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रिंकू सिंह को एक बार मिला था पोछा लगाने का काम, जानें 5 छक्का जड़ने वाले इस स्टार के संघर्ष की पूरी कहानी

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कोलकाता नाइट राइडर्स के स्टार बल्लेबाज रिंकू सिंह का जीवन काफी संघर्ष में बीता है. उनको एक बार कोचिंग सेंटर में पोछा लगाने का काम दिया गया था. अब लगातार पांच छक्के जड़कर वह आईपीएल के हीरो बन गये हैं. उनके इस प्रदर्शन से केकेआर ने रविवार को गुजरात टाइटंस को हराया.

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केकेआर के स्टार रिंकू सिंह ने अपनी परेशानियां बयां करते हुए कहा था कि उनसे एक बार कहा गया था कि तुम्हें किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि तुम ‘ट्यूशन सेंटर’ में पोछा मारते हो. सुबह आओ, साफ-सफाई करो और निकल जाओ. किसी को पता नहीं चलेगा. ये शब्द रिंकू के पिता के थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए अंडर-16 में खेलना शुरू नहीं किया था. रिंकू को हालांकि यह विचार पसंद नहीं आया. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रिंकू के पिता खानचंद रसोई गैस सिलिंडर की डिलीवरी का काम करते हैं.

क्रिकेट मेरे लिए एकमात्र विकल्प : रिंकू सिंह

पिता की कमाई सात लोगों के परिवार के लिए पूरी नहीं होती थी जिसके कारण रिंकू सिंह और उनके चार भाइयों को गुजारा करने के लिए छोटा-मोटा काम करना पड़ता था. रिंकू ने काफी मुश्किल दौर देखा है लेकिन रविवार को आईपीएल मुकाबले में लगातार पांच छक्के जड़कर उन्होंने सुर्खियां बटोरी. रिंकू ने कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से कुछ समय पहले कहा था, ‘मैं इतना पढ़ा-लिखा नहीं हूं कि पढ़ाई के आधार पर कोई काम कर सकूं. यह केवल क्रिकेट है जो मुझे आगे ले जा सकता है और यह एक विकल्प नहीं था बल्कि एकमात्र विकल्प था.’

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अपने साथी खिलाड़ी की गेंद पर जड़ा 5 छक्का

अलीगढ़ के 25 वर्षीय रिंकू ने उत्तर प्रदेश टीम के अपने साथी खिलाड़ी यश दयाल पर लगातार पांच छक्के जड़कर केकेआर को अप्रत्याशित जीत दिलायी. पिछले कुछ वर्षों में रिंकू का परिवार आईपीएल के पैसे से गरीबी को दूर करने में सफल रहा है लेकिन अब वह आईपीएल का स्टार होने का लुत्फ उठायेंगे. रिंकू ने अपनी मैच जिताने वाली पारी के बाद कहा, ‘मेरे पिता ने बहुत संघर्ष किया, मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मैंने जो भी गेंद मैदान से बाहर मारी वह उन लोगों को समर्पित थी जिन्होंने मेरे लिए इतना बलिदान दिया.’

2021 में हुई थी घुटने की सर्जरी

वर्ष 2021 के घरेलू सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए एक मैच में दूसरा रन लेते हुए रिंकू के घुटने में गंभीर चोट लग गयी थी और उनकी सर्जरी हुई थी. उनके पिता इतने उदास थे कि उन्होंने कुछ दिनों के लिए खाना बंद कर दिया था. रिंकू ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘कॉलोनियों के बीच मुकाबला या क्लब मैच खेलने के लिए आपको गेंद खरीदने के लिए पैसे जमा करने की जरूरत थी और मेरे पिता मुझे कभी पैसे नहीं देते. एक बार जब मैं कानपुर में एक मैच खेलने गया तो मेरी मां ने स्थानीय किराना स्टोर से 1000 रुपये उधार लिये जिससे कि मुझे खर्चे के लिए दे सके.

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काम में पिता का हाथ बंटाते थे पांचों भाई

उन्होंने बताया कि पापा से हम पांचों भाइयों को बहुत मार पड़ी है. मेरे पिता एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी करते थे और जब वे नौकरी के लिए उपलब्ध नहीं होते थे, तो हम भाइयों को उनकी जगह काम करना पड़ता था और पिताजी तब तक छड़ी लेकर बैठे रहते जब तक हम डिलीवरी नहीं कर देते. भारी एलपीजी सिलेंडर को उठाने में काफी ताकत लगती है. रिंकू और उसका एक भाई पीछे बैठकर अक्सर अपनी बाइक पर भारी सिलेंडर लोगों के घरों और होटल में पहुंचाते. हम पांचों भाइयों ने पापा के काम में बहुत मदद की है.

मैन ऑफ द टूर्नामेंट में मिली थी मोटरसाइकिल

रिंकू ने कहा, ‘डीपीएस अलीगढ़ ने स्कूल विश्व कप नाम का एक टूर्नामेंट आयोजित किया था और मुझे ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ घोषित किया गया था. यह पहली बार था जब पापा मुझे देखने के लिए मैदान पर आये थे. मुझे उनके सामने एक मोटरसाइकिल भेंट की गयी थी, उस दिन के बाद उन्होंने कभी नहीं मारा.’ उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के अंडर-16 ट्रायल के दौरान उन्हें दो बार नजरअंदाज किया गया था क्योंकि उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वह उस समय वह उस स्तर के लिए तैयार नहीं थे.

2012 में विजय मर्चेंट ट्रॉफी में किया डेब्यू

वह हालांकि 2012 तक तैयार था और विजय मर्चेंट ट्रॉफी में पदार्पण करते हुए उन्होंने 154 रन बनाये. बीसीसीआई टूर्नामेंट में इस तरह की पारी ने विश्वास दिलाया कि कड़ी मेहनत से वह एलीट क्रिकेट खेल सकता है. कुछ वर्षों के भीतर वह उत्तर प्रदेश अंडर -19 टीम में थे और पहले वर्ष (2014) में उन्हें सीधे राज्य की वनडे टीम में शामिल किया गया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक बार जब आप प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो कुछ निश्चित निवेश होते हैं और किट उनमें से एक है.

आईपीएल के पैसे से कर रहे हैं परिवार की मदद

रिंकू ने कहा कि कम से कम पांच या छह लोगों ने वास्तव में मेरी मदद की. मेरे बचपन के कोच मसूद अमीनी, मोहम्मद जीशान जिन्होंने मुझे क्रिकेट के बल्ले सहित पूरी किट प्रदान की. अर्जुन सिंह फकीरा, नील सिंह और स्वप्निल जैन कुछ ऐसे लोग हैं जिनका मैं हमेशा आभारी रहूंगा. पिछले तीन वर्षों में रिंकू ने आईपीएल के पैसे से सबसे पहले अपने परिवार को शहर में अपने नये अपार्टमेंट में स्थानांतरित कर दिया है. उन्होंने अपने परिवार के सभी कर्जे चुका दिये हैं.

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