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बिहार : समय सीमा में नहीं बांधी जा सकती भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, जानिए कैसे होता है जमीन हस्तांतरण

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आलोक मेहता ने बताया कि अगर पांच एकड़ तक जमीन का हस्तांतरण किया जाता है, तो यह मामला प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर से निष्पादित किया जाता है. पांच एकड़ से अधिक जमीन के हस्तांतरण के लिए कैबिनेट से मंजूरी ली जाती है. इसको समयबद्ध करना सही नहीं है.

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पटना. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने बताया कि सरकार जमीन का अधिग्रहण एक प्रक्रिया के तहत करती है. सरकारी भूमि के लिए विभिन्न विभागों की ओर से समय- समय पर अधियाचना भेजी जाती है. इसके लिए प्रावधान है कि तीन एकड़ तक की जमीन का नि: शुल्क हस्तांतरण जिलाधिकारी के स्तर पर किया जाता है. अंचलाधिकारी इसकी जांच रिपोर्ट देते हैं. इसके लिए वह स्थल जांच करने के साथ उसके संदर्भित कागजातों की जांच करते हैं.

दावा-आपत्ति के बाद अपनायी जाती है न्यायिक प्रक्रिया

आलोक मेहता ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के लिए दावा-आपत्ति के बाद एक न्यायिक प्रक्रिया अपनायी जाती है उसके बाद जमीन का हस्तांतरण किया जाता है. उन्होंने बताया कि अगर पांच एकड़ तक जमीन का हस्तांतरण किया जाता है, तो यह मामला प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर से निष्पादित किया जाता है.

जमीन हस्तांतरण के लिए कैबिनेट से ली जाती है मंजूरी

पांच एकड़ से अधिक जमीन के हस्तांतरण के लिए कैबिनेट से मंजूरी ली जाती है. इसको समयबद्ध करना सही नहीं है. राजस्व मंत्री गुरुवार को विधानसभा में ढ़ाका विधायक पवन कुमार जायसवाल के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.

अंचलाधिकारी स्तर पर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया लंबित होने के कारण भवनों का निर्माण बाधित

पवन कुमार जायसवाल ने सरकार से पूछा था कि पूर्वी चंपारण जिला सहित राज्य के 38 जिलों में 113 एपीएचसी , 527 स्वास्थ्य उपकेंद्र, 1163 आंगनबाड़ी, 738 सामुदायिक भवन एवं महादलित वर्क रोड, 1834 यात्री प्रतीक्षालय, 378 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, 3144 राजीव गांधी पंचायत मनरेगा भवन, 7347 प्रखंड स्तरीय मनरेगा भवन के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अंचलाधिकारी स्तर पर लंबित होने के कारण भवनों का निर्माण बाधित है. सरकार विशेष अभियान चलाकर लंबित प्रस्तावों को कब तक निस्तारण करायेगी.

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