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रोहतास के पेड़ वाले बाबा को जहां मिली खाली जमीन लगा दिये पौधे, अब तक लगा चुके हैं एक लाख से अधिक पौधे

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वर्तमान में भी पेड़ वाले बाबा कहीं भी बेतरतीब जगह पर उगे पौधों को उसका सही स्थान दिलाने के लिए लगातार भ्रमण करते रहते हैं. सरकारी जमीन, सड़क, विद्यालय, सरकारी संस्थानों व गांव की पगडंडियों पर रोपे गये पौधों की निराई-गुड़ाई इनकी दिनचर्या में शामिल है.

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रमेश पांडेय, कोचस (रोहतास): रोहतास जिले के कोचस प्रखंड में एक पेड़ वाले बाबा हैं, वैसे इनका नाम जावंत साधु है और उम्र करीब 70 साल है, पर लोग इन्हें पेड़ वाले बाबा के नाम से ही जानते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें जहां भी खाली जमीन मिली, वहां पौधे लगा दिये. अब तक एक लाख से अधिक पौधे लगा चुके हैं और कोचस के साथ-साथ करगहर प्रखंड के लोगों में पर्यावरण की रक्षा की अलख जगा रहे हैं. पेड़ वाले बाबा को उनके पौधारोपण के जुनून व काम की बदौलत वर्ष 2018 में जिला पर्यावरण व वन विभाग ने सम्मानित भी किया था.

1980 से लगा रहे पौधे 

वर्तमान में भी पेड़ वाले बाबा कहीं भी बेतरतीब जगह पर उगे पौधों को उसका सही स्थान दिलाने के लिए लगातार भ्रमण करते रहते हैं. सरकारी जमीन, सड़क, विद्यालय, सरकारी संस्थानों व गांव की पगडंडियों पर रोपे गये पौधों की निराई-गुड़ाई इनकी दिनचर्या में शामिल है. वह संतान की तरह पौधों की देखरेख और रक्षा के लिए गर्मी के दिनों में दूर-दूर से पानी लाकर पटवन भी करते हैं. पेड़ वाले बाबा उर्फ जावंत साधु बताते हैं कि 1980 के दशक की गर्मी में उन्होंने एक पत्रिका में उस समय ग्लोबल वार्मिंग पर छपी एक रिपोर्ट पढ़ी थी. उस दौरान उनके मन में पौधारोपण का विचार आया. तब से वह लगातार सरकारी व गैर सरकारी खाली जमीनों पर पौधे लगा रहे हैं. उन्होंने यत्र-तत्र उगे बरगद, पीपल, नीम व गुलर आदि पौधों को उखाड़ उन्हें सही जगहों पर लगाना शुरू किया. वह पौधारोपण के प्रति इतने जुनूनी हो गये कि अपनी वेश-भूषा पर भी ध्यान नहीं दिया और कब लोग उन्हें साधु समझने लगे और कब नाम के साथ साधु जोड़ दिया, पता हीं नहीं चला.

सबसे पहले लगाया पीपल का पेड़ 

बाबा ने बताया कि एक समय इलाके के कपसियां गांव में एक भी पीपल का पेड़ नहीं था. किसी का निधन होने पर कर्मकांड के लिए पीपल वृक्ष के अभाव में लोगों को दूसरे गांवों में जाकर पितरों की पूजा करनी पड़ती थी. इससे निजात के लिए उन्होंने सर्वप्रथम करगहर के लहेरी रजवाहे के तटबंध पर चार पीपल के पौधे लगाये. इसके बाद सलथुआं रजवाहे के तटबंध व कपसियां बलथरी पथ पर पौधारोपण किया. यह काम करते-करीब 40 वर्ष गुजर चुके हैं. अपने से लगाये पौधों की कभी गिनती नहीं की, पर लोग कहते हैं कि इसकी संख्या करीब एक लाख हो चुकी है. शायद इन्हीं पौधों के कारण जिले में पौधारोपण में यह क्षेत्र अव्वल माना जा रहा है.

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