15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 10:18 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Exclusive: अपनी अब तक की पूरी सेविंग लगाकर फिल्म पिंकी ब्यूटी पार्लर बनायी है – अक्षय सिंह

Advertisement

अक्षय सिंह ने फिल्म पिंकी ब्यूटी पार्लर से निर्माता निर्देशक के तौर पर रुपहले परदे पर अपनी नयी शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म के लिए मैंने और मेरी पत्नी ने जो भी राइटिंग, एक्टिंग से कमाया था, वो सारी सेविंग लगा दी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

छोटे पर्दे पर अभिनेता और लेखक के तौर अपनी पहचान रखने वाले, अक्षय सिंह ने हालिया रिलीज फिल्म पिंकी ब्यूटी पार्लर से निर्माता निर्देशक के तौर पर रुपहले परदे पर अपनी नयी शुरुआत की है. वह बताते हैं कि उनकी हालिया रिलीज यह फिल्म कान और मामी जैसे फिल्म फेस्टिवल्स सहित 32 से अधिक फिल्म फेस्टिवल्स में सराही जा चुकी है. उर्मिला कोरी से बातचीत के प्रमुख अंश…

- Advertisement -

एक्टिंग से निर्देशन में आने का फैसला कैसे किया?

मुझे जहां तक याद है. मैं हमेशा से यही करना चाहता था. स्कूल के समय से ही, यही वजह है कि कॉलेज के बाद मैं थिएटर में जुड़ गया और फिर 2003 के बाद मुंबई आ गया था. शुरुआत टीवी सीरियल में एक्टिंग से की. मैं एक्टिंग के दौरान कभी भी ग्रीन रूम में नहीं जाता था, जैसे आमतौर पर एक्टर्स चले जाते हैं. मैं मॉनिटर के पास ही बैठा रहता था. टीवी पर कश्मीर और शाकालाका बूम बूम जैसे शो का हिस्सा था. उसके बाद फिल्मों में भी एक्टिंग की, लेकिन वो फ़िल्में रिलीज नहीं हो रही थी, तो मैं अपने पुराने प्यार लेखन से जुड़ गया. कुछ एक फिल्मों और शोज को लिखा, उसके बाद मुझे लगा कि अपनी स्क्रिप्ट लिखनी चाहिए. फिल्म बनाने का सपना पूरा करना चाहिए. मुझे लगा कि ये हाई टाइम है उसके बाद मैंने पिंकी ब्यूटी पार्लर की कहानी लिखी. वैसे इस फिल्म में मैंने एक्टिंग भी की है.

रंगभेद पर आधारित इस फिल्म का आईडिया कब आया था?

यह ऐसा मुद्दा है, जो हर परिवार और समाज में है. मैंने अपने परिवार में भी देखा था. मैं जॉइंट फॅमिली में पला-बढ़ा हूं. मैंने देखा है कि एक चाचा की बेटी अगर बहुत गोरी है और दूसरी का रंग सांवला होता था, तो दोनों के प्रति बर्ताव में भी अंतर आ जाता था. वो अंतर मेरे दिमाग में बहुत असर छोड़ गया था, शायद मैं बहुत संवेदनशील रहा होऊंगा, तो कहानी का बीज वहीँ से आया. मुद्दा तो ठीक है , लेकिन मुझे नरेटिव रोचक चाहिए. फिर ये था कि एंटरटेनमेंट होना चाहिए सॉलिड. थिएटर में पैसे देकर कोई ज्ञान लेने तो आता नहीं है. मैंने पंद्रह सोलह ड्राफ्ट लिखने के बाद स्क्रिप्ट फाइनल की और अपनी राइटर पत्नी को उसे पढ़ने को दिय्या. वे ठहाके मारकर हंसी और इस तरह से जर्नी शुरू हुई. इस तरह हम निकल पड़े.

फिल्म के निर्माता भी आप ही हैं?

हां, मैं और मेरी पत्नी हैं. हमने निर्माता ढूंढने की कोशिश की, लेकिन यही सुनने को मिलता था कि इसने शार्ट फिल्म भी नहीं बनायीं है, और ये फिल्म डायरेक्ट करने की सोच रहा है.फिल्म में कोई बड़ा चेहरा नहीं है. मेरे पास समय की कमी थी, क्योंकि मेरी फिल्म दशहरे के इर्द – गिर्द शूट होनी जरूरी थी. जुलाई का महीना इसी सब को करते-करते आ गया. लगा कि भइया अब नहीं करुंगा, तो फिर साल भर कैसे रुकूंगा. मैं सेट तो लगा नहीं सकता था. उसके बाद मैंने और मेरी पत्नी ने तय किया कि हम ही इसे प्रोड्यूस करते हैं, तो फिर हमने खुद ही पन्गा ले लिया कि हम ही इसे प्रोडयूस कर लेते हैं. हमने जो भी राइटिंग,एक्टिंग से कमाया था वो सारी सेविंग लगा दी.

पहली बार निर्देशन करने की क्या चुनौतियां थी?

हम बनारस में शूट करना चाहते थे , लेकिन पूरा आउटडोर शूट में जाने से पहले हम खुद को नाप भी लेना चाहते थे कि हम कितने पानी में हैं. वहां जाकर गलती करने से अच्छा है कि यहीं से जान लें कि क्या कमियां हो सकती हैं. हमने दो दिन का मुंबई में शूट रखा और फिल्म का टीजर शूट किया. जैसे हमने प्लान किया वैसे ही शूट हुआ. कुछ बदलाव भी लाने पड़े. डीओपी बदलना पड़ा, क्योंकि एक दिन की शूटिंग के दौरान मैं बहुत ज़्यादा इम्प्रोवाइज कर रहा था, लेकिन वो उसके लिए तैयार नहीं था. उसका कहना होता था कि अरे ये तो हमने प्लान ही नहीं किया था. वो बात मेरे लिए मुश्किल वाली थी, क्योंकि बनारस में मेरी प्लानिंग गुरिल्ला शूटिंग की थी. अब आप सोचिये गुरिल्ला शूट में कहां से प्लानिंग काम आएगी. मैंने बोलै सॉरी नेक्स्ट टाइम काम करते हैं. गगनदीप फिर इस फिल्म से डीओपी के तौर पर जुड़े. उन्होंने इससे पहले फिल्मों में काम नहीं किया था , लेकिन उनका जूनून था. जो मुझे पसंद आया.

लाइव लोकेशन में शूटिंग करना कितना आसान रहता था?

दिक्कतें आती थी, लेकिन हम उसमे भी रास्ता निकाल लेते थे. जैसे मैं आपको एक किस्सा सुनाऊं तो दशहरे के टाइम में बनारस में बड़ी-बड़ी रामलीला होती थी. एक बहुत बड़ी रामलीला हो रही थी. मुझे लगा कि यहां शूट करना सही रहेगा. हम सभी राम लीला की भीड़ में ही शामिल हो गए. लोगों को लग रहा था कि न्यूज़ एजेंसी वाले होंगे. हमने कुछ ऐसे शॉट लिए कि हम भीड़ में बैठे हैं. अचानक से मैंने अपने डीओपी को कहा कि मैं स्टेज पर जा रहा हूँ ,तुम भी पीछे चलो. स्टेज पर रामलीला के दौरान पैसा भी दिया जाता है. वहां पर मैं भी चला गया और पिंकी ब्यूटी पार्लर के नाम पर मैंने 100 रूपया दिया और उसका उनलोगों ने अनाउंसमेंट भी किया. जो फिल्म का अहम सीन भी बन गया.

फिल्म की रिलीज ओटीटी पर करना फायदेमंद हो सकता था ?

ओटीटी बेस्ट है, लेकिन अभी भी ओटीटी आम तबके की पहुंच से दूर है. मेरी फिल्म का विषय ऐसा है, मुझे इसे मासेस तक पहुंचना था और यह निर्माता निर्देशक के तौर पर मेरी पहली फिल्म है, इसलिए मैं इसे थिएटर में रिलीज करना चाहता था, क्योंकि हमेशा से यही मेरा सपना था.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स

एक वेब सीरीज जल्द ही आनेवाली है. दो फिल्म की स्क्रिप्ट भी तैयार है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें