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आशीष मिश्रा की बेल का यूपी सरकार ने किया विरोध, कहा- गंभीर अपराध हुआ था लखीमपुर में

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Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है. साथ ही जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उसने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था.

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Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है. साथ ही जमानत अर्जी पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंच में आज मामले की सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में ट्रायल जज ने रिपोर्ट में बताया था कि मामले का ट्रायल पूरा होने में कम से कम पांच साल लगेंगे. वहीं यूपी सरकार ने भी कोर्ट में बताया कि उसने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किया था.

यूपी सरकार ने जमानत का किया विरोध, बताया गंभीर अपराध

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कि उसने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था. साथ ही कोर्ट को बताया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी मिश्रा को मौके से भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी है. सरकार ने कोर्ट में कहा कि यह अपराध गंभीर श्रेणी का है और ऐसे में आरोपी को जमानत देना समाज पर बुरा असर डाल सकता है. दरअसल, आरोपी मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जमानत न मिलने पर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.

‘जमानत पर कोर्ट विचार नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा?’

वहीं पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने इस मामले में कहा कि, आरोपियों को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित तरीके से की गई हत्या थी. उन्होंने कहा कि, आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है और इसका केस भी मजबूत वकीलों द्वारा लड़ा जा रहा है. दवे ने आरोपियों को जमानत नहीं देने की वकालत की. इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्ती से जवाब दिया गया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियो की जमानत पर कोर्ट विचार नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा? कोर्ट ने कहा कि क्या हम मूकदर्शक बने रहें?

‘5 साल तक ट्रायल चलेगा, मेरे क्लाइंट का क्या होगा?’

आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, आशीष मिश्रा बीते 1 साल से जेल में है. एक बार उसको जमानत मिली, फिर सुप्रीम कोर्ट ने बेल खारिज कर दी थी. इस मामले में 400 से अधिक गवाह हैं, जिनके बयान होने हैं. ऐसे में 5 साल तक ट्रायल चलेगा और ऐसे में मेरे क्लाइंट का क्या होगा? रोहतगी ने आगे कहा कि, दूसरा एफआईआर जो दर्ज किया गया है, उसमें आरोपों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है. मामले में कोई चश्मदीद सामने नहीं आया है.

लखीमपुर खीरी  मामले में 200 गवाह, 27 सीएफएसएल रिपोर्ट

इससे पहले की सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में बताया कि, सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जा चुके हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने लखीमपुर खीरी की रिपोर्ट को भी पढ़ा, जो कहती है कि इस मुकदमे को पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा, क्योंकि मामले में 200 गवाह हैं, 27 सीएफएसएल रिपोर्ट हैं. दरअसल, शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में निचली अदालत से जानकारी मांगी थी कि बिना दूसरे मुकदमों पर असर डाले इस केस का निपटारा कितने समय में हो सकेगा.

आशीष मिश्रा ने हादसे के दिन गाड़ी में नहीं होने की कही थी बात

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालत से पूछा था कि लखीमपुर मामले में ट्रायल पूरा होने में कितना टाइम लगेगा. सुनवाई में आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आशीष मिश्रा की आरोप मुक्त करने की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी है. उन पर आरोप तय कर दिए गए हैं, वो घटना के समय कार में नहीं था, फिर भी एक साल से ज्यादा समय से जेल में है. पहले हाईकोर्ट ने जमानत दी थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर फिर से मामले को हाईकोर्ट भेज दिया था.

क्या था पूरा मामला

देश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था. घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी.

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