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बंगाली समाज की महिलाओं ने की मां विपदतारिणी की पूजा, परिवार को हर विपदा से बचाने का मांगा आशीर्वाद

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विपदतारिणी पूजा हर वर्ष आषाढ़ मास के शनि या मंगलवार को की जाती है. इस पूजा में मां दुर्गा के ही एक रूप की आराधना की जाती है. बंगाली समाज की महिलाएं मां विपदतारिणी से अपने परिवार और समाज को हर विपदा और आपदाओं से बचाने की दुआ मांगती हैं.

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पलामू, सैकत चटर्जी: पलामू के प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में मंगलवार को बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा विपदतारिणी पूजा की गयी. यह आयोजन बंगीय दुर्गा बाड़ी में किया गया. पिछले कई वर्षों से इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है.

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जानिए क्या है विपदतारिणी पूजा

विपदतारिणी पूजा हर वर्ष आषाढ़ मास के शनि या मंगलवार को की जाती है. इस पूजा में मां दुर्गा के ही एक रूप की आराधना की जाती है. बंगाली समाज की महिलाएं मां विपदतारिणी से अपने परिवार और समाज को हर विपदा और आपदाओं से बचाने की दुआ मांगती हैं.

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सिर्फ महिलाएं ही करती हैं पूजा

इस पूजा में सिर्फ विवाहित महिलाएं ही भाग लेती हैं. यह पूजा सामूहिक रूप से होता है. समाज की महिलाएं एक जगह जमा होकर पंडित के माध्यम से पूजा करती हैं. बंगाली समाज में इस पूजा का काफी महत्व रहता है. लगभग सभी घरों से परिवार की मुखिया महिला इस पूजा में भाग लेती हैं. परिवार की अन्य विवाहित महिलाएं भी इसमें इच्छानुसार भाग ले सकती हैं.

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सबसे पहले दशगुप्ता व सेनगुप्ता परिवार ने शुरू की थी पूजा

मेदिनीनगर में सबसे पहले नवाटोली स्थित दाशगुप्ता व सेनगुप्ता परिवार से इस पूजा का प्रचलन शुरू हुआ था. माना जाता है कि स्वर्णरानी दाशगुप्ता व आरती सेनगुप्ता ने इस पूजा की शुरुआत की थी. उस समय बंगाली समाज की महिलाएं इन्हीं के घरों में जमा होकर पूजा करती थी. बाद के दिनों में जब इसका प्रचलन बढ़ा और भीड़ होने लगी तो इस पूजा का आयोजन दुर्गाबाड़ी में होने लगा.

आयोजन में ये रहे सक्रिय

पूजा के आयोजन को सफल बनाने में बंगीय दुर्गा बाड़ी के अध्यक्ष देवेश मोइत्रा, सचिव दिवेंदु गुप्ता, देवाशीष सेनगुप्ता, प्रसेनजीत दाशगुप्ता, सुभाष विश्वास, शिवेश मोइत्रा, शिबदाश चटर्जी, प्रोशांत भट्टाचार्य, बासुदेव गोस्वामी, अभिनव चटर्जी आदि का सराहनीय योगदान रहा. पूजा का कार्यक्रम पंडित देवी प्रसाद बनर्जी के तत्वावधान में किया गया.

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