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Dora Parv 2023 : बरहरवा में 36 घंटे उपवास रहकर महिलाओं ने भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य

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Dora Parv 2023|महिलाएं पर्व से तीन दिन पूर्व गंगा स्नान कर नहाय-खाय के साथ इस कठिन व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय-खाय के अगले दिन खरना होता है. तीसरे व अंतिम दिन डोरा पर्व की कथा सुनने के बाद दिन में लगभग 11 बजे व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

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Dora Parv 2023 : झारखंड के संताल परगना (Santhal Pargana) स्थित बरहरवा (Barharwa) नगर के खैतोरीपाड़ा में रविवार को पूरे विधि-विधान से महिलाओं ने डोरा पर्व (Dora Parv Kab Hota Hai) मनाया. इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की गयी. जानकारी हो कि वर्षों से गांव में डोरा पर्व का आयोजन होता आ रहा है. यह पर्व छठ महापर्व (Chhath Maha Parv) की तरह ही मनाया जाता है.

छठ महापर्व की तरह नहाय-खाय के साथ होती है व्रत की शुरुआत

महिलाएं पर्व से तीन दिन पूर्व गंगा स्नान कर नहाय-खाय के साथ इस कठिन व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय-खाय के अगले दिन खरना होता है. तीसरे व अंतिम दिन डोरा पर्व की कथा सुनने के बाद दिन में लगभग 11 बजे व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद कुंवारी कन्याओं का शृंगार कर पूजन किया जाता है. इसके बाद व्रती पर्व का निस्तार करती हैं.

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36 घंटे का उपवास करती हैं व्रती, चढ़ाती हैं डाला

इस पर्व में व्रती 36 घंटे का उपवास करती हैं तथा डाला भी चढ़ाती हैं. मौके पर समाजसेवी शक्तिनाथ अमन, बप्पन साव, कंचन सिंह, हरि सिंह, किशोर सिंह, भरत सिंह, टिंकू सिंह, कमल सिंह सहित अन्य मौजूद थे.

कार्तिक के महीने में भी मनाया जाता है छठ महापर्व

उल्लेखनीय है कि छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक बार रामवनमी के दौरान मार्च-अप्रैल में चैती छठ पूजा होती है. इसके बाद अक्टूबर-नवंबर में भी एक बार छठ महापर्व मनाया जाता है. कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला छठ महापर्व दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है.

छठ महापर्व अब देश के कई राज्यों में मनाया जाने लगा है

छठ महापर्व को मुख्य रूप से बिहार का पर्व माना जाता है. लेकिन, अब इस पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाने लगा है. झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य प्रांतों के लोगों ने भी छठ महापर्व को मनाना शुरू कर दिया है. इस पर्व को बड़ी ही निष्ठा के साथ मनाया जाता है. छठ महापर्व में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.

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