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Ashadh Month 2023: शुरू हो चुका है आषाढ़ माह, जानिए महत्व और पूजा उपासना विधि

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Ashadh Month 2023: इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर आरंभ हो चुका है और इसी के साथ आषाढ़ महीने की भी शुरूआत हो चुकी है. आषाढ़ का महीना 3 जुलाई को खत्म होगा. आषाढ़ का महीना भगवान भगवान विष्णु की पूजा करना अति विशिष्ट माना जाता है.

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Ashadh Month 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 12 महीने होते हैं. हिंदू पंचांग में हर एक महीने का विशेष महत्व होता है.  आषाढ़ माह से ही वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत मानी जाती है. कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, कहते हैं आषाढ़ कामना पूर्ति महीना कहलाता है, इस माह में किए गए तीर्थ, प्रार्थनाएं, जप, तप, साधना सिद्ध हो जाते है.

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कब से आषाढ़ माह की शुरूआत ?

आषाढ़ से पहले ज्येष्ठ का महीना आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार जब ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आती है और फिर इसकी समाप्ति होती है तब अगली तिथि से आषाढ़ का महीना आरंभ हो जाता है. इस बार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर आरंभ हो चुका है और इसी के साथ आषाढ़ महीने की भी शुरूआत हो चुकी है. आषाढ़ का महीना 3 जुलाई को खत्म होगा.

आषाढ़ माह का महत्व (Ashadha Month Significance)

आषाढ़ का महीना भगवान भगवान विष्णु की पूजा करना अति विशिष्ट माना जाता है. आषाढ़ मास में खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साल के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है. आषाढ़ माह से वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है, ऐसे में वातावरण में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है यही वजह है कि इस महीने में य या हवन करने से हानिकारक कीट, पतंगों का नाश होता है. इस महीने में गुरु पूर्णिमा पर गुरु की उपासना से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. साथ ही तंत्र और शक्ति के लिए गुप्त नवरात्रि में देवी की उपासना शुभ फलदायी मानी जाती है. आषाढ़ माह में सूर्य और मंगल की पूज से ऊर्जा का स्तर बेहतर होता है.

चार्तुमास 2023 होता है आरंभ

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास से ही चातुर्मास आरंभ हो जाता है, जो शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है. इस साल अधिक मास होने के कारण चार्तुमास पूरे 5 माह को होगा. ऐसे में किसी भी मांगलिक और शुभ काम को करने की मनाही होती है. इस दौरान सिर्फ तप, तप और ध्यान करना शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चातुर्मास 29 जून, गुरुवार को देवशयनी एकादशी के साथ आरंभ हो रहा है और समापन 23 नवंबर, गुरुवार को देवुत्थान एकादशी के दिन समाप्त हो जाएगा.

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