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LAC पर चीन ने किया बड़ा विस्तार, सैटेलाइट इमेज से हुआ एयरफील्ड, हेलीपैड और मिसाइल बेस का खुलासा

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इमेजरी के विश्लेषण के अनुसार, चीन ने LAC पर अपनी सेना के लिए व्यापक सुविधाओं का विस्तार किया है और कुछ क्षेत्रों में भारत से मुकाबला करने की तुलनात्मक क्षमता विकसित कर ली है. इस साल मई की एक इमेजरी में वहां एक नया रनवे और कम से कम 30 नए कठोर विमान आश्रय और नई कई इमारतें दिखाई गईं हैं.

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भारत और चीन के बीच वास्तविक नियत्रण रेखा (LAC) पर चीन अपनी सेना के लिए खास इंतजाम किया है. इसका खुलासा हिंदुस्तान टाइम्स को प्लैनेट लैब्स द्वारा विशेष रूप से उपलब्ध कराई गई सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से हुआ है. ताजा तस्वीर के विश्लेषण से पता चलता है कि लद्दाख के करीब होटान, हिमाचल प्रदेश के करीब न्गारी गुनसा और तिब्बत के ल्हासा में चीन ने नए एयरफील्ड के तहत या तो नए रनवे का निर्माण करके सैनिक सुविधाओं का विस्तार किया है, या फिर लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए बनाए गए मजबूत आश्रयों और नए सैन्य संचालन भवनों का निर्माण किया है.

भारतीय अधिकारियों ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया

वहीं भारतीय अधिकारियों ने इस विश्लेषण पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है. आपको बताएं, मई 2020 में जब से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई है, तब से चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब अपनी भौगोलिक सीमा में हवाई क्षेत्रों का लगातार विस्तार कर रहा है. सैटेलाइट इमेजरी से इसका खुलासा हुआ है. इमेजरी के विश्लेषण के अनुसार, चीन ने LAC पर अपनी सेना के लिए व्यापक सुविधाओं का विस्तार किया है और कुछ क्षेत्रों में भारत से मुकाबला करने की तुलनात्मक क्षमता विकसित कर ली है.

टान, न्गारी गुनसा और ल्हासा में सामरिक विस्तार 

चीन के तीन क्षेत्र टान, न्गारी गुनसा और ल्हासा को उनकी भौगोलिक स्थिति के कारण विश्लेषण के लिए चुना गया जो भारतीय पक्ष के सामरिक स्थिति के ठीक विपरीत स्थान पर हैं और 2020 में भारत के साथ सैन्य गतिरोध के दौरान चीनी सैनिकों का संचालन केंद्र था, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को छह दशक के निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में एक क्रूर संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. भारतीय जवानों की कार्रवाई में भी कई चीनी सैनिक मारे गए थे. 45 वर्षों में एलएसी पर चीन के साथ संघर्ष में यह पहली मौत थी.

न्गारी गुनसा एयरफ़ील्ड में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुई थी झड़प

न्गारी गुनसा एयरफ़ील्ड तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पैंगोंग झील से सीधी रेखा में 200 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां भारतीय और चीनी सेना के बीच कई झड़पें देखी हैं. यहां चीनी पक्ष एक महत्वपूर्ण पुल का निर्माण कर रहा है. इस एयरफ़ील्ड का परिचालन 2010 में शुरू हुआ था लेकिन 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद इसका विस्तार तेजी से किया गया. उस समय भी लड़ाकू विमान यहां तैनात किए गए थे.

न्गारी गुनसा चीनी सेना के लिए एक प्रमुख रसद केंद्र

जून 2020 की एक सैटेलाइट इमेज में यहां लड़ाकू जेट के साथ केवल एक एयरक्राफ्ट एप्रन दिखाया गया है लेकिन इस साल मई की इमेजरी में एक नया टैक्सीवे और रनवे दिख रहा है. नई इमेजरी में कम से कम 16 नए विमान आश्रय और नए सैन्य संचालन भवन भी दिख रहे हैं. यहां भी यूएवी की तैनाती दिख रहा है. न्गारी गुनसा चीनी सेना के लिए एक प्रमुख रसद केंद्र के रूप में कार्य करता रहा है.

ल्हासा में नया और रनवे और 30 से अधिक विमान घर का निर्माण 

तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की प्रशासनिक राजधानी ल्हासा का हवाईअड्डा लंबे समय से दोहरे उपयोग वाली सुविधा से लैस रहा है. जो पूर्वी क्षेत्र में चीनी दावों के केंद्र रहे हैं. मई 2020 की एक सैटेलाइट इमेज में मौजूदा एयरक्राफ्ट एप्रन पर कॉम्बैट जेट्स को दिखाया गया है. इस साल मई की एक इमेजरी में वहां एक नया रनवे और निर्माणाधीन एक नया एप्रन और कम से कम 30 नए कठोर विमान आश्रय और नई कई इमारतें दिखाई गईं हैं. हाल के वर्षों की सैटेलाइट इमेजरी ने ल्हासा हवाई क्षेत्र के दक्षिण में भूमिगत सुविधाओं के निर्माण के साथ-साथ एक रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध इकाई और एक वायु रक्षा इकाई को भी दिखाया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार.

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