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Starlink vs Jio: सैटेलाइट इंटरनेट के लिए मुकेश अंबानी और एलन मस्क आमने-सामने! किसका चलेगा सिक्का?

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Elon Musk vs Mukesh Ambani - स्टारलिंक की स्पेस सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस को भारत लाने की कोशिश में एलन मस्क पिछले कुछ सालों से लगातार लगे हुए हैं. भारत में रिलायंस जियो उनके सामने एक बड़ी चुनौती है.

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Starlink vs Jio : एलन मस्क स्टारलिंक को भारत में लॉन्च करना चाहते हैं. उन्होंने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की है. स्टारलिंक की स्पेस सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस को भारत लाने की कोशिश में एलन मस्क पिछले कुछ सालों से लगातार लगे हुए हैं. भारत में उनके सामने एक बड़ी चुनौती रिलायंस  जियो है. इसे लेकर भारत के मार्केट में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक एलन मस्क और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी के बीच ‘ट्रेड वॉर’ छिड़ सकता है. हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान एलन मस्क ने भारत में निवेश के संकेत दिए हैं, जिससे इसकी संभावना बढ़ गई है.

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दूरदराज के गांवों तक पहुंचेगा इंटरनेट
एलन मस्क चाहते हैं कि उनका स्टारलिंक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों से भारत में वायरलेस इंटरनेट को प्रसारित करे. हालांकि, उनका समूह जिस लाइसेंस व्यवस्था का समर्थन कर रहा है, उसके चलते उन्हें मुकेश अंबानी की रिलायंस के साथ मुकाबला करना पड़ सकता है. पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मस्क ने 21 जून को कहा कि वह भारत में स्टारलिंक की शुरुआत करना चाहते हैं. इस सेवा की मदद से बुनियादी ढांचे की कमी वाले दूरदराज के गांवों तक इंटरनेट को पहुंचाया जा सकता है.

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स्टारलिंक बनाम जियो
स्टारलिंक चाहता है कि भारत सिर्फ सेवा के लिए लाइसेंस दे और सिग्नल वाले स्पेक्ट्रम या एयरवेव्स की नीलामी पर जोर न दे. मस्क का यह रुख टाटा, सुनील भारती मित्तल और अमेजन से मेल खाता है. दूसरी ओर अंबानी की रिलायंस का कहना है कि विदेशी उपग्रह सेवा प्रदाताओं के वॉयस और डेटा सेवाएं देने के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी चाहिए. रिलायंस जियो का कहना है कि पारंपरिक दूरसंचार कंपनियों को समान अवसर देने के लिए ऐसा करना जरूरी है, जो सरकारी नीलामी में खरीदे गए एयरवेव्स का उपयोग करके ऐसी ही सेवाएं देते हैं.

भारत की अंतरिक्ष-आधारित संचार सेवा के लिए स्पेक्ट्रम निर्णय महत्वपूर्ण
ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए ने एक टिप्पणी में कहा, भारत की अंतरिक्ष-आधारित संचार सेवा (एसएस) के लिए स्पेक्ट्रम निर्णय महत्वपूर्ण है. सरकार ने 2010 से 77 अरब अमेरिकी डॉलर के मोबाइल स्पेक्ट्रम की नीलामी की है और कई कंपनियां एसएस के लिए उत्सुक हैं. पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, सीएलएसए ने कहा कि स्टारलिंक सहित कई कंपनियां भारतीय एसएस के लिए उत्सुक हैं. टिप्पणी में कहा गया है कि अमेजन, टाटा, भारती एयरटेल समर्थित वनवेब और लार्सन एंड टुब्रो नीलामी के खिलाफ हैं, जबकि रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया भारत एसएस नीलामी का समर्थन करते हैं.

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