![दूरदर्शन सरकार का भोंपू नहीं है: राठौड़ 1 Undefined](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/prabhatkhabar/2020-02/62bb0105-fbef-4fd5-abc6-f5fc7110e7d6/default_image.png)
सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ बीबीसी संवाददाता मोहनलाल शर्मा.
वह सेना में कर्नल थे. देश के लिए कई मेडल जीत चुके हैं. साल भर पहले राजनीति में आए और बीजेपी के टिकट पर जयपुर (ग्रामीण) से सीपी जोशी जैसे दिग्गज को हराया.
अब राजनीति की पहली ही पारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया है.
भारत के नवनियुक्त सूचना प्रसारण राज्य मंत्री और टीम मोदी के नए मेंबर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के एजेंडे में कई चीजें हैं.
लेकिन मैंने पहला सवाल यही पूछा कि क्या उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने की उम्मीद थी?
जिम्मेदारी
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किसी मंझे हुए राजनेता की तरह उनका जवाब था, "जब आप राजनीति में आते हैं तो काम करने के लिए आते हैं. उस काम की ज़िम्मेदारी किसी भी रूप में आ सकती है. और जब एक बार आप ज़िम्मेदारी उठा लेते हैं, तो फिर ज़िम्मेदारी तो ज़िम्मेदारी होती है."
लेकिन राठौड़ मूलतः खेल की दुनिया से आए शख्स हैं और ये उनकी बातों से झलकता भी है.
वे कहते हैं, "हिंदुस्तान में अभी कुछ बदलाव लाया जा सकता है तो सिर्फ अभी लाया जा सकता है. जब एक जबर्दस्त बहुमत वाली सरकार हो तो इससे बढ़िया कोई मौका नहीं हो सकता है."
टीम मोदी में राठौड़ की हैसियत सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री की है और इसके तहत आने वाली दूरदर्शन और आकाशवाणी की स्वायत्तता और सरकारी नियंत्रण को लेकर लंबे समय से काफी कुछ कहा सुना जाता रहा है.
प्राथमिकताएं
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अपनी प्राथमिकताओं के बारे में राठौड़ कहते हैं, "सरकार की नीतियों को बिना किसी मोड़-तोड़ के लोगों तक पहुंचाना पहली ज़रूरत है. साथ ही लोगों की आवाज़, जिन पर नीतियां बन सकती हैं, उन्हें सरकार तक पहुँचाना भी इसी का हिस्सा है."
हालांकि सरकारी प्रसारण माध्यम के इतर अब सोशल मीडिया का भी एक बहुत बड़ा मंच है और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के एजेंडे में यह नया फोरम भी है.
राठौड़ कहते हैं कि सरकार मोबाइल फोन के जरिए आम लोगों तक पहुँचना चाहती है.
इस बीच सरकार और मीडिया के बीच एक तरह की संवादहीनता की बात भी उभरकर सामने आई है.
इस पर वह कहते हैं, "सरकार अपने हर काम को हर तरीके से लोगों के सामने रख रही है."
दूरदर्शन की स्वायत्ता
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लेकिन ये सवाल फिर भी रह ही जाता है कि सोशल मीडिया के जिन मंचों का मोदी सरकार इस्तेमाल कर रही है, वह अब भी आम लोगों की पहुंच से कोसों दूर है.
हालांकि राठौड़ इससे इनकार करते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हीं वजहों से रेडियो पर ‘मन की बात’ शुरू की है."
देश के सूचना प्रसारण मंत्री से किसी भी इंटरव्यू में दूरदर्शन की स्वायत्तता का सवाल उठना लाज़िम हो जाता है.
दूरदर्शन पर सरकारी नियंत्रण के सवाल पर राठौड़ का कहना था, "सरकारी हस्तक्षेप बहुत कम है और उसे और कम करने का इरादा है. हमारी कोशिश रहेगी कि दूरदर्शन खुले बाजार में प्रतिस्पर्द्धा करने लायक हो."
प्रचार तंत्र
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वह कहते हैं, "निजी चैनल सरकारी नीतियों को जगह नहीं देते क्योंकि वे आकर्षक नहीं होतीं, इसलिए कोई न कोई तो हो जो सही बात लोगों तक पहुँचाए."
उनके जवाब से जाहिर था कि इसी जरूरत की वजह से दूरदर्शन सरकारी प्रचार तंत्र का हिस्सा है.
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री का कहना है, "क्यों न हो, लोगों तक अपनी बात पहुँचाना जरूरी है. सरकार का भोंपू होना अलग बात है. दूरदर्शन सरकार का भोंपू तो बिलकुल नहीं है लेकिन वह सरकार की बात तो लोगों तक जरूर कहेगा."
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