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उत्तराखंड: बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच मौलाना महमूद मदनी ने अमित शाह को लिखा पत्र, जानें क्या है मांग?

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उत्तरकाशी में दो लोगों ने एक लड़की का अपहरण करने का प्रयास किया. इसके चलते कई दक्षिणपंथी समूहों ने इसे 'लव जिहाद' की साजिश करार दिया. जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा

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उत्तरकाशी में तनाव 26 मई को बढ़ गया जब दो लोगों ने एक लड़की का अपहरण करने का प्रयास किया. इसके चलते कई दक्षिणपंथी समूहों ने इसे ‘लव जिहाद’ की साजिश करार दिया. जिसे लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा, जिसमें उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बारे में “गहरी” चिंता व्यक्त की गई है. उन्होंने उत्तरकाशी उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय के निष्कासन का खतरा बताया है.

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मदनी के आग्रह के बाद महापंचायत की अनुमति नहीं 

अपने पत्र में, मदनी ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से 15 जून को होने वाली आगामी महापंचायत को रोकने का आग्रह किया, जिसे दक्षिणपंथी संगठनों ने बुलाया था, यह कहते हुए कि इससे राज्य में और सांप्रदायिक हिंसा हो सकती है. उन्होंने लिखा, “मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि 15 जून को होने वाले कार्यक्रम (महा-पंचायत) को रोक दें, जिससे राज्य में सांप्रदायिक संघर्ष हो सकता है और हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच खाई और बढ़ सकती है.” वहीं उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने भी हिंदू संगठनों द्वारा 15 जून को बुलाई गई महापंचायत की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

मदनी ने अपने पत्र में विभाजनकारियों पर सख्त कार्रवाई का आग्रह किया 

मदनी ने अपने पत्र में “विभाजन फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ और भारत के नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए” सख्त कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया. उन्होंने लिखा कि उत्तराखंड अनुकरणीय कानून और व्यवस्था की स्थिति और सांप्रदायिक सद्भाव वाला राज्य था और “उत्तरकाशी में जो हो रहा है वह उसकी प्रकृति से मेल नहीं खाता है”.

पुलिस-प्रशासन से आग्रह 

उन्होंने आगे कहा, “मैं आपसे न केवल व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और आवश्यक आदेश जारी करने का अनुरोध करता हूं, बल्कि विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अलावा कानून की रक्षा करने वाली एजेंसियों आग्रह करता हूं कि वे प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें, भले ही उनका धर्म और जातीय पृष्ठभूमि कुछ भी हो. .”

क्या है पूरा मामला?

आपको बताएं 26 मई को उबेद खान (24) और जितेंद्र सैनी (23) के रूप में पहचाने गए दो लोगों ने कथित तौर पर एक 14 वर्षीय लड़की का अपहरण करने का प्रयास किया. अगले दिन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. दक्षिणपंथी समूहों ने इसे ‘लव जिहाद’ की साजिश बताया. 29 मई को पुरोला में एक विरोध मार्च उस समय हिंसक हो गया जब कुछ आंदोलनकारियों ने मुसलमानों की दुकानों पर हमला कर दिया. तीन जून को भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया था.

पुलिस तमाशबीन बनकर खड़ी है- मदनी 

मदनी ने अपने पत्र में यह भी कहा, “सरकार और उसकी एजेंसियों की ओर से निष्क्रियता ने इस गंभीर सांप्रदायिक स्थिति को और बढ़ा दिया. वे खुलेआम पोस्टर लगा रहे हैं और वीडियो जारी कर रहे हैं और दुर्भाग्य से स्थानीय पुलिस तमाशबीन बनकर खड़ी है. राज्य में बढ़ता इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिकता समाज को विभाजित कर रही है और सांप्रदायिक सद्भाव को खत्म कर रही है.

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के सदस्यों ने सीएम धामी से की मुलाकात 

वहीं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के सदस्यों ने मंगलवार को पुरोला शहर में मुसलमानों को “परेशान” करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात की. सदस्यों ने सीएम को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया है कि राज्य में रहने वाले मुस्लिम “आहत, प्रताड़ित और डरे हुए” हैं.

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