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शांति पर जोर

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विभिन्न कूटनीतिक पहलों से सिद्ध होता है कि अफगान प्रकरण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है तथा प्रमुख देश उसकी राय को अहमियत दे रहे हैं.

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अफगानिस्तान में गहराते मानवीय संकट पर चिंता जाहिर करते हुए भारत ने आतंकवाद से संबंधित आशंकाओं की ओर दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है. भारत लगातार कहता रहा है कि अफगानिस्तान का आंतरिक संकट शांतिपूर्ण संवाद से हल किया जाना चाहिए और मानवाधिकारों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए. ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि अफगानिस्तान की स्थिरता से पूरे क्षेत्र की शांति व सुरक्षा संबंधित है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक बार फिर भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इस बात को रेखांकित किया है. भारत अपने स्तर पर अफगान नागरिकों की मदद के लिए तैयार है और उसने वैश्विक समुदाय से यह निवेदन किया है कि नागरिकों को राहत पहुंचाने के रास्ते में कोई अवरोध नहीं होना चाहिए.

अफगान अस्थिरता से यह आशंका भी बढ़ी है कि पाकिस्तान-समर्थित आतंकी गिरोह अफगानिस्तान की धरती से और वहां के समूहों की सहायता से भारत-विरोधी गतिविधियां कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई अहम बातचीत में भी आतंक के पहलू पर चर्चा हुई है. दिल्ली में हुई ब्रिक्स देशों- भारत, रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका- के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठाया.

इस बैठक में आतंकवाद रोकने के लिए एक कार्य-योजना भी तैयार की गयी है. हालांकि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर दखल करने के बाद तालिबान ने भारत समेत विश्व समुदाय को बार-बार यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि वे किसी भी देश के विरुद्ध अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे, लेकिन अतीत में और अभी भी कई आतंकी गिरोहों से उनके संबंधों को देखते हुए उनकी बात को आंख मूंदकर मानना बहुत मुश्किल है.

जी-7 के देशों समेत रूस, चीन और ईरान भी सशंकित हैं. अफगानिस्तान के पड़ोसी मध्य एशियाई देशों की स्थिरता के लिए भी चुनौती पैदा हो गयी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को निरंतर सचेत रहना होगा. इस आवश्यकता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने इस मसले पर नियमित परस्पर संवाद बनाये रखने का निर्णय लिया है. भारतीय नेतृत्व और अधिकारी इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ अमेरिका और यूरोपीय देशों के संपर्क में भी हैं.

भारत विश्व समुदाय के साथ मिलकर तालिबान की बदले की कार्रवाई से आशंकित अफगान नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया में भी सहयोग कर रहा है. भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का गठन होना चाहिए, जिसमें व्यापक भागीदारी हो तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित हो. इन कूटनीतिक पहलों से सिद्ध होता है कि इस प्रकरण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है तथा प्रमुख देश उसकी राय को अहमियत दे रहे हैं.

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