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हरियाणा के फूल कुमार की खेती से प्रभावित हुई झारखंड सिविल सोसाइटी फोरम की टीम, खेत का किया दौरा

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फूल कुमार के खेत में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है., क्योंकि खेत के हर हिस्से में कोई न कोई फसल लगी है. वह फल के पौधों के बीच में साग, सब्जी और मसाले आदि उपजाते हैं.

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रोहतक से लौटकर मनोज सिंह :

हरियाणा के रोहतक जिले के महम के किसान फूल कुमार पौने सात एकड़ जमीन पर 100 से अधिक फसल लगाते हैं. खास बात यह है कि उनकी खेती पूरी तरह प्राकृतिक है. वे अपने खेतों में वह किसी भी तरह के रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. हालांकि, वे ‘ऑर्गेनिक खेती’ का दावा भी नहीं देते हैं. बस मिट्टी को मां और रासायनिक खादों को जहर मानते हैं. कहते हैं : मैं अपनी मां को जहर कैसे दे सकता हूं? 2009 से वह लगातार प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. झारखंड सिविल सोसाइटी फोरम और प्रदान की झारखंड, बिहार, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल की एक टीम ने उनके खेत का दौरा किया.

फूल कुमार के खेत में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है., क्योंकि खेत के हर हिस्से में कोई न कोई फसल लगी है. वह फल के पौधों के बीच में साग, सब्जी और मसाले आदि उपजाते हैं. उनके खेत में आम, अमरूद, पपीता, नीबू, केला, सहजन, अनार, अंजीर, सेब, तरबूज, खरबूज, काली मिर्च और अरंडी सहित कई प्रकार की फसल हैं. मात्र 10वीं तक पढ़े फूल कुमार के खेत में उनके बनाये हुए खाद ‘जीवा अमृत’ और ‘घन अमृत’ का ही उपयोग होता है.

एक भी पत्ता नहीं जाता है खेतों से बाहर :

श्री कुमार का मानना है कि खेतों को जितना बायोमास (पौधों के उपयोग वाला न्यूट्रिशन) चाहिए, उतना जमीन में किसी न किसी रूप में उपलब्ध है. पेड़ों के बीच का खर-पतवार भी खाद के रूप में उपयोग होते हैं. इनके पास चार-चार हजार लीटर का दो-दो जीवा अमृत बनाने के लिए टैंक हैं. इसके उपयोग की तकनीक भी इनकी अपनी है.

खेत में वह किसी मशीन का उपयोग नहीं करते हैं. इनके खेतों में लगनेवाली फसलों की मल्चिंग सूखे पत्ते की होती है. जो भी सूखे पत्ते इनके खेतों से निकलते हैं, उससे मल्चिंग बनाते हैं. इनका तर्क है कि सूखे पत्ते सड़कर बाद में खाद बन जाते हैं. यह फसलों के लिए फायदेमंद होता है. पौधा भी वह अपने खेतों के बीज से ही तैयार करते हैं.

“140 किलो बेचते हैं गुड़ :

इनका अपना गुड़ का प्रोसेसिंग प्लांट भी है. “140 किलो गुड़ बेचते हैं. अन्य उत्पाद की कीमत भी बाजार से ज्यादा है. कहते हैं कि दिल्ली के लोग फोन कर उत्पाद मंगाते हैं. वह कीमत के मामले में समझौता नहीं करते हैं. वे मानते हैं कि उनके उत्पाद कि गुणवत्ता वाले हैं.

ऐसे तैयार करते हैं जीवा अमृत

200 लीटर जीवा अमृत तैयार करने के लिए 10 किलो गोबर, पांच से सात लीटर गोमूत्र, एक किलो बेसन, एक किलो गुड़, 250 ग्राम मिट्टी तथा शेष मात्रा में पानी की जरूरत होती है. यह दो दिनों में उपयोग के लायक तैयार हो जाता है.

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