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World No Tobacco Day 2023: तंबाकू सेवन से बढ़ जाता है गंभीर रोगों का खतरा, जानें इस लत से छुटकारा पाने के उपाय

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विभिन्न स्वरूप में तंबाकू का सेवन मृत्यु के उन कारणों में से सबसे प्रमुख है, जिनसे बचा जा सकता है. हाल ही में लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, धूम्रपान करने वालों को सामान्य लोगों की तुलना में 56 बीमारियों का खतरा अधिक होता है.

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हाल ही में लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, धूम्रपान करने वालों को सामान्य लोगों की तुलना में 56 बीमारियों का खतरा अधिक होता है. इसमें कई प्रकार के कैंसर से लेकर दिल, दिमाग, लिवर और आंखों की बीमारियां तक शामिल हैं. तंबाकू में पाये जाने वाले हानिकारक रसायन शरीर के विभिन्न अंगों को अंदर-ही-अंदर कमजोर कर देते हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आज से ही हम तंबाकू को न कहें.

तंबाकू का होता है पौधा

तंबाकू एक पौधा होता है, जिसकी कई प्रजातियां होती हैं. इसकी सुखी पत्तियों को विभिन्न रूपों में इस्तेमाल किया जाता है. तंबाकू का किसी भी रूप व मात्रा में सेवन हानिकारक होता है. सिगरेट पीना दुनियाभर में तंबाकू के सेवन का सबसे सामान्य रूप है. हर वर्ष पूरी दुनिया में खरबों सिगरेट बिक जाती हैं, लेकिन भारत में तंबाकू के सेवन के विविध पैटर्न हैं- इसे सिगरेट, बीड़ी, सिगार, हुक्का और शीशा आदि के रूप में और धुएं रहित रूप में जैसे- खैनी, पान और गुटखे के रूप में भी लिया जाता है. निकोटिन सेवन के नये रूप भी काफी प्रचलन में हैं, जैसे इ-सिगरेट, वैपिंग आदि. कई लोग समझते हैं कि इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह गलत है. इ-सिगरेट में प्रोप्लीन ग्लायकॉल हो भी सकता है और नहीं भी. यह ब्लड प्रेशर को अनियंत्रित कर देती है व इसके बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ता जाता है.

इस लत से कैसे पाएं छुटकारा

अगर आप निकोटिन की लत से बाहर आना चाहते हैं, तो आपके लिए यह सबसे बेहतर रहेगा कि आप काउंसलिंग के साथ डॉक्टर की सलाह से एक या दो क्विट स्मोकिंग प्रोडक्ट्स (तंबाकू छोड़ने के लिए विशेष रूप से निर्मित पदार्थ) का इस्तेमाल भी करें. क्विट-स्मोकिंग प्रोडक्ट्स को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है.

निकोटिन रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट्स : निकोटिन पैचेस, निकोटिन गम, निकोटिन लोजेंगेस, निकोटिन नैजल स्प्रे और इनहेलर को रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट्स के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इनका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा रहता है.

दवाइयां : डॉक्टर कुछ दवाइयां भी प्रिसक्राइब करते हैं, जिनमें निकोटिन नहीं होता है, लेकिन ये निकोटिन की तीव्र इच्छा और विदड्रॉवल सिम्पटम्स (नशीले पदार्थों का प्रतिकार) को कम करने में सहायता करती हैं. ये दवाइयां आपको हमेशा के लिए तंबाकू उत्पादों के सेवन को छोड़ने में सहायता करेंगी.

क्या है इस वर्ष की थीम

तंबाकू सेवन व इसके सेवन से होने वाली बीमारियों व मौतों को रोका जा सकता है. यही वजह है कि वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम ‘वी नीड फूड, नॉट टॉबैको’ यानी हमें भोजन चाहिए, तंबाकू नहीं, चुनी गयी है. इस थीम के द्वारा न केवल तंबाकू के सेवन को, बल्कि उसके उत्पादन को भी कम करने के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास है, ताकि तंबाकू किसानों को भी जागरूक किया जा सके.

तंबाकू के सेवन का शरीर पर प्रभाव

तंबाकू शरीर के हर अंग और तंत्र को नुकसान पहुंचाता है. तंबाकू में निकोटिन और अन्य जहरीले रसायन होते हैं. यहां तक ​​कि अगर आप धुएं में सांस नहीं लेते हैं, तब भी आप अपने मुंह की परत के माध्यम से हानिकारक रसायनों को अवशोषित करते हैं. किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन, जिन बीमारियों का खतरा बढ़ाता है उनमें निम्न सबसे प्रमुख हैं.

कैंसर

कैंसर : अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, तंबाकू में 7000 रसायन होते हैं, जिनमें से कम-से-कम 70 कैंसर का कारण बन सकते हैं, जिन्हें कार्सिनोजन्स कहते हैं. इसमें से सबसे प्रमुख फेफड़ों का कैंसर है. इसके अलावा गले, मुंह, आहारनाल, ब्लैडर, किडनी आदि तरह के कैंसर होने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है.

कार्डियोवॉस्क्युलर डिजीजेज

कार्डियोवॉस्क्युलर डिजीजेज : तंबाकू के धुएं में जो रसायन होते हैं, उनसे कार्डियोवॉस्क्युलर डिजीजेज का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान के कारण रक्त में प्लॉक का निर्माण होने लगता है, जो धमनियों की दीवार पर चिपक जाता है, जिससे वे संकरी हो जाती हैं. इससे रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है. इससे रक्तदाब और हृदय की धड़कनें बढ़ जाती हैं. धूम्रपान से कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी कार्डियोवॉस्क्युलर की चपेट में आने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि कोरोनरी हार्ट डिजीज से होने वाली मौतों में से 20 प्रतिशत मौतें तंबाकू के अधिक सेवन के कारण हो रही हैं.

हड्डियों से संबंधित समस्याएं

हड्डियों से संबंधित समस्याएं : नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के अनुसार, धूम्रपान करने से हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर और आसानी से टूटने वाली हो जाती हैं. यह स्थिति ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन जाती है. धूम्रपान और तंबाकू के अन्य उत्पादों का सेवन करने से एवॉस्क्युलर नैक्रोसिस और अर्थराइटिस का खतरा भी बढ़ जाता है. यही नहीं, मरीज दवाइयों और उपचार के प्रति भी बेहतर रिस्पांस नहीं दे पाता है.

श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं

श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं : धूम्रपान फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. लगातार धुआं पैदा करने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन श्वास मार्ग और एयर सैक्स को क्षतिग्रस्त कर देता है. धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का सबसे प्रमुख कारण है. इसके अलावा जो लोग लंबे समय तक धूम्रपान करते हैं, उनमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया, अस्थमा और टीबी होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

डायबिटीज

डायबिटीज : अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, धूम्रपान के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इनके अलावा प्रजनन तंत्र से संबंधित समस्याएं, इम्युनिटी का कमजोर होना, मसूड़ों व त्वचा आदि से संबंधित समस्याओं का कारण भी बन सकता है.

तंबाकू में पाये जाने वाले रसायन

निकोटिन : निकोटिन तंबाकू में पाया जाने वाला सबसे प्रमुख हानिकारक रसायन है. जब इसका सेवन किया जाता है, तब मस्तिष्क पर इसका प्रभाव आनंददायी होता है. इसी अनुभव के लिए लोग बार-बार इसका सेवन करते हैं और फिर वे इसके आदी हो जाते हैं. निकोटिन जब शरीर में प्रवेश करता है, तो यह 20 से अधिक पदार्थों में टूटता है और ये सभी शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं.

कार्बन मोनोऑक्साइड : यह रक्त से ऑक्सीजन को रिप्लेस कर देता है, इससे अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे वह अपने काम सामान्यरूप से नहीं कर पाते हैं.

टार : यह चपिचिपा भूरे रंग का पदार्थ होता है, जो फेफड़ों पर परत के रूप में जम जाता है और सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जो सांसों से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को जन्म देती है.

इनके अलावा, फिनॉल, महीन कण, अमोनिया और फॉर्मल्डिहाइड भी होते हैं, जो हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं.

बातचीत व आलेख शमीम खान

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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