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झारखंड में मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में दिये फर्जी दस्तावेज

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संजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें उसने दावा किया है कि वह अपनी संपत्ति बेच कर बैंक का पैसा चुकाने के लिए तैयार है. लेकिन, उसकी कोई सुन नहीं रहा है. हाइकोर्ट ने भी उसे जमानत नहीं दी.

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रांची, शकील अख्तर:

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झारखंड में 100 करोड़ रुपये के मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने बनारस के आलीशान ‘होटल क्लार्क, वाराणसी’ के निदेशक को 17.54 करोड़ रुपये में अपने पुरखों से मिली जमीन बेच कर बैंक का पैसा चुकाने का वादा सुप्रीम कोर्ट में किया था. उसने होटल क्लार्क के निदेशक अनूप कुमार से जमीन की खरीद-बिक्री के लिए किये गये एकरारनामे की फर्जी कॉपी कोर्ट को सौंपी. इडी ने जांच के दौरान उसका दावा फर्जी पाया है.

वाराणसी में अभियुक्त के नाम की कोई जमीन है ही नहीं. उसने अस्तित्व विहीन जमीन बेच कर 17.45 करोड़ रुपये हासिल करने का फर्जी दावा किया और अंतरिम जमानत लेने में सफल हुआ. संजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें उसने दावा किया है कि वह अपनी संपत्ति बेच कर बैंक का पैसा चुकाने के लिए तैयार है. लेकिन, उसकी कोई सुन नहीं रहा है. हाइकोर्ट ने भी उसे जमानत नहीं दी.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अपने दावे को पुख्ता करने के लिए उसने कुछ दस्तावेज भी पेश किये हैं. उसने सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में अपने पुरखों से मिली संपत्ति को होटल क्लार्क वाराणसी के निदेश के बेचन के लिए किये गये एकरारनामे की एक कॉपी भी कोर्ट में सौंपी है. एकरारनामे में उल्लेख किया गया है कि वाराणसी के हुकुलगंज, त्रिमुहानी के पास संजय तिवारी की 2.19 एकड़ जमीन है. जमीन की उत्तर दिशा में नदी, दक्षिण व पूरब में नेशनल हाइवे और पश्चिम में तिवारी क्लिनिक है.

यह जमीन उसे अपने पुरखों से हिस्से के रूप में मिली है. उसे अपने व्यापारिक कार्यों के लिए अच्छे-खासे पैसों की जरूरत है. इसलिए वह इस जमीन को बेचना चाहता है. दूसरी तरफ होटल क्लार्क वाराणसी के निदेशक अनूप कुमार को जमीन की जरूरत है. वह इस जमीन के बारे में जानते हैं. इसलिए होटल के निदेशक ने उससे संपर्क किया और जमीन खरीदने के मुद्दे पर बातचीत हुई. बातचीत के बाद दोनों पक्षों में जमीन की खरीद-बिक्री पर सहमति बनी.

इसके तहत निदेशक ने 17.54 करोड़ रुपये में उसकी जमीन खरीदने पर सहमति दी. साथ ही एकरारनामे के वक्त 1.99 लाख रुपये और खरीदते वक्त 17.41 करोड़ रुपये देने पर सहमति हुई. एकरारनामे इसका भी उल्लेख किया गया है कि खरीदार अनूप कुमार ने अपने स्रोतों जैसे अधिवक्ता के माध्यम से जमीन की जांच करा चुके है और वह पूरी तरह संतुष्ट हैं.

इडी की जांच में फर्जी साबित हुआ एकरारनामा

इडी ने संजय तिवारी द्वारा की जा रही जालसाजी के मद्देनजर इस खरीद-बिक्री से संबंधित दस्तावेज की जांच की. इसमें पाया गया कि वाराणसी में संजय तिवारी के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है. संजय तिवारी ने कोर्ट को धोखा देने के उद्देश्य से अस्तित्व विहीन जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित फर्जी एकरारनामा तैयार किया.

कडरू स्थित फ्लैट बेचने का दावा भी गलत

उल्लेखनीय है कि संजय तिवारी द्वारा कडरू स्थित शिवम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 301 को बेच कर 70 लाख रुपये जुटाने में सक्षम होने के दावे को भी गलत पाया गया था. जांच में यह खुलासा हुआ था कि इस फ्लैट का मालिकाना हक प्रवीण कुमार सिन्हा के पास है. उन्होंने वर्ष 2000 में यह जमीन दुर्गा झा से खरीदी थी.

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