph.D. उपाधि पाए हुए अभ्यर्थी के साथ प्रतियोगिता में शामिल हो सकेगा. यह निर्णय राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के औचित्य को सिद्ध करने वाला भी प्रतीत होता है, इस की अनुपस्थिति में नेट लगभग औचित्यविहीन सा दिखता था.

Also Read: असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब जरूरी नहीं पीएचडी, UGC NET पास होना काफी
Ph.D पूरा करने वालों को मिलनी चाहिए राहत- शोध छात्र इन्द्र दमन

वहीं लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. विधि संकाय के शोध छात्र इन्द्र दमन तिवारी का कहना है कि असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद की नियुक्ति के लिए Ph.D. की योग्यता केवल वैकल्पिक किया जाना एवं उच्च संस्थानों में इस पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम मानदंड NET, SET और SLET किए जाने का निर्णय प्रथम दृष्टया स्वागतयोग्य है. किंतु विचारणीय यह है कि तत्काल परास्नातक उत्तीर्ण करके आए अभ्यर्थी क्या इतने सक्षम होंगे कि वे लगभग अपने ही समकक्ष छात्रों को वही शिक्षा दे पायेंगे जो एक लंबी शोध अवधि के उपरांत असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वाला शोधार्थी दे पाएगा?

निश्चित ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का यह निर्णय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी को पूरा करेगा किंतु इस बात की शंका जरूर रहेगी की शैक्षणिक गुणवत्ता में ह्रास हो सकता है. ऐसे निर्णय क्षण भर के लिए क्रांतिकारी भले दिखें किंतु उनके दूरगामी परिणाम उद्देश्य के विपरीत हो जाते हैं. इस निर्णय से नॉन-नेट पी.एच.डी. अभ्यर्थियों के लिए तो बड़ा संकट उत्पन्न होने की स्थिति है क्योंकि इस प्रकार के निर्णय का कोरोना काल में स्वागत किया गया था जब Ph.D.की अनिवार्यता खत्म की गई थी किंतु अब Ph.D पूरी किए लोगों को वरीयता देने की आवश्यकता है.

Ph.D. के दौरान शोध छात्रों का होता था शोषण- सत्यव्रत शुक्ला

वहीं, लखनऊ यूनिवर्सिटी के विधि संकाय से LLB कर रहे छात्र सत्यव्रत शुक्ला का कहना है कि उच्च शिक्षा में सुधारों की दिशा में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को समाप्त करना एक स्वागतयोग्य कदम है. गिने-चुने केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों को छोड़ दे तो Ph.D. का स्तर अत्यंत निम्न ही है. यहां सीटें कम होने के कारण अनेकों प्रतिभावान छात्रों को Ph.D. से दोयम दर्जे के विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना पड़ता है.

यह तथ्य भी किसी से छुपा नहीं हैं कि Ph.D. करने वाले शोध छात्रों का सर्वाधिक शोषण वही प्रोफेसर कर रहे होते है, जिनके निर्देश में वो पीएचडी कर रहे होते है. Ph.D. की अनिवार्यता स्वागत योग्य तभी होगा जब नेट की सीटें बढ़ाई जाए. इसी के साथ ही इस कवायद में शोध कार्य पीछे ना छूट जाए, इसका भी ध्यान देना होगा.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels