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कोडरमा कोर्ट ने मानव तस्करी मामले में 2 आरोपियों को 14 साल की सुनायी सजा, 25 हजार का जुर्माना भी लगाया

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मानव तस्करी मामले में कोडरमा कोर्ट ने दो आरोपियों का 14-14 साल की सश्रम सजा सुनायी. वहीं, 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. मामला छह फरवरी, 2015 का है. दोनों आरोपी नौकरी दिलाने के नाम पर तीन आदिवासी युवतियों को गिरिडीह से दिल्ली ले जा रहा था. इसी बीच पुलिस के हत्थे चढ़ा.

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Jharkhand News: कोडरमा के जिला जज द्वितीय अजय कुमार सिंह की कोर्ट ने मानव तस्करी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए दो आरोपियों को 14-14साल की सजा सुनायी. साथ ही 25- 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने मरकच्चो थाना क्षेत्र के गैरागी निवासी महेश यादव पिता किशुन यादव और बिहार के रजौली थाना क्षेत्र के रजौली बस्ती जिला नवादा निवासी धीरज प्रसाद पिता चंदेश्वर प्रसाद को दोषी पाते हुए सजा सुनायी. साथ 25 -25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोनों आरोपियों को एक-एक साल अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ेगा. घटना वर्ष 2015 की है. बता दें कि मानव तस्करी एक्ट पूरे देश में तीन फरवरी, 2013 को लागू हुआ है. एक्ट लागू होने के बाद कोडरमा व्यवहार न्यायालय द्वारा पहली बार इस तरह के मामले में आरोपियों को कठोर सजा दी है.

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क्या है मामला

बता दें कि छह फरवरी, 2015 को तिलैया पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर दोनों आरोपी महेश यादव और किशुन यादव को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वे दोनों गिरिडीह जिले के देवरी के तीन आदिवासी युवतियों को बहला- फुसलाकर नौकरी देने के नाम पर दिल्ली ले जाने की तैयारी में थे. उस समय के बहुचर्चित उक्त मामले को लेकर तिलैया थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी केपी यादव के बयान पर कांड संख्या 32/15 में मामला दर्ज किया गया था. दर्ज मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी श्री यादव ने कहा था कि घटना के दिन शाम को पुलिस गश्ती में थी. उसी दौरान पता चला कि बस स्टैंड के पास आदिवासी युवतियों को कुछ लोगों द्वारा नौकरी दिलाने के नाम पर कहीं ले जाने की तैयारी में है. सूचना के आलोक में पुलिस बल के साथ बस स्टैंड पहुंचे. पुलिस को देखते ही वे भागने लगे, लेकिन महिला-पुरुष कर्मियों और अन्य बल के सहयोग से दोनों आरोपियों के अलावा तीन आदिवासी युवतियों को पकड़े. पुलिस ने दर्ज मामले में आरोपी महेश यादव और धीरज प्रसाद पर बहला-फुसलाकर दास के रूप में काम करवाने एवं गलत काम कराने की नियत से ले जाने का आरोप लगाया था.

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छह गवाहों की हुई गवाही

न्यायालय में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक पीके मंडल ने कोर्ट में छह गवाहों का प्रतिपरीक्षण कराया और आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा देने की मांग की गयी, वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता आत्माराम पांडेय और आमिर निजामी ने दलीलें रखी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों को देखते हुए धारा 370 (3) भादवी में दोषी पाते हुए दोनों आरोपियों को 14 -14 साल की सश्रम कारावास और 25 -25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोनों को अतिरिक्त एक-एक साल की सजा भुगतना होगा.

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