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बिहार के नवादा में तालाब से मिली भगवान हरिहर की दुर्लभ प्रतिमा, 9वीं-10वीं शताब्दी के होने की संभावना

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नारदः संग्रहालय के अध्यक्ष शिव कुमार मिश्र ने इस प्रतिमा के समबंध में बताया कि यह 9वीं- 10 वीं सदी की दुर्लभ मूर्ति हैं. भारतीय इतिहास को जानने में इस प्रकार के प्रतिमा का महत्वपूर्ण योगदान है.

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बिहार के नवादा जिले के सदर प्रखंड के समाय गांव में तालाब की खुदाई में भगवान हरिहर की एक बहुत ही दुर्लभ मूर्ति मिली हैं. समाय गांव में पूर्व से ही खुदाई के दौरान अकसर ऐसी कई महत्वपूर्ण प्रतिमाएं और कलाकृतियां मिलती रही हैं. गर्मी की वजह से तालाब के सूख जाने के बाद स्थानीय लोगों की नजर में भगवान की मूर्ति दिखाई पड़ी है. लोगों में मूर्ति देखने के बाद उसे तालाब से निकाला और फिर स्थानीय लोगों ने उसकी साफ सफाई करके अपने पास रखा है.

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10 वीं सदी की है दुर्लभ मूर्ति

नारदः संग्रहालय के अध्यक्ष शिव कुमार मिश्र ने इस प्रतिमा के समबंध में बताया कि यह 9वीं- 10 वीं सदी की दुर्लभ मूर्ति हैं. भारतीय इतिहास को जानने में इस प्रकार के प्रतिमा का महत्वपूर्ण योगदान है. हमें अपने मूर्तिकला और अन्य कलाकृतियों को संरक्षित रखने की जरूरत है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए उसे संग्रहालय में सुरक्षित रखने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के धरोहर मिलने के बाद उसे संग्रहालय में संरक्षित रखा जाये, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने गौरवशाली अतीत पर नाज कर सकें. रिसर्च और इतिहास को जानने के लिए इस प्रकार के प्रतिमाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है.

गया में मिली थी हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा

वहीं इससे पहले बीते दिनों राज्य के गया जिले के अमरपुर गांव में मछली पकड़ने के दौरान तालाब से दुर्लभ व बेशकीमती एक काले राग की प्रतिमा मिली थी. यहां सुबह के वक्त गांव के लोग जब मछली पकड़ने गए तो उन्हों तालाब में हनुमान जी की काले पत्थर की बनी प्रतिमा देखी. तालाब से मिली इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग ढाई फुट है. गांव के लोग बताते हैं कि अमरपुर के तालाब की खुदाई होने से इतिहास की कई परतें खुल सकती हैं. पुरातत्व विभाग को इस तालाब की सघन खुदाई करानी चाहिए, ताकि कई अन्य जानकारियां एवं दुर्लभ प्रतिमाएं सामने आ सकें.

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