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दम तोड़ रही झारखंड में निशुल्क साइकिल वितरण की योजना, 4 साल से फाइल में अटकी, जानें कहां फंसा है पेंच

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टेंडर के खेल में यह योजना चार साल से फाइलों में अटकी हुई है. राज्यभर में हर शैक्षणिक सत्र में साइकिल वितरण योजना के लाभार्थी करीब तीन लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं

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झारखंड में साइकिल वितरण की योजना डीबीटी से टेंडर तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ रही है. राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा में पढ़नेवाले एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को कल्याण विभाग की ओर से नि:शुल्क साइकिल दी जाती है. हालांकि, सुदूर ग्रामीण इलाकों और कस्बों के गरीब बच्चों को इस योजना का लाभ पिछले चार साल से नहीं मिल रहा है.

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क्योंकि, टेंडर के खेल में यह योजना चार साल से फाइलों में अटकी हुई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्यभर में हर शैक्षणिक सत्र में साइकिल वितरण योजना के लाभार्थी करीब तीन लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर अब तक इस योजना में सरकार ने एक पाई भी खर्च नहीं की. ऐसे में वर्ष 2020 में आठवीं कक्षा में नामांकन लेनेवाले लाभार्थी वर्ग के करीब तीन लाख विद्यार्थी बिना साइकिल का हैंडल पकड़े ही 10वीं पास कर गये.

वहीं, नौ लाख लाभार्थी बच्चे (शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लेकर 2023-24 तक के) अब भी साइकिल मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इनमें से तीन लाख बच्चे (वर्ष 2021 में आठवीं में नामांकन लेनेवाले) भी करीब छह महीने में 10वीं पास कर जायेंगे, लेकिन अब तक सरकार निविदा फाइनल नहीं कर पायी है.

इसलिए शुरू की गयी थी योजना

12 किमी तक बच्चों को जाना पड़ रहा है स्कूल

राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों की स्थापना का नियम बनाया कि पंचायतों के तीन किलोमीटर की परिधि में मिडिल स्कूल और पांच किलोमीटर की परिधि में हाइस्कूल होंगे. आठवीं पास कर बच्चों को हाइस्कूलों में जाना पड़ता है, ऐसे में गरीब तबके के कुछ खास वर्ग को साइकिल दी जायेगी. बच्चों के ड्रॉपआउट को रोकने के उद्देश्य से पूरी योजना शुरू की गयी थी. झारखंड के सुदूर ग्रामीण इलाके में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां से बच्चों को 10 से 12 किलोमीटर दूर हाइस्कूल में जाना पड़ता है. सरकार की साइकिल इनको नसीब नहीं है. बच्चे पैदल ही रास्ता नाप रहे हैं.

366 करोड़ की योजना खटाई में

राज्य के आठवीं में पढ़नेवाले बच्चों के लिए साइकिल वितरण के मद में लगभग 122 करोड़ खर्च होते हैं. पिछले तीन सत्रों से साइकिल का वितरण नहीं हो रहा है. दो सत्र का 244 करोड़ रुपये की राशि पीएल खाते में पड़ी है. वहीं, वर्तमान में 2022-23 के सत्र के बच्चों के साइकिल वितरण नहीं हो पाया, ऐसे में सरकार की 366 करोड़ की योजना खटाई में पड़नेवाली है.

समझें साइकिल के खेल को

वर्ष 2020-21 और 2021-22 के सत्र से पहले डीबीटी के माध्यम से साइकिल का पैसा विद्यार्थियों के खाते में डाल दिया जाता था. कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद रहे. बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, वहीं साइकिल वितरण की प्रक्रिया में विलंब हो रहा था. इसके बाद सरकार ने फैसला लिया कि टेंडर के माध्यम से साइकिल की खरीद हो. यहीं से टेंडर का खेल शुरू हुआ.

2022 में सरकार ने लिया फैसला :

आठवीं पास कर नौंवी व 10वीं में जानेवालों को मिलेगी साइकिल

इधर, दो सत्र के बच्चों को साइकिल नहीं मिल पायी थी. इसके बाद वर्ष 2022 के अंतिम महीने में कल्याण विभाग ने फैसला लिया कि विगत दो वर्षों – 2020-21 में आठवीं के छात्र वर्तमान में 10वीं कक्षा में पहुंच गये और 2021-22 में कक्षा आठ में पढ़नेवाले नौंवी कक्षा में पहुंच गये हैं, इसलिए इनको भी साइकिल दी जायेगी. इस तरह से अब साइकिल खरीद बड़ी संख्या में होनी थी. लगभग एक साथ नौ लाख साइकिल खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई. 2022-23 में साइकिल वितरण की योजना को लेकर विवाद शुरू हुआ. पूरी प्रक्रिया के तहत खरीदारी के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हुई, तो कुछ लोगों ने अड़ंगा लगाना शुरू किया.

कल्याण विभाग के कार्यों की आज समीक्षा करेंगे सीएम

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शुक्रवार को कल्याण विभाग की कार्यों की समीक्षा करेंगे. विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की समीक्षा होगी. वर्तमान वित्तीय वर्ष के कार्यों का लेखा-जोखा विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है. राज्य में एसटी-एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए चलायी जानेवाली विशेष योजनाओं की जमीनी हकीकत जानेंगे. मुख्यमंत्री को इन वर्गों के सामाजिक व आर्थिक उन्नयन के लिए किये जा रहे प्रयास से अवगत कराया जायेगा. इसके साथ महिला व बाल विकास की योजनाओं की समीक्षा होगी. विभागीय स्तर पर इसकी तैयारी की जा रही है.

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