26.9 C
Ranchi
Wednesday, April 23, 2025 | 06:44 am

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

थानों में सीसीटीवी लगे

Advertisement

फरवरी में अदालत ने क्षोभ जताते हुए कहा था कि तीन साल बीत जाने के बाद भी इस संबंध में ठोस पहलकदमी नहीं हुई है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि जांच एजेंसियों और थानों में तीन माह के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएं. जांच और पूछताछ की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने तथा हिरासत में लिये गये आरोपियों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश अनेक बार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया जा चुका है. हालिया आदेश में आगामी 18 जुलाई तक दिसंबर, 2020 के निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है.

उल्लेखनीय है कि 2015 के एक मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत देशभर के थानों और जेलों में कैमरे लगाने का ऐसा आदेश दे चुकी है. वर्ष 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को कहा गया था कि जांच के दौरान अपराध स्थल पर की गयी वीडियोग्राफी का इस्तेमाल कैसे हो, इसके लिए एक केंद्रीय पर्यवेक्षण निकाय बनाने का निर्देश दिया गया था. इस वर्ष फरवरी में भी सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिसंबर, 2020 के आदेश पर अमल करने को कहा था.

इन निर्देशों का समुचित अनुपालन नहीं होना चिंताजनक है. अदालत ने अपने निर्देशों में यह भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी, फिर भी सीसीटीवी लगाने को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है. इस संदर्भ में जो अदालत का बुनियादी फैसला है, उसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे उपाय जरूरी हैं.

बीते फरवरी में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने क्षोभ जताते हुए कहा था कि तीन साल बीत जाने के बाद भी इस संबंध में ठोस पहलकदमी नहीं हुई है. हमारे देश में थानों में पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार और मारपीट के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. कई बार पीड़ितों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है. आरोप लग जाने या संदेह के आधार पर हिरासत में लेने से पुलिस को अत्याचार करने का अधिकार नहीं मिल जाता है.

पूछताछ और जांच को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं, पर उनका ठीक से पालन नहीं होता. वर्ष 2021 में प्रकाशित एक आधिकारिक रिपोर्ट में बताया गया था कि दो दशकों में भारत में हिरासत में 1,888 मौतें हुई थी. उस दौरान पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 आपराधिक मामले दर्ज हुए, पर केवल 358 मामलों में ही नाम के साथ आरोप दर्ज हुए. कुछ स्वतंत्र अध्ययन तो कहते हैं कि 2019 में हर रोज हिरासत में औसतन लगभग पांच लोगों की मौत हुई. जेलों में भी हत्या, यातना और मारपीट की घटनाएं होती हैं. ऐसी वारदातों को रोकने में सीसीटीवी कैमरे मददगार हो सकते हैं.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels