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Nikay Chunav :’ सुप्रीम ‘ मुहर के बाद बजेगी डुगडुगी, भाजपा- सपा मान रहीं लिटमस टेस्ट , तारीख में जानिये मामला

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राज्य में चुनावों की तारीख का ऐलान भले ही " सुप्रीम कोर्ट " की मुहर लगने के बाद ही होगा, लेकिन भाजपा और सपा ने कैबिनेट के कुछ घंटे बाद ही बैठक कर अपने- अपने 'एक्शन प्लान' को एक्टिव कर दिया. दोनों दल इसे लोकसभा से पहले होने वाले लिटमस टेस्ट के रूप में देख रहे हैं.

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को यूपी स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर गठित अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर मुहर लगाकर 17 नगर निगम सहित सभी नगर निकायों में चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है. राज्य में चुनावों की तारीख का ऐलान भले ही ” सुप्रीम कोर्ट ” की मुहर लगने के बाद ही होगा, लेकिन भाजपा और सपा ने कैबिनेट के कुछ घंटे बाद ही बैठक कर अपने- अपने ‘एक्शन प्लान’ को एक्टिव कर दिया. भाजपा बढ़त बनाने को पहले ही चुनाव प्रभारी और संयोजक नियुक्त कर चुकी है. शुक्रवार को पार्टी कार्यालय और पदाधिकारियों के आवास पर तैयारी पर मंथन भी हुआ. अखिलेश यादव ने भी प्रदेश मुख्यालय पर बैठक कर युवा संगठनों को निकाय चुनाव में सक्रिय भूमिका देने का निर्देश दिया है. दोनों दल इसे लोकसभा से पहले होने वाले लिटमस टेस्ट के रूप में देख रहे हैं.

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25 अप्रैल से 31 मई के बीच निकाय चुनाव की उम्मीद

ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए योगी सरकार ने 28 दिसंबर को जस्टिस रामअवतार सिंह (रिटायर्ड )की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय ‘उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग’ का गठन किया था. इस मामले में 11 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. सरकार को 31 मार्च तक कोर्ट में आयोग की रिपोर्ट पेश करनी थी. आयोग ने जिस तरह समय से पहले नौ मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंप दी. 10 मार्च को ओबीसी आयोग की रिपोर्ट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद नगरीय विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने भी साफ कर दिया कि निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को पूरा 27 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह करने की जानकारी देते हुए 25 अप्रैल से 31 मई के बीच निकाय चुनाव होने के लगभग साफ संकेत भी दे दिये.

आरक्षण के मुद्दे पर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, आयोग ने 72 दिन में दी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा होने से एक महीने पहले ही पांच दिसंबर 2022 में यूपी सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव की अध‍िसूचना जारी कर दी थी. सरकार के ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को चुनौती मिलने पर हाई कोर्ट ने बिना आरक्षण चुनाव कराने का फैसला दिया. 27 दिसंबर को आए हाई कोर्ट के इस फैसला से असहमत योगी सरकार ने बिना आरक्षण के चुनाव न कराने का ऐलान करते हुए दूसरे दिन ही ओबीसी आयोग का गठन कर दिया. दो जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही 31 मार्च तक ओबीसी आरक्षण आयोग की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. 28 दिसंबर को गठित आयोग ने करीब 72 दिन में नौ मार्च को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.

अखिलेश ने बैठक में युवाओं को सक्रिय किया, जूते उतरवाने को लेकर सीएम पर कसा तंज

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने शुक्रवार को शहरी निकाय चुनाव आदि को लेकर पार्टी के युवा संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक ली. अखिलेश यादव ने कहा कि आगामी निकाय चुनाव में भाजपा की धांधली रोकने में नौजवानों की सक्रिय भूमिका होगी. नौजवानों को बिना किसी प्रलोभन और भय के किसी भी क्षेत्र में हो रहे अन्याय का कड़ा विरोध करना है.इससे ट्वीट कर आयोग के सदस्य और सीएम की फोटो पर निशाना साधते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री ख़ुद व उनके आसपास उनके खास लोग जूता पहन सकते हैं तो पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों के जूते क्यों उतरवाए गये? ऐसी भेदकारी सोच वाले लोग पिछड़ा वर्ग को उनका हक़ कभी नहीं देंगे. पिछड़े-दलित अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे.

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