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झारखंड के इन गांवों में नहीं चाहता कोई बेटी ब्याहना, जानें कारण

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धनबाद के निरसा विधानसभा में कई ऐसे गांव हैं, जहां के युवा कुंवारे हैं. कारण है कि यहां कोई अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता. कारण है पानी की समस्या. गर्मी के दिनों में तो यहा शादी न के बराबर होती है. वहीं, किसी की मृत्यु होने पर टैंकर लगाकर अंतिम संस्कार करने को बाध्य होते हैं.

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Jharkhand News: झारखंड के निरसा विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, जहां युवाओं की शादी नहीं होती. खासकर गर्मी के दिनों में इन गांवों में शादी नहीं के बराबर होती है. कारण है पानी का अभाव. पानी के अभाव के कारण कोई भी अपनी बेटी को यहां ब्याहना नहीं चाहते. वहीं, किसी की मृत्यु होने पर टैंकर लगाकर अंतिम संस्कार किया जाता है. इसके अलावा कई गांव के ग्रामीण आज भी चुआं का पानी पीने को विवश है.

पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण

700 करोड़ की लागत से बनने वाली निरसा विधानसभा की अति महत्वाकांक्षी धनबाद के निरसा- गोविंदपुर मल्टी विलेज वाटर सप्लाई योजना अधूरी है. उबचूड़िया, खुसरी, निरसा मध्य, निरसा दक्षिण, मदनपुर पंचायत का तिलतोड़िया सहित आसपास की पंचायतों में पेयजल की बनी हुई है. खुसरी पंचायत के उदयपुर के ग्रामीण आज भी चुआं का पानी पीने को विवश हैं. निरसा जामताड़ा रोड स्थित पानी टंकी से पानी की सप्लाई होती है. मदनपुर पंचायत के अंतर्गत तिलतोड़िया गांव में गर्मी के मौसम में अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो टैंकर लगाकर अंतिम संस्कार किया जाता है. गर्मी के मौसम में यहां शादी विवाह नहीं होती है. निरसा प्रखंड में कुल 1680 चापाकल हैं. इसमें 900 चापाकल चालू हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के एसडीओ लालमोहन मंडल ने कहा कि अधिकांश चापाकल की मरम्मत करवा दी गयी है. खराब चापाकल की मरम्मत को लेकर तत्काल कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. टेंडर होने के बाद ही मरम्मत कार्य प्रारंभ करवाया जा सकता है.

पिट वाटर पर निर्भर हैं लोग

एग्यारकुंड प्रखंड के पंचमहाल, जोगरात, एग्यारकुंड दक्षिण, गोपीनाथपुर, वृंदावनपुर, शिवलीबाड़ी, दक्षिण व मध्य, कालीमाटी में घोर जलसमस्या है. ये क्षेत्र कोल बेयरिंग एरिया रहने के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. पंचायतों में सोलर सिस्टम पंप लगाया भी गया है. लेकिन ये केवल शोभा के वस्तु बनकर रह गये. एग्यारकुंड दक्षिण पंचायत में 2 लाख गैलन की क्षमता वाली पानी टंकी है.उससे भी सभी लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. इस कोल बेयरिंग एरिया के लोग बंद खदानों के पिट वाटर पर भी निर्भर हैं.

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स्टैंड पोस्ट से बुझती है प्यास

चिरकुंडा नप क्षेत्र में शहरी जलापूर्ति योजना से लोगों की प्यास बुझती है. नप क्षेत्र में लगभग नौ हजार के आसपास घर हैं. लगभग तीन हजार घरों में पानी का कनेक्शन है. प्रायः सभी वार्ड में स्टैंड पोस्ट है. इसी से लोग पानी लेकर आते हैं. वार्ड 14, 15 व 16 में पानी की समस्या अधिक है. क्षेत्र के प्रायः चापाकल खराब हैं. वार्ड 13, 14 व 15 के लिए चिरकुंडा नप द्वारा एक जलमीनार व पाइप लाइन बिछाने की योजना है. कार्य पूरा होने के बाद जलसंकट की समस्या से निजात मिलेगी.

15 पंचायत में सोलर सिस्टम पंप योजना फेल

केलियासोल प्रखंड के 20 पंचायत में कुल एक हजार चापाकल हैं. इसमें से 480 खराब हैं. 20 पंचायत में से 15 पंचायत में लगा सोलर सिस्टम पंप योजना पूरी तरह फेल है. एक एक पंचायत में आधा आधा दर्जन सोलर सिस्टम पंप लगाया गया है. लेकिन देखरेख का अभाव के कारण अधिकांश से पानी नहीं मिल रहा. केलियासोल पंचायत के बाउरी टोला के लोग आज भी करीब में 4 फुट दीवार फांद कर समीप के हाई स्कूल से पानी लाते हैं. गांव में 17 चपाकल हैं. इसमें से कई खराब हैं. एलाकेंद पंचायत के कांटाजानी के ग्रामीण करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर जोड़िया से पानी लाते हैं.

बलियापुर में 280 चापाकल खराब

बलियापुर प्रखंड की आबादी करीब डेढ़ लाख है. क्षेत्र में पेयजल की समस्याएं है. प्रखंड में कुल 1732 चापाकल है. इसमें 280 चापाकल खराब है. अब तक नल जल योजना बलियापुर में पूरी तरह शुरू नहीं हो पायी है. बलियापुर फेज वन में 41 गांव के लोगों को पानी देना है. इसमें 21 गांव के लोगों को पानी मिल पा रहा है. फेज वन के लिए शीतलपुर में फिल्टर प्लांट बना हुआ है. फेस 2 का फिल्टर प्लांट कुसमाटांड़ में है. पीएचइडी विभाग के जूनियर इंजीनियर संतोष कुमार महतो का कहना है कि फेज टू का शत प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है. टेस्टिंग शुरू है. मार्च के अंतिम सप्ताह तक पानी सप्लाई शुरू हो जायेगा.

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मॉनसून के कमजोर रहने से बनी विकट स्थिति

पिछले वर्ष धनबाद में मॉनसून विलंब से आया. बारिश बहुत कम हुई. इस बार मॉनसून में 332.8 एमएम कम बारिश रिकॉर्ड की गयी है. जिले में सामान्य तौर पर एक जून से 20 अक्तूबर तक 1150.8 एमएम बारिश होनी चाहिए थी. लेकिन 818 एमएम ही बारिश हुई. इसके चलते गांव-गांव में पानी की समस्या हो रही है. बड़े-बड़े जलाशय में पानी पर्याप्त है. लेकिन, छोटे तालाब एवं नदियां लगभग सूख चुकी हैं.

गर्मियोंं की आम समस्या

गर्मियों में धनबाद पानी-बिजली संकट झेलता रहा है. मैथन जलापूर्ति योजना में हमेशा समस्या आती रहती है. मैथन में इंटेक वेल से पानी दूर चला जाना. मोटर में खराबी. बिजली संकट से भेलाटांड़ ट्रीटमेंट तक पानी नहीं पहुंचना. इस कारण कई दिनों तक पानी सप्लाई बंद रहती है. कुछ ऐसी ही हालत जामाडोबा में माडा के पंप हाउस में भी होती है. लेकिन जलसंकट को लेकर प्रशासन की ओर से अब तक किसी तरह की तैयारी शुरू नहीं होने से लगता है कि इस गर्मी जलसंकट तड़पायेगा.

चार दिन में एक बार होती है जलापूर्ति

पीएचइडी विभाग के बाघमारा अनुमंडल अंतर्गत तोपचांची प्रखंड में 876 चापाकल खराब है. सरकारी तौर पर पीने का पानी की व्यवस्था नहीं है. वर्तमान में प्रखंड में सरकारी कुआं टूट- फूट गया है. हर घर नल जल योजना के तहत प्रखंड के 56 गांव में काम चल रहा है. जीटी रोड से उत्तर दिशा में स्थित गांव में लोग कुआं, चापाकल का पानी पीते हैं. गोमो में लोग जमुनिया नदी का पानी, तोपचांची बाजार में झील का पानी पीएचइडी द्वारा सप्लाई के पानी पर निर्भर हैं. जमुनिया जलापूर्ति योजना के तहत पानी चार दिनों में एक दिन दिया जाता है. खेसमी, भुइयां चितरो, तांतरी, तोपचांची, चितरपुर पंचायत के गांव के दर्जनों गांव के लोग इस जलापूर्ति योजना पर निर्भर हैं.

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खराब पड़े हैं 18 सौ चापाकल

पूर्वी टुंडी में हर घर नल से जल योजना के तहत पेयजल सभी के घरों तक नहीं पहुंच पाया है. जहां तक पहुंचा है, वहां पर भी नियमित रूप से पानी नहीं मिलता है. कुछ गांवों में अभी कार्य प्रगति पर है. पूरे प्रखंड में लगभग 18 सौ सरकारी चापाकल खराब पड़े हुए हैं. सूत्रों के अनुसार ज्यादातर चापाकलों में पाइप खराब है. लेकिन, विभाग की ओर से पाइप समुचित मात्रा में उपलब्ध नहीं कराया जाता है. टुंडी और पूर्वी टुंडी दोनों ही प्रखंडों को मिलाकर कुल 27 पंचायत है. इसमें सिर्फ एक ही मिस्त्री मुखराम महतो हैं, जो कहते हैं कि दोनों प्रखंडों को अकेले संभालना बहुत मुश्किल होता है. सरकारी कुओं का हाल बेहाल है. लोग कुएं का पानी पीना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि सरकारी कुआं बनने के बाद उसकी साफ- सफाई की कोई व्यवस्था नहीं होती है.

15 फीसदी चापाकल खराब

गोविंदपुर बाजार क्षेत्र में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा जलापूर्ति की जाती है. यहां जलापूर्ति की व्यवस्था चौपट है. पानी के लिए सालों भर हाहाकार मचा रहता है. सभी क्षेत्र में प्रत्येक दिन जलापूर्ति नहीं होती. किसी क्षेत्र में सप्ताह में दो दिन तो किसी में तीन दिन जलापूर्ति होती है. गोविंदपुर प्रखंड में करीब 31 सौ सरकारी चापाकल है. इनमें पांच सौ से अधिक खराब है. जलापूर्ति एवं चापाकल उनकी देखरेख की जिम्मेदारी मुखिया व जलसहिया को दी गई है. परंतु पंचायत स्तर पर कोई संसाधन नहीं है. इस कारण पेयजल एवं आपूर्ति विभाग पर ही जलापूर्ति का सारा दारोमदार है. मनरेगा से सरकारी कूप गांव में बने हैं, जो व्यक्तिगत है.

टुंडी : दो वर्ष से खराब है लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना

गर्मी के मुहाने पर खड़े ग्रामीणों के लिए पानी की बड़ी समस्या उत्पन्न होने लगी है. कुआं का व चापाकल का जल स्तर तेजी से नीचे भागता जा रहा है. तालाब की भी स्थिति लगभग वैसी ही है. छोटे जलाशय तो सूखने लगे हैं. दर्जनों की संख्या में पंचायतों में चापाकल खराब पड़े हैं. मुखिया को 15 वें वित्त आयोग से बनवाने का निर्देश बीडीओ ने दे रखा है, लेकिन स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं है. पंचायतों में बने सोलर जलापूर्ति योजना काफी संख्या में खराब है. टुंडी मुख्यालय का पीएचइडी विभाग द्वारा बनाया गया लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना जो टुंडी मुख्यालय में है, दो वर्षों से अधिक समय से खराब पड़ा हुआ है. कई पंचायतों की यह स्थिति है.

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