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बेरमो के काले हीरे में छिपी है महिलाओं की प्रतिभा, पीउन से ऑपरेटर बन गई ये चार महिलाएं

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बेरमो के काले हीरे में भी महिलाओं की प्रतिभा छिपी हुई है. अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर सीसीएल ढोरी एरिया के अमलो परियोजना में फीडर ब्रेकर मशीन चलाने वाली चार महिलाओं को वर्ष 2021-22 में सीसीएल मुख्यालय में आयोजित समारोह में सम्मानित किया गया था.

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राकेश वर्मा, बेरमो. बेरमो के काले हीरे में भी महिलाओं की प्रतिभा छिपी हुई है. अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर सीसीएल ढोरी एरिया के अमलो परियोजना में फीडर ब्रेकर मशीन चलाने वाली चार महिलाओं को वर्ष 2021-22 में सीसीएल मुख्यालय में आयोजित समारोह में सम्मानित किया गया था. बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के ढोरी एरिया में महिलाकर्मियों के मैन पावर का सही यूटीलाइजेशन के साथ-साथ महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढाने के उद्दे्श्य से लगातार काम किया जाता रहा है. इसी के तहत वर्ष 2016-17 में ढोरी एरिया के तात्कालीन महाप्रबंधक एम कोटेश्वर राव के कार्यकाल में एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढाने के उद्देश्य से कार्य किया गया.

इन महिलाओं को ढोरी प्रक्षेत्र के अमलो तथा एसडीओसीएम परियोजना में फीडर ब्रेकर मशीन (कोल क्रश करने वाली मशीन) के अलावा वर्कशॉप में ऑटो ल्यूब सिस्टम तथा वर्कशॉप में वाशिंग के कार्य में लगाया गया. ढोरी के वर्तमान जीएम एमके अग्रवाल कहते है कि कंपनी का मुख्य उद्देश्य महिला मैन पावर का सही यूटीलाइजेशन करना है. टेक्निकल क्षेत्र में काम करने से उनका अनुभव बढेगा तथा प्रमोशन के बाद आगे अन्य पदों पर वे जा सकती है. महिला कर्मियों को उनके जॉब में ट्रेंड करने के साथ-साथ उनका स्कील डेवलप करना भी जरुरी है.

कुनी, चरकी, तुलसी व गंगा पीउन से बन गई ऑपरेटर

ढोरी प्रक्षेत्र के एएओडीसीएम परियोजना के अमलो-ढोरी के फीडर ब्रेकर में चार महिलाएं अपने जज्बे से पुरुषों का मुकाबला कर रही है. यहां पर कार्यरत कुनी,चरकी,तुलसी व गंगा देवी अपने हौसले को नयी उडान देकर पीउन से ऑपरेटर बन गयी है. कुनी,चरकी,तुलसी व गंगा देवी पिछले कई साल से पीउन के पद को छोडकर एलकॉन मशीन, आइआर मशीन, ब्लैक डायमंड, न्यू बीडब्लूएफ व ऑल्ड बीडब्लूएफ मशीन को ऑपरेट कर कोयला क्रश करने का काम करती है. ये सभी महिलाकर्मी उन्हें आगे बढाने के लिए ढोरी के तात्कालीन महाप्रबंधक एमके राव के अलावा वर्तमान महाप्रबंधक एमके अग्रवाल को श्रेय देती है. साथ ही ऑपरेट करने के लिए सिखाने वाले तिलकधारी सिंह, आनंद महतो, मुकिन अंसारी, अख्तर अंसारी को भी इसका श्रेय देती है.

मशीन भी चलाती है, फॉल्ट को भी ठीक करती है कुनी

कुनी कुमारी बताती है कि वह पिछले 8-9 साल से कोयला क्रश करने वाली फीडर ब्रेकर मशीन को ऑपरेट करते आ रही है. पहले अमलो साइडिंग में पिउन के पद पर कार्यरत थी. वर्ष 2016 में ढोरी के तात्कालीन जीएम एम कोटेश्वर राव ने मशीन ऑपरेट सीखने के लिए प्रेरित किया.पहले दिन मशीन को ऑपरेटर करने के लिए हिचकिचाहट हुई.धीरे-धीरे कोशिश की तो मशीन को ऑपरेटर करना पूरी तरह सीख गई. अब इसमें पूरी तरह दक्ष हो गयी हूं. अब तो यदि मशीन में तकनीकि खराबी भी आती है तो फॉल्ट का कारण पता कर उसे दुरुस्त भी कर लेती हूं. कहा कि हमारे इस कार्य से सीसीएल में कार्यरत अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने हौसलों को बढाना चाहिए. कहा कि कहा कि 28 साल से नौकरी कर रही हूं.पिता स्व रामेश्वर मुंडा के बदले नौकरी मिली है.वर्तमान में सेंट्रल कॉलोनी में रहती हूं.

सीखने की ललक से बन गयी मशीन ऑपरेटर: चरकी

चरकी कुमारी बताती है कि वह पिछले छह साल से फीडर ब्रेकर मशीन (क्रशर) चला रही है.पहले अमलो प्रोजेक्ट में पीउन के पद पर कार्यरत थी. इसके बाद फीडर ब्रेकर मशीन ऑपरेटर करने की जिम्मेवारी मिली.पहले दिन तो डर लग रहा था, लेकिन सीखने की ललक से मशीन ऑपरेट करना सीख गयी.बताया कि साल 1993 में पिता स्व मोहन बाउरी के निधन के बाद नौकरी मिली थी.नौकरी के साथ-साथ बच्चों के बेहतर परवरिश के लिए कार्य करती आ रही हूं. वर्तमान में वो रेलवे गेट फुसरो में अपने परिवार के साथ रहती है.

साथी कामगारों की लगन से जगी प्रेरणा- तुलसी

तुलसी कुमारी बताती है कि वह भी पिछले छह साल से क्रशर मशीन को चलाकर कोयला क्रश करने का काम कर रही है.इसके पहले वो अमलो प्रोजेक्ट के 12 नबंर में पीउन थी.अचानक मशीन ऑपरेट करने की जिम्मेवारी प्रबंधन की ओर से दी गयी. उस समय थोडा भयभीत थी,लेकिन अपने साथी कामगारों की की लगन को देखकर मुझे भी सीखने की प्रेरणा जगी.नतिजतन आज आसानी से मशीन ऑपरेटर कर लेती हूं वर्ष 1996 में माता स्व सोनी देवी के निधन के बाद नौकरी मिली थी.आज अपने काम से काफी खुश हूं.तुलसी वर्तमन में सुभाषनगर फिल्ड क्वायरी स्थित रांची धौडा में अपने परिवार के साथ रह रही है.

हौसला बढने के बाद पीछे मुडकर नही देखा- गंगा

गंगा देवी बताती है कि वह भी छह साल से मशीनों को ऑपरेट कर रही है.पीउन का काम करते करते अचानक मशीन ऑपरेटर करने की जिम्मेवारी मिली.पहले थोडी घबराहट तो हुए लेकिन आगे बढने का निर्णय लेने के बाद फिर पीछे मुडकर नही देखा.आज वो आसानी से मशीन ऑपरेट कर रही है.नौकरी छह साल पहले पति असवनी के निधन के बाद मिली थी.फिलहाल वो सेंट्रल कॉलोनी मकोली में अपने परिवार के साथ रह रही है.

यूजी माइंस में पदस्थापित होने वाली पहली माइनिंग इंजीनियर बनी आकांक्षा

वर्ष 2021 में कोल इंडिया की अनुषांगिक इकाई सीसीएल के एनके एरिया की भूमिगत खदान में अपने सेवा शुरु करने वाली आकांक्षा कोल इंडिया में भूमिगत खदान में पदस्थापित होने वाली पहली महिला माइनिंग इंजीनियर है.इसके पूर्व आंकाक्षा राजस्थान में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की बलरिया खान में तीन साल काम कर चुकी है.आंकाक्षा का कहना है अभिभावक कभी भी अपने बच्चों को डिमोटिवेट नहीं करें.

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