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बिहार : प्रोफेसर बनने के लिए अब चाहिए इतने साल का अनुभव, राजभवन ने तय की योग्यता

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ऐसोसिएट प्रोफेसर के लिए सिलेक्शन ग्रेड लेक्चरर को पीएचडी डिग्री होना अनिवार्य होगा. इस संबंध में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को अवगत करा दिया गया है.

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पटना. राजभवन ने अधिसूचना जारी कर प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने की अनुभव जनित पात्रता स्पष्ट कर दी है. सोमवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रोफेसर पद पर आवेदन के लिए अब आवेदक को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पांच वर्ष का अनुभव अथवा रीडर/ सिलेक्शन ग्रेड लेक्चरर के रूप में कम से कम आठ साल सेवा का अनुभव जरूरी रहेगा. यह मौलिक रूप से अनिवार्य माना जायेगा.

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कैरियर एडवांसमेंट स्कीम का है मामला

राजभवन की तरफ से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी बालेंद्र शुक्ला की तरफ से यह अधिसूचना जारी की गयी है. इस अधिसूचना में साफ कर दिया गया है कि ऐसोसिएट प्रोफेसर के लिए सिलेक्शन ग्रेड लेक्चरर को पीएचडी डिग्री होना अनिवार्य होगा. इस संबंध में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को अवगत करा दिया गया है. दरअसल यह मामला कैरियर एडवांसमेंट स्कीम का है. जिसे कुछ ही दिन पहले पटना विश्वविद्यालय ने मान्य किया है. इस स्कीम के जरिये प्राध्यापक पद की नियुक्तियां की जानी हैं.

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी जरूरी नहीं

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने बताया कि नये नियमों के तहत किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी. इसके लिए अब सिर्फ यूजीसी की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) क्वालिफाइ करना पर्याप्त माना जायेगा. इससे पहले यूनिवर्सिटियों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य थी. लेकिन, अब नये नियमों से छात्रों को राहत मिलेगी.

Also Read: पटना यूनिवर्सिटी : भाषा पढ़ने में छात्रों की रुचि नहीं, मैथिली में तीन तो पर्शियन में एक भी विद्यार्थी नहीं

पीएचडी कोर्स को लेकर नये नियम लागू किये गये

यूजीसी की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नये नियम लागू किये गये हैं, नये नियम में पीएचडी के लिए अधिकतम छह साल का समय दिया गया है. उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिये ज्यादा-से-ज्यादा दो साल का और समय दिया जायेगा. नये नियम के तहत ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी करने पर रोक लगा दी गयी है. इससे पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम-से-कम दो शोधपत्र छपवाना पड़ते थे. अब नये नियमों में रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है.

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