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Sankashti Chaturthi 2023: इस दिन मनाई जाएगी संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. 8 मई को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं संकष्टि चतुर्थी व्रत के उपाय और महत्वपूर्ण नियम

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Sankashti Chaturthi 2023:  एक बार पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है.  8 मई को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी.  भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं संकष्टि चतुर्थी व्रत के उपाय और महत्वपूर्ण नियम

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

संकष्टी चतुर्थी  के दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने से भक्तो की सभी मनोकामनाएं पुर्ण होती हैं और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश उनके जीवन के सभी दुख और संकटो को दूर कर देते हैं. इस दौरान भगवान श्री गणेश जी की पुजा, आरती, उनके मंत्रो और चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा के साथ करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से अधिक  फल और आशीर्वाद प्राप्त होता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से भक्तों  के सभी प्रकारके दुख दूर हो जाते हैं.

संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

संकष्‍टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले तिल के पानी से स्‍नान करें और फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान गणेश की पूजा करें. गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा और चंदन अर्पित करें. साथ ही मोदक का भोग लगाएं. इस व्रत में तिल का खास महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देने का विधान है. पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को सूर्यास्‍त के बाद पुन: गणेशजी की पूजा करें और उसके बाद चंद्रोदय की प्रतीक्षा करें. चंद्रोदय के बाद चांद को तिल, गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए. इस अर्घ्य के बाद ही व्रती को अपना व्रत खोलना चाहिए. गणेशजी की पूजा के बाद तिल का प्रसाद खाना चाहिए. जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी गणेशजी की पूजा अर्चना करके संध्या के समय तिल से बनी चीजें खानी चाहिए.

संकष्‍टी चतुर्थी का महत्‍व

संकष्‍टी चतुर्थी का अर्थ संकटों का हरण करने वाली चतुर्थी होता है. इस व्रत को करने से गणेशजी प्रसन्‍न होकर हमारे सभी संकट दूर करते हैं और संतान को दीघार्यु का आशीर्वाद देते हैं. यह भी मान्‍यता है कि इसी दिन पौराणिक काल में भगवान शिव ने गणेशजी को हाथी का सिर लगाकर उनके संकट दूर किए थे, तब से इस दिन को संकष्‍टी चतुर्थी के रूप में पूजा जाने लगा. इस दिन व्रत में भी भगवान गणेश की पूजा के साथ उपवास रखा जाता है और कथा सुनाई जाती है.

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