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Gautam Adani के सामने क्या है सबसे बड़ी कारोबारी चुनौती? हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण जानिए कितना हुआ नुकसान

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Hindenburg Report के कारण गौतम अडाणी के समूह का बाजार मूल्यांकन केवल दो कारोबारी सत्रों में 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया. साथ ही अडाणी को 20 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.

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Hindenburg Report: न्यूयॉर्क की एक छोटी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के कारण गौतम अडाणी के समूह का बाजार मूल्यांकन केवल दो कारोबारी सत्रों में 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया. इसके साथ ही अडाणी को 20 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. ये उनकी कुल दौलत का 5वां हिस्सा है. इसके अलावा, गौतम अडाणी दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति से सातवें स्थान पर आ गए हैं.

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FPO को पहले दिन मिला सिर्फ 1 प्रतिशत अभिदान

अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी को डकैतों ने 1998 में फिरौती के लिए अगवा कर लिया था और इसके करीब 11 साल बाद जब आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया तो वह ताज होटल में बंधक बनाए गए लोगों में शामिल थे. कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले गौतम अडाणी को संकटों से बचे रहने की आदत और व्यापार कौशल ने भारत के सबसे अमीर लोगों की श्रेणी में ला दिया, लेकिन अब उनके सामने शायद कारोबारी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है. अडाणी समूह इस समय 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) भी लाया है. अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के लिए आए इस एफपीओ को पहले दिन सिर्फ एक प्रतिशत अभिदान मिला.

जानिए अडाणी का कैसा रहा है कारोबारी सफर

गुजरात के अहमदाबाद में एक जैन परिवार में जन्मे अडाणी कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर मुंबई चले गए और कुछ समय के लिए हीरा कारोबार क्षेत्र में काम किया. वह 1981 में अपने बड़े भाई महासुखभाई की एक छोटे स्तर की पीवीसी फिल्म फैक्टरी चलाने में मदद करने के लिए गुजरात लौट आए. उन्होंने 1988 में अडाणी एक्सपोर्ट्स के तहत एक जिंस व्यापार उद्यम स्थापित किया और इसे 1994 में शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया. इस फर्म को अब अडाणी एंटरप्राइजेज कहा जाता है. जिंस कारोबार शुरू करने के करीब एक दशक बाद उन्होंने गुजरात तट पर मुंद्रा में एक बंदरगाह का संचालन शुरू किया. उन्होंने भारत के सबसे बड़े निजी बंदरगाह परिचालक के रूप में जगह बनाई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और बिजली उत्पादन, खनन, खाद्य तेल, गैस वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा में अपने व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार किया. अडाणी के व्यापारिक हितों का विस्तार हवाई अड्डों, सीमेंट और हाल ही में मीडिया में हुआ.

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