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बिहार में सेहत पर महंगाई की मार, फिर बढ़ गयी शूगर, ब्लड प्रेशर, हृदय और गैस के दवाओं के दाम, जानें नयी कीमत

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बिहार के लोग महंगाई से पहले से परेशान थे. वहीं, हाल के दिनों में न दवाओं के रसायन व कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं और न ही माल भाड़े में बढ़ोतरी हुई, फिर भी दवा कंपनियों ने छह माह में दूसरी बार दवाओं के दाम बढ़ा दिये.

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आनंद तिवारी, पटना

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बिहार के लोग महंगाई से पहले से परेशान थे. वहीं, हाल के दिनों में न दवाओं के रसायन व कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं और न ही माल भाड़े में बढ़ोतरी हुई, फिर भी दवा कंपनियों ने छह माह में दूसरी बार दवाओं के दाम बढ़ा दिये. प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा की थोक दवा दुकानों पर नये बैच नंबर के साथ बढ़ी हुई कीमतों के साथ दवाएं आ गयी हैं. इनमें उन दवाओं की कीमत में अधिक बढ़ोतरी हुई है, जिनका मरीजों को सर्वाधिक और ताउम्र इस्तेमाल करना पड़ता है. कंपनियों ने इन दवाओं के एक पत्ते की कीमत में 5 से 15 रुपये का इजाफा किया है, जिससे पांच प्रतिशत तक दाम बढ़े हैं. इससे पहले जून महीने में दवाओं के दाम कंपनियों ने बढ़ाये थे.

बीपी, शूगर, हृदय रोग की दवाओं के दाम में इजाफा

दवाएं के दाम बढ़ने से खासकर ब्लड प्रेशर, शूगर, हृदय रोग समेत दूसरी गंभीर बीमारियों का इलाज महंगा हो गया है. इन बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली करीब 30 तरह की दवाओं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. एक साल में पांच से छह बार बढ़ोतरी हो चुकी है. वहीं, बिहार रिटेल केमिस्ट फोरम के प्रदेश संयोजक संतोष कुमार का कहना है कि कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है, जबकि कुछ की कीमतें कंपनियां तय कर सकती हैं. लेकिन, बार-बार दवाओं की कीमतें बढ़ाना गलत है, क्योंकि इस पर मरीज आपत्ति जता रहे हैं. कंपनियां साल में करीब पांच बार दाम बढ़ा चुकी हैं.

2 से 12 रुपये तक बढ़े दाम

जानकारों की मानें तो बीते दिसंबर महीने के शुरुआती सप्ताह में ही कंपनियों ने नये स्टॉक की कीमतों में वृद्धि कर दी थी. दो से 12 रुपये तक दाम बढ़ाये गये हैं. कंपनियों ने वजह मेडिकल स्टोर संचालकों से साझा नहीं की है. राजधानी में करीब 4500 फुटकर व लगभग 2500 थोक दवा विक्रेता हैं. पटना की जीएम रोड थोक दवा मंडी से भोजपुर, बक्सर, गया, गोपालगंज, अररिया, समस्तीपुर, दरभंगा आदि आस-पास के जिलों को दवा आपूर्ति होती है.

जेनेरिक दवाओं की कीमतें नहीं बढ़ीं

जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल करने वाले मरीजों के लिए राहत है, क्योंकि बीते एक साल में जेनेरिक दवाओं की कीमत में वृद्धि नहीं हुई है. ऐसे में जेनेरिक दवाओं की बिक्री बढ़ गयी है. कारोबारियों का कहना है यदि माल-भाड़ा या फिर रसायन की कीमतों में इजाफा होता है, उसका फर्क जेनेरिक दवाओं पर भी पड़ता, क्योंकि उसी रसायन का इस्तेमाल जेनेरिक दवा बनाने में भी होता है.

दाम क्यों बढ़े, नहीं है जानकारी

दवाओं के दाम फिर से क्यों बढ़े हैं, इसकी पूरी जानकारी तो नहीं है, लेकिन दवाओं की कीमत बढ़ाने व कम करने का जिम्मा औषधि नियंत्रण यानी एफएसडीए प्रशासन को नहीं होता है. हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण करता है.

विश्वजीत दासगुप्ता, जिला औषधि नियंत्रक प्रशासक

इन दवाओं की कीमतें बढ़ी (दाम प्रति पत्ता रुपये में)

दवा- पुरानी कीमत- नयी कीमत

डेफकॉरट- 124- 136

एजिथ्रोमाइसिन- 47- 52

टेल्मीसेट्रॉन- 109- 121

टेल्मीकाइंड- 21- 23

जीरोडॉल एसपी- 107- 118

इको स्प्रिन- 55- 60

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