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झारखंड : पश्चिमी सिंहभूम के जंतालबेड़ा में जलमीनार खराब, चापाकल पर सुबह से लगती है कतार, नहीं ले रहा कोई सुध

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पश्चिमी सिंहभूम के जंतालबेड़ा गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. मात्र दो चापाकल से 300 लोगों की प्यास बुझ रही है. पिछले दो साल से जलमीनार खराब है. इसके कारण सुबह चार बजे से चापाकल पर लोगों की कतार लग जाती है. अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

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चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), प्रताप प्रमाणिक : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत जंतालबेड़ा गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. सबसे घटिया व्यवस्था शिक्षा, पेयजल व सड़क की है. गांव में स्वास्थ्य के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. राशन लाने के लिए तीन सौ परिवार को पांच किमी दूर जाना पड़ता है. जंतालबेड़ा में पेयजल संकट से ग्रामीण परेशान हैं. गांव में मात्र दो चापाकल सही सलामत है. दो चापाकल तीन सौ ग्रामीणों की प्यास बुझा रहा है.

दो साल से जलमीनार खराब

पेयजल व स्वच्छता विभाग की ओर से वर्ष 2015-16 में जलमीनार का निर्माण कराया गया था. दो साल से जलमीनार खराब पड़ी है. गांव में चार चापाकल है, जिसमें दो चापाकल पूरी तरह खराब पड़ा है. पानी को लेकर ग्रामीणों को सुबह चार बजे से रात के आठ बजे तक जद्दोजहद करनी पड़ती है. दो चापाकल में यदि एक भी खराब हो गया तो ग्रामीणों के समक्ष पेयजल को लिए हाहाकार मच जायेगा. दिन भर ग्रामीणों को कतार में लगकर पानी लेना पड़ता है.

कच्ची सड़क से आवागमन कर रहे ग्रामीण

जंतालबेड़ा गांव की मुख्य सड़क पक्की है. इसके अलावे गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं है. जब से गांव बसा आज तक गांव के भीतर एक भी पक्की सड़क नहीं बनी है. गांव में नाली भी नहीं है. नाली के अभाव में बरसात के दिनों में पानी घरों में घुसता है. कच्ची सड़क कीचड़मय हो जाती है. गांव में मुलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. गांव को लोग नरकीय जीवन जीने को विवश हैं.

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पांच किमी दूर से लाना पड़ता है राशन

जंतालबेड़ा गांव के तीन सौ परिवार को राशन लाने के लिये पांच किमी दूरी तय कर सानी पदमपुर गांव जाना पड़ता है. राशन लाने के लिये ग्रामीणों को एक दिन का पुरा वक्त लग जाता है. ग्रामीणों को गांव में ही राशन दुकान संचालित करने का मांग किया है. गांव के अधिकत्तर लोग मजदूर व किसान वर्ग है. सिंचाई की सुविधा नहीं होने से ग्रामीण खेती कार्य को छोड़ कर मजदूरी में जुट जाते है. स्वास्थ्य सुविधा गांव में नहीं है. छोटे छोटी बीमारी के लिये मरीजों को चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल आना पड़ता है. गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र भी नहीं है.

दो शिक्षकों के भरोसे 128 विद्यार्थियों का भविष्य

राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. वहीं दूसरी चक्रधरपुर प्रखंड की पदमपुर पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय जंतालबेड़ा की हालत काफी खराब है. इस स्कूल में एक सरकारी और एक पारा शिक्षक नियुक्त हैं. कक्षा एक से आठ तक संचालित इस विद्यालय में 128 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. स्कूल में शिक्षकों की काफी कमी है. स्कूल के शौचालय की हालत भी जर्जर हाल में है. एक कमरा में दो कक्षाएं संचालित हो रही हैं. ऐसे में बच्चों को कितना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. प्रतिनियुक्त दो शिक्षक कक्षाओं में घूम- घूम कर बच्चों को शिक्षा देते हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण साधु बोदरा का कहना है कि जंतालबेड़ा में जल समस्या का निदान हो. गांव में पेयजल संकट विकराल रूप धारण कर चुकी है. पानी के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. सुबह से लेकर देर रात तक लोग पानी लेने के लिए कतार में लगे रहते हैं. वहीं, रानी नायक का कहना है कि विभाग गांव की खराब पड़े जलमीनार व चापाकलों को दुरस्त करे. जनप्रतिनिधि व सरकारी पदाधिकारी गांव में कभी नहीं आते हैं. जनप्रतिनिधि पांच साल में एक बार दिखाई पड़ते हैं. गांव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. 

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गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी है

ग्रामीण विभीषण नायक ने कहा कि गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की है. पानी के लिए सुबह से ग्रामीणों को चिंता सताने लगती है. भीषण गर्मी, ऊपर से पानी की किल्लत. लोग दोहरा मार झेलने को मजबूर हैं. गांव की पेयजल संकट जल्द दूर हो. वहीं, सरस्वती नायक का कहना है कि गांव में शिक्षा की स्थिति दयनीय है. गांव में स्कूल है, पर शिक्षक नहीं हैं. बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा, यह भगवान भरोसे है. सरकार स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति करे, ताकि यहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.

सड़कों का भी अभाव

ग्रामीण लखन गागराई ने कहा कि गांव में कच्ची सड़कों का जाल बिछा है. मुख्य सड़क को छोड़ गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं है. जब से गांव बसा, तब से लेकर आज तक सड़क नहीं बनी है. ऐसे में गांव का विकास की बात करना बेइमानी होगी. वहीं, सनातन बोदरा ने कहा कि मूलभूत सुविधा के नाम पर गांव में कुछ भी नहीं है. शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य कुछ नहीं है. सरकार अंतिम व्यक्ति तक विकास करने की बात कहती है, लेकिन जंतालबेड़ा गांव में विकास के नाम पर कुछ नहीं है.

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