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सुप्रीम कोर्ट से झारखंड सरकार व JSSC को नोटिस जारी, जानिये क्या है मामला

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सिपाही बहाली में रिक्त रह गयी सीटों पर नियुक्ति के मामले में दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई की. प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को नोटिस जारी किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में शुरू हुई सिपाही बहाली में रिक्त रह गयी सीटों पर नियुक्ति के मामले में दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई की. प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने शपथ पत्र दायर करने को कहा. जस्टिस अनिरूद्ध बोस व जस्टिस सुधांशु धुलिया की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. इससे पूर्वप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण से संबंधित रिक्त सीटें अगली वेकेंसी में नहीं भेजी जा (कैरी फारवर्ड) सकती हैं.

इन सीटों को वर्तमान वेकेंसी में ही भरा जा सकता है. महिला अभ्यर्थियों के नहीं रहने पर योग्य पुरुष अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जा सकती है, लेकिन दूसरी वेकेंसी में सीटों को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता है. अधिवक्ता श्री टंडन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2021 में सौरव यादव के मामले में पारित आदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि क्षैतिज आरक्षण से संबंधित पहले ही आदेश दिया जा चुका है. इस मामले में झारखंड हाइकोर्ट का आदेश सही नहीं है. उन्होंने क्षैतिज आरक्षण के तहत रिक्त सीटों पर वर्तमान बहाली में योग्य पुरुष अभ्यर्थियों से सीट भरने के लिए आदेश देने का आग्रह किया.

यह है मामला

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने वर्ष 2015 में सिपाहियों के 7272 पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी. 4842 पदों पर नियुक्ति की गयी. 2430 पद खाली रह गये. ये सभी पद क्षैतिज आरक्षण के तहत महिलाओं के लिए रिजर्व था. महिला अभ्यर्थी के नहीं रहने के कारण सीटें रिक्त रह गयी. पुरुष अभ्यर्थियों की क्षैतिज आरक्षण की सीटों पर नियुक्ति नहीं की गयी. इस मामले में पुरुष अभ्यर्थियों ने रिट याचिका दायर की थी, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था. बाद में अपील याचिका भी वर्ष 2022 में खंडपीठ ने खारिज कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया गया.

मेडिकल नहीं कराने के मामले में मांगा जवाब

हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सातवीं से 10वीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के बाद भी मेडिकल नहीं कराने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा कि तकनीकी आधार पर किसी को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है. जेपीएससी को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह के बाद सुनवाई की तिथि निर्धारित करने को कहा. इससे पूर्व वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि सातवीं जेपीएससी में प्रार्थी ने अपनी श्रेणी में कट आफ मार्क्ससे अधिक अंक प्राप्त किया है. प्रार्थी श्रेया कुमारी तिर्की ने याचिका दायर की है.

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