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भारत में सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट बनीं हिमाचल की साक्षी कोचर, सूरत की मैत्री पटेल का तोड़ा रिकॉर्ड

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सपने देखने और सफलता पाने के लिए जरूरी नहीं कि उम्र बड़ी हो. छोटी उम्र में भी बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. इसे सच कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के छोटे-से शहर परवाणू की रहने वाली साक्षी कोचर ने. साक्षी ने अपनी लगन और मेहनत से उम्र के सभी फासले तोड़ दिया है.

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हाल ही में हिमाचल प्रदेश के परवाणू सेक्टर-4 की रहने वाली 18 साल की युवा साक्षी कोचर ने देश की सबसे युवा कमर्शियल पायलट बनकर रिकॉर्ड कायम किया है. एक बेहद ही साधारण मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखने वालीं साक्षी ने अपनी कामयाबी से यह साबित कर दिखाया है कि सफल होने के लिए जरूरी नहीं कि किसी की उम्र बड़ी हो और उसके पास अधिक तजुर्बा हो, बल्कि कुछ कर गुजरने का जुनून हो, तो कम उम्र में भी सपनों को साकार किया जा सकता है. साक्षी इसकी सशक्त मिसाल हैं. स्कूल-कॉलेज जाने की उम्र में उन्होंने दुनिया के सबसे कठिन प्रशिक्षण को पूरा कर कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) हािसल किया है.

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देश की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट साक्षी कोचर का जन्म 30 मई, 2005 को एक छोटे-से शहर परवाणू में हुआ था, जिसे हिमाचल प्रदेश का गेटवे कहा जाता है. साक्षी ने 10 वर्ष की उम्र में ही आसमान में उड़ते एयरोप्लेन को देख सोच लिया था कि मुझे तो बस पायलट ही बनना है. वह अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे उनके माता-पिता और उनके शहर व राज्य का नाम रोशन हो. उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल परवाणू से पूरी की. फिर वह आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चली गयीं, जहां उन्होंने गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अपनी सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन (कक्षा 12वीं) के लिए साइंस विकल्प चुना. इसके बाद वह कमर्शियल पायलट बनने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ जुट गयीं.

परिवार ने सपनों को साकार करने के लिए किया हमेशा प्रोत्साहित

एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मीं साक्षी के पिता जी का फुटवियर और परिधान का व्यापारिक कारोबार है. लिहाजा, उनका पालन-पोषण एक प्यारे परिवार में हुआ, जिसमें मेरे दादा-दादी, माता-पिता और एक बड़ा भाई शामिल हैं. परिवार के सभी लोगों ने हमेशा उन्हें उनके सपनों को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया. साक्षी कहती हैं, “विदेशों से कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस हासिल करना बहुत ही महंगी है, लेकिन मेरे मम्मी-पापा ने मेरा पूरा सपोर्ट किया. अब मैं कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस होल्डर हूं और उड़ान भरना चाहती हूं.विमानन एक बहुत महंगा प्रोफेशन है और मैंने सीपीएल पाने के लिए करीब 70 लाख रुपये खर्च किये. एक बार जब मुझे नौकरी मिल जायेगी, तो मैं अपने मम्मी-पापा को पैसे लौटा दूंगी.”

19 वर्ष में पायलट बनीं सूरत की मैत्री पटेल का तोड़ा रिकॉर्ड

साक्षी अपने जीवन में कभी अकेली नहीं रहीं, लेकिन वह दृढ़ संकल्प से काफी लबरेज थीं. पायलट बनने के लिए वह 8,500 मील दूर संयुक्त राज्य अमेरिका भी चली गयीं, जहां उन्होंने महज साढ़े सात महीने के भीतर अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. उन्होंने अपने 18वें जन्मदिन पर अपना कमर्शियल पायलट लाइसेंस हािसल किया और भारत की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट बन गयीं. इससे पहले सबसे कम उम्र के कॉमर्शियल पायलट का रिकॉर्ड सूरत के एक किसान की बेटी 19 वर्षीया मैत्री पटेल के नाम था, जिन्होंने पायलट इंस्ट्रक्टर साक्षी के गुरु कैप्टन डॉ. एडी मानेक से ट्रेनिंग ली थी. सिर्फ 18 साल की साक्षी कोचर ने सबसे कम उम्र में कमर्शियल पायलट बनने का जो रिकॉर्ड बनाया है, उसे कोई नहीं तोड़ सकता. अमेरिका में ट्रेनिंग के दौरान ऐसा वक्त भी आया, जब उनको असफलता हाथ लगी, बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी. क्योंकि, वह देश की बेटियों के लिए एक उदाहरण सेट करना चाहती थीं, तािक उन्हें देखकर और भी बेटियां आगे आएं.

पायलट बनने के लिए छोड़ दिया डांस

साक्षी को बचपन से ही डांस का बेहद शौक था. राज्य स्तर पर हुई एक डांस कंपीटिशन में वह फर्स्ट रनरअप रह चुकी हैं. बावजूद इसके पायलट बनने के लिए उन्होंने डांस सीखने की ख्वाहिश को भी छोड़ दिया.

स्काइलाइन एविएशन क्लब से ली शुरुआती ट्रेनिंग

साक्षी ने चंडीगढ़ से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने बचपन के ख्वाब को पूरा करने के लिए मुंबई चली गयीं, जहां उन्होंने देश के नामचीन फ्लाइंग क्लब स्काइलाइन एविएशन क्लब में दाखिला ले लिया. वह एविएशन क्लब में अपने कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) ट्रेनिंग के लिए शामिल हुईं. उन्होंने जी तोड़ मेहनत की. चार महीने के इनिशियल थ्योरी ट्रेनिंग को पूरा करने के बाद एविएशन क्लब ने उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके नामित प्रशिक्षण केंद्र के साथ उन्नत उड़ान प्रशिक्षण के लिए डेप्यूट कर दिया. वहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.

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