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Budget 2023 : बजट से वेतनभोगियों को भी है ढेर सारी उम्मीदें, जानें विशेषज्ञों की राय

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देश के वेतनभोगियों को सरकार से केंद्रीय बजट में टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाने की उम्मीद है. उनका कहना है कि वेतनभोगी 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा के साथ मौजूदा टैक्स स्लैब को पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं के तहत बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार आगामी एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करने की तैयारियों में जुटी हुई है और देश के करदाता यह जानने को लेकर ज्यादा उत्सुक दिखाई दे रहे हैं कि बजट में उनके लिए क्या है. विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्टों की मानें, तो वित्त वर्ष 2023-24 के बजट का उद्देश्य करदाताओं को पर्याप्त राहत प्रदान करने के साथ ही सरकार के टैक्स रिवेन्यू को बढ़ाने के लिए कर के आकार को बढ़ाने पर होना चाहिए.

आयकर विभाग के आंकड़ों के हवाले से मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में दाखिल किए गए कुल आयकर रिटर्न (आईटीआर) में से करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी आईटीआर-1 की थी, जो देश के वेतनभोगियों द्वारा दाखिल किया गया था. बताया गया है कि करदाताओं का एक बड़ा समूह आईटीआर-1 दाखिल करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के केंद्रीय बजट से वेतनभोगियों को प्रमुख कर राहत की उम्मीद है, क्योंकि वे छंटनी, वेतन कटौती और बढ़ती महंगाई के कई प्रभावों से जूझ रहे हैं. आइए, जानते हैं कि वेतनभोगियों को सरकार से किस प्रकार की राहत की उम्मीद है…

टैक्स स्लैब

विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश के वेतनभोगियों को सरकार से केंद्रीय बजट में टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाने की उम्मीद है. उनका कहना है कि वेतनभोगी 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा के साथ मौजूदा टैक्स स्लैब को पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं के तहत बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की उम्मीद है. इसका अधिक आमदनी वाले व्यक्तियों पर भी प्रभाव पड़ेगा. उनका कहना है कि टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये को 2014-15 से नहीं बदला नहीं गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति जैसे कारकों पर विचार करते हुए इसकी समीक्षा की जानी चाहिए. नई कर व्यवस्था करदाताओं द्वारा अच्छी तरह से प्राप्त नहीं हुई थी. सरकार अब दोनों व्यवस्थाओं का विलय कर टैक्स सिस्टम को सरल बना सकती है.

हाई स्टैंडर्ड डिडक्शन

विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2023 में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर सकती है. इसके साथ ही, आयकर अधिनियम-1961 की धारा 80सी और 80डी के तहत कटौती की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसी सरकारी योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

80सी कटौती सीमा में हो सकती है बढ़ोतरी

विशेषज्ञों का कहना है कि हम करीब एक दशक के बाद धारा 80सी कटौती की सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये तक बढ़ा सकते हैं. उनका कहना है कि यह लोगों को सरकार से संबंधित योजनाओं जैसे एनएससी, पीपीएफ आदि में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. इसी तरह, अत्यधिक चिकित्सा खर्च और अस्पताल में भर्ती होने की लागत को देखते हुए सरकार धारा 80डी के तहत कटौती की सीमा को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये और संबंधित श्रेणियों के लिए 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है.

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अन्य कटौतियों में वृद्धि

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि होम लोन पर ब्याज (80ईईए) और इलेक्ट्रिक वाहन लोन (80ईईबी) में कटौती का दावा करने के लिए यह अंतिम वर्ष है. इन कटौतियों पर दो साल का विस्तार हो सकता है. उनका कहना है कि कोविड के बाद की हाइब्रिड संस्कृति को उचित कर राहत और कार्यालय फर्नीचर, इंटरनेट कनेक्शन और लैपटॉप जैसी वस्तुओं के लिए प्रोत्साहन के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

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