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भारत-अमेरिका व्यापार

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अमेरिका उन कुछ देशों में है, जहां से हमारे आयात से अधिक निर्यात होता है. वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 28 अरब डॉलर रहा.

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बीते वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 128.55 अरब डॉलर रहा. वित्त वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 119.5 अरब डॉलर और 2020-21 में 80.51 अरब डॉलर रहा था. इस 7.65 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. बढ़ोतरी का यह रूझान दोनों देशों के गहन होते आर्थिक संबंध को रेखांकित करता है. भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के साथ आयात और निर्यात भी बढ़ते जा रहे हैं.

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पिछले वित्त वर्ष में अमेरिका को हुए निर्यात में जहां 2.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं आयात लगभग 16 प्रतिशत बढ़ा. उल्लेखनीय है कि अमेरिका उन कुछ देशों में है, जहां से हमारे आयात से अधिक निर्यात होता है. वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 28 अरब डॉलर रहा. इतना ही नहीं, विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा पैसे भेजने के मामले में भी अमेरिका पहले पायदान पर है. बीते साल विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि 2022 में भारतीय दूसरे देशों से भारत को 100 अरब डॉलर के आसपास भेज सकते हैं.

वर्ष 2021 के आंकड़ों के आधार पर बताया गया था कि संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका 23.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे ऊपर आ गया है. अब भारत से द्विपक्षीय व्यापार के मामले में चीन दूसरे स्थान पर आ गया है. इसका मुख्य कारण यह रहा कि चीन से हमारा आयात 4.16 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन निर्यात में लगभग 28 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी. व्यापार संतुलन भी चीन के पक्ष में है और 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार घाटा 83.2 अरब डॉलर रहा, जो 2021-22 में 72.91 अरब डॉलर था.

बहरहाल, विशेषज्ञों का आकलन है कि आगामी महीनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में बढ़ोतरी बरकरार रहेगी. कीमती पत्थरों और आभूषणों के साथ-साथ दवाओं और इंजीनियरिंग उपकरणों का निर्यात बढ़ना बहुत उत्साहजनक है. अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की कुल मांग का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारतीय निर्यात से पूरा किया जाता है.

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है तथा हमारी बाजार अर्थव्यवस्था सबसे अधिक गति से बढ़ रही है. यह अमेरिका और अन्य देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्यापारिक अवसर है. भारत ने आत्मनिर्भर अभियान, मेक इन इंडिया, उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना जैसी अनेक पहलों से उत्पादन भी बढ़ रहा है तथा गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है.

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