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पटना के IGIMS में एक ही जांच से सांस की बीमारी के 22 कारणों की पहचान, ICU में बढ़ाए जाएंगे बेड

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आइजीआइएमएस के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनीष मंडल ने कहा कि संस्थान में लगी बायोफायर मशीन मील का पत्थर साबित हो रही है. मात्र नौ हजार रुपये में ही इस मशीन से सांस आदि अन्य गंभीर रोगों की जांच हो जाती है, जबकि प्राइवेट में इसका रेट काफी अधिक है.

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पटना के आइजीआइएमएस में इलाज कराने आ रहे गंभीर मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अब यहां जल्द ही आइसीयू में बेडों की संख्या बढ़ायी जायेगी. इसके लिए संस्थान प्रशासन की ओर से योजना बनायी गयी है. संस्थान के निदेशक डॉ बिंदे कुमार ने यह जानकारी बुधवार को कॉलेज के स्थापना दिवस पर क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से एक सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद संबोधन के दौरान दी. उन्होंने आइजीआइएमएस में संचालित बायोफायर मशीन के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि संस्थान के संबंधित विभाग में लगातार कई सुविधाएं बढ़ी हैं.

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मात्र नौ हजार रुपये में होती है जांच

आइजीआइएमएस के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनीष मंडल ने कहा कि संस्थान में लगी बायोफायर मशीन मील का पत्थर साबित हो रही है. मात्र नौ हजार रुपये में ही इस मशीन से सांस आदि अन्य गंभीर रोगों की जांच हो जाती है, जबकि प्राइवेट में इसका रेट काफी अधिक है. इस मशीन से सांस की बीमारी के 22 तरह के कारणों का पता चल जाता है. इससे एडवांस जांच की जाती है. रिपोर्ट भी कम समय में ही मिल जाती है. उन्होंने बताया कि 12 फरवरी को आइजीआइएमएस के स्थापना दिवस पर कई बड़े कार्यक्रम के आयोजन किये जायेंगे.

जांच के बाद मरीज की बचायी जा सकती है जान

क्रिटकल केयर के डॉ संजीव कुमार और एसोसिएट प्रो डॉ ऋतु सिंह ने कहा कि मरीजों की गंभीरता की बड़ी वजह समय पर इलाज नहीं कराना है. विभाग में आने वाले अधिकतर मरीज गंभीर हालत में आते हैं. हालांकि, इन मरीजों की जांच बायोफायर मशीन से की जाती है. रिपोर्ट भी एक घंटे के अंदर मिल जाती है. बीमारी की जानकारी मिलते ही इलाज शुरू कर दिया जाता है और गंभीर मरीज की जान बचायी जाती है. इस मौके पर डॉ सिद्धार्थ व मायक्रोबायॉलोजी विभाग के डॉ शैलेश कुमार, डॉ कमलेश राजपाल, डॉ स्वेता मुनी, डॉ रणधीर, डॉ सौरभ आदि डॉक्टरों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.

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